किरेन रिजिजू के बाद अब धनखड़... ज्यूडिशियरी को चुनौती देना पड़ा महंगा! दोनों को गंवानी पड़ी कुर्सी

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने सियासी हलचल मचा दी है. भले ही उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया हो, लेकिन असल वजह न्यायपालिका से लगातार टकराव और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा में स्वीकारना माना जा रहा है. इससे पहले किरेन रिजिजू भी न्यायपालिका की आलोचना के चलते कानून मंत्री की कुर्सी गंवा चुके हैं. मोदी सरकार अब न्यायपालिका से सीधा टकराव नहीं चाहती, यही कारण है कि न्यायिक मामलों में आक्रामक रवैया अपनाने वाले नेताओं को हटाया जा रहा है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 24 July 2025 10:04 PM IST

Judiciary clash with Modi govt: देश की राजनीति में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक अपने पद से इस्तीफा देने के बाद हलचल मची हुई है.  उन्होंने इस्तीफा देने के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन अंदरखाने में कुछ और ही कहानी चल रही है. दरअसल, धनखड़ लंबे समय से न्यायपालिका के खिलाफ मुखर थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आर्टिकल 142 से लेकर कॉलेजियम सिस्टम तक पर तीखी टिप्पणियां की थीं, जिससे सरकार असहज थी. धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार कर लिया था, जबकि सरकार इसकी योजना लोकसभा से शुरू करने की बना रही थी.

इससे पहले, धनखड़ ने ज्यूडिशियरी पर यह कहकर सवाल उठाया था कि आर्टिकल 142 ‘न्यूक्लियर मिसाइल’ की तरह इस्तेमाल हो रहा है. यही नहीं, उन्होंने एनजेएसी (नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमीशन) की वकालत की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया है, जबकि अमित शाह और मोदी सरकार ने साफ कर दिया था कि ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है. बावजूद इसके, धनखड़ लगातार बयानबाजी करते रहे, जिससे संदेश गया कि सरकार न्यायपालिका से टकराव चाहती है और यही बात सरकार को रास नहीं आई.

किरेन रिजिजू को गंवाना पड़ा था कानून मंत्री का पद

धनखड़ से पहले कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी ज्यूडिशियरी पर सवाल उठाकर अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं. उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम को 'संविधान के लिए एलियन' बताया था और जजों की नियुक्तियों पर पारदर्शिता की मांग की थी. बार-बार की टिप्पणियों से सुप्रीम कोर्ट नाराज हुआ और आखिरकार रिजिजू को हटाकर अर्जुन मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया.

न्यायपालिका के साथ संतुलन बनाकर चलना चाहती है मोदी सरकार

बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने भी एक बार कहा था, "अगर सुप्रीम कोर्ट खुद कानून बनाएगा, तो संसद बंद कर दो", लेकिन पार्टी ने तुरंत उनके बयान से किनारा कर लिया. इससे साफ है कि मोदी सरकार अब न्यायपालिका के साथ संतुलन बनाकर चलना चाहती है. एनजेएसी को खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ है, और सरकार अब किसी नए विवाद में नहीं पड़ना चाहती. ऐसे में जो भी नेता ज्यूडिशियरी से खुला टकराव मोल लेता है, उसकी कुर्सी चली जाती है- चाहे वो उपराष्ट्रपति हो या कानून मंत्री.

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