IPS Anish Dayal Deputy NSA: अनीश दयाल सिंह के ‘टीम-डोभाल’ में आने की INSIDE STORY

1988 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अनीश दयाल सिंह को डिप्टी एनएसए बनाकर अजीत डोभाल की कोर टीम में शामिल किया गया है. सवाल यह उठा कि इतने अफसरों में उन्हें ही क्यों चुना गया? सूत्रों और पूर्व सहयोगियों के अनुसार, अनीश का लंबा अनुभव इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में और खासकर उत्तर-पूर्व भारत के आंतरिक मामलों पर उनकी पकड़ उन्हें इस पद का सबसे उपयुक्त विकल्प बनाती है. साथ ही, CRPF, ITBP और SSB जैसी बलों में उनकी सेवाओं ने भी चयन में अहम भूमिका निभाई.;

( Image Source:  ANI/X-lalityadav901 )

1988 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अनीश दयाल सिंह (IPS Anish Dayal Singh Deputy NSA) को हुकूमत ने उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी डिप्‍टी एनएसए बना, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की कोर टीम में शामिल कर दिया. यह सब होने के बाद अब चौंकाने वाला सवाल और उससे भी चौंकाने वाला जवाब यह है कि आखिर, देश के तमाम काबिल आईपीएस की भीड़ में से अनीश दयाल सिंह को ही हुकूमत ने, अजीत डोभाल की टीम में डिप्टी एनएसए जैसे बेहद अहम-संवेदनशील पद पर क्यों भेजा?

इसी सवाल के जवाब की तलाश में स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने खंगाला, 1988 (जिस आईपीएस बैच के खुद अनीश दयाल सिंह अधिकारी हैं) और उसके एक दो साल बाद के बैच वाले आईपीएस-पुलिस अधिकारियों को. चार-पांच वरिष्ठ पुलिस अफसरों से बात करने के बाद कमोबेश हमारे सवाल- हिंदुस्तानी हुकूमत ने आईपीएस की भीड़ में डिप्टी एनएसए के लिए सिर्फ अनीश दयाल सिंह का ही नाम क्यों चुना होगा?

सबका करीब-करीब एक सा ही मिलता-जुलता जो जवाब था, वह वास्तव में न केवल हैरान कर देने वाला था, अपितु सत्य भी यही जवाब है कि- “अनीश दयाल सिंह का आईपीएस सेवा का काफी कार्यकाल भारत की खुफिया एजेंसी में गुजरा है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की कोर-टीम में भी अपने-अपने हुनर के महारथियों की ही जरूरत होती है न कि वाहियात निठल्ले अफसरों की भीड़ की जरूरत है यहां.

आईबी में काम करने का रहा है लंबा अनुभव

दूसरे एनएसए की कोर-टीम देश की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा के किले की मजबूत दीवारी है. ऐसे किले की जब दीवारें ही कमजोर होंगी तब फिर देश की सीमाओं की रक्षा, और दुश्मन के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर जैसे ऐतिहासिक व रोंगटे खड़े कर देने वाले भारत के सफलतम अभियानों की सफलता की गारंटी कौन लेगा? ऐसे में एनएसए की टीम में अगर अनीश दयाल सिंह डिप्टी एनएसए के पद पर ले जाए गये हैं, तो उनके बाकी पुलिसिया कार्यकाल के अनुभव का योगदान तो इसमें शामिल है ही. इस सबसे सर्वोपरि भूमिका मगर इस काम में निभाई है अनीश दयाल सिंह का भारतीय खुफिया एजेंसी में काम करने के लंबे अनुभव ने.”

1988 बैच के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी और दक्षिण-भारत राज्य के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक, जिन्होंने अनीश दयाल के साथ हैदराबाद पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में आईपीएस का प्रशिक्षण लिया था, उसके बाद दोनों अपने-अपने स्टेट-कैडर में आईपीएस की नौकरी करने चले गये, बताते हैं- “दरअसल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की कोर टीम का काम फौज, खुफिया एजेंसियों से भी कहीं ज्यादा संवेदनशील और अहम है. क्योंकि एनएसए की एक हां के ऊपर देश, देश की सेनाएं और खुफिया एजेंसियां किसी भी दिशा में मूव करने लगती हैं. कह सकता हूं कि किसी भी देश की एनएसए टीम जो जमीनी-तैयारी या प्लानिंग करती है, उसी पर उस देश की सरकार, सेना आगे बढ़ जाती है.

उत्तर पूर्व भारत के आंतरिक मामलों पर रखते हैं जबरदस्‍त पकड़

''ऐसे में अनीश दयाल सिंह को डिप्टी एनएसए बनाये जाने के पीछे मुझे तो उनका आईबी में सेवा देने का लंबा अनुभव ही प्रमुख कारण लगता है. लेकिन मेरे कहने का मतलब यह भी नहीं है कि उनकी सीआरपीएफ, आईटीबीपी या एसएसबी में दी गई पुलिस सेवा का उन्हें एनएसए बनवाने में कोई रोल ही न रहा है. लेकिन अगर आप बात उन्हें डिप्टी एनएसए बनाए जाने के बावत कर रहे हैं तो, इसकी प्रमुख और पहली वजह उनका आईबी में लंबे काम का अनुभव प्रथम रहा है. दूसरे, आईबी में भी उनकी उत्तर पूर्व भारत के आंतरिक मामलों के ऊपर गजब की पकड़ है. मैं नाम तो नहीं लूंगा लेकिन इस वक्त एनएसए टीम में कुछ ऐसे अधिकारी पहले से ही मौजूद हैं जो पाकिस्तान से जुड़ी कश्मीर सीमाओं की खुफिया जानाकारियां जुटाने की विशेष-काबिलियत अपने अंदर रखते हैं. हां, अब अनीश दयाल सिंह को डिप्टी एनएसए बनाए जाने के बाद मैं कह सकता हू कि, अब उत्तर-पूर्व भारत के अशांत रहने वाले इलाकों का सटीक खुफिया इनपुट भी एनएसए की टीम के पास पहुंचने लगेगा.”

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