पूर्ण राज्‍य का दर्जा या कुछ और, लेह में क्‍यों भड़क उठे Gen-Z? अब तक 4 लोगों की मौत, सोनम वांगचुक ने की शांति की अपील- 5 VIDEO

लद्दाख के लेह में पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से भिड़ते हुए बीजेपी कार्यालय और सरकारी वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया. लद्दाख के आंदोलनकारी सोनम वांगचुक ने शांति बनाए रखने की अपील की, जबकि जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी और विरोध का आरोप लगाया. इस घटना ने केंद्र सरकार और स्थानीय युवाओं के बीच तनाव को बढ़ा दिया है. देखिए 5 वीडियो...;

( Image Source:  ANI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 24 Sept 2025 5:35 PM IST

Ladakh Leh Protest News: लद्दाख में राज्य का दर्जा (Statehood) और छठी अनुसूची (Sixth Schedule) के तहत शामिल किए जाने की मांग को लेकर बुधवार को लेह की सड़कों पर भारी प्रदर्शन देखने को मिला. शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ यह आंदोलन अचानक हिंसक हो गया और प्रदर्शनकारियों की झड़प पुलिस से हो गई. इस दौरान लेह में बीजेपी कार्यालय को भी निशाना बनाया गया और पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ व आगजनी की घटनाएं सामने आईं. अब तक हिंसा में 4 लोगों की मौत और 72 लोगों के घायल होने की खबर सामने आ रही है. 

सोनम वांगचुक ने जताया दुख, युवाओं से की अपील

प्रदर्शन के बीच सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक, जो कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं, ने एक वीडियो जारी कर हिंसा पर दुख जताया और युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा, "मुझे दुख है कि लेह में विरोध प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ हुई. कई दफ्तर और पुलिस की गाड़ियां जला दी गईं. एक बंद का ऐलान हुआ था, लेकिन बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए. यह युवाओं का गुस्सा था, एक तरह से ‘Gen-Z Revolution’..."

वांगचुक ने आगे लिखा कि उनका शांति का संदेश विफल रहा और युवाओं की हिंसा से आंदोलन को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने अपील की कि लोग इस तरह की हरकतें बंद करें क्योंकि यह केवल हमारे मकसद को कमजोर करती हैं.

विपक्ष ने सरकार को घेरा

वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) नेता और विधायक तनवीर सादिक ने इस पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि जिस तरह जम्मू-कश्मीर को गलत तरीके से संभाला गया, उसी तरह लद्दाख की स्थिति भी बिगाड़ दी गई है. सादिक ने हिंसा की निंदा की और केंद्र से लद्दाख के लोगों से संवाद करने की अपील की.

लद्दाख को छठी अनूसची

गौरतलब है कि लद्दाख में लंबे समय से राज्य का दर्जा और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग उठ रही है. छठी अनुसूची मुख्य रूप से असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से जुड़ी है. लद्दाख के लोगों का मानना है कि इस अनुसूची में शामिल होने से उनकी सांस्कृतिक पहचान और अधिकार सुरक्षित रहेंगे.

अनुच्छेद 370 के बाद से बढ़ी मांग

2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से ही लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दोनों क्षेत्रों में राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग तेज है. आज ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी और विरोध बीजेपी की 'जनता के साथ नाइंसाफी' है. अब्दुल्ला ने कहा, "लोग चुनाव प्रक्रिया में शामिल हुए, लेकिन बीजेपी की किस्मत खराब थी कि वह चुनाव नहीं जीत सकी. इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. ऐसा नहीं कहा गया था कि राज्य का दर्जा तभी लौटेगा जब बीजेपी सरकार बनाएगी."

लेह में हुई हिंसा और आगजनी ने लद्दाख आंदोलन को एक नए मोड़ पर ला दिया है. सोनम वांगचुक जैसे नेता शांति की अपील कर रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे सरकार की नाकामी बता रहा है. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पूरे विवाद को लेकर लद्दाख के लोगों से किस तरह संवाद करती है.

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