यूक्रेन संकट पर भारत ने स्पष्ट की स्थिति: "हम न्यूट्रल नहीं, शांति के पक्ष में" - पीएम मोदी ने पुतिन से कहा

यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि भारत “न्यूट्रल नहीं है बल्कि शांति के पक्ष में है.” हैदराबाद हाउस में मुलाकात के दौरान मोदी ने बताया कि रूस और भारत यूक्रेन संकट की शुरुआत से लगातार संवाद में रहे हैं. उन्होंने कहा कि विवादों का समाधान संवाद और कूटनीति से ही संभव है. पुतिन ने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि भारत–रूस संबंध विश्वास और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं.;

( Image Source:  X/@narendramodi )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 5 Dec 2025 12:50 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई मुलाकात के दौरान यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की स्थिति पर एक बेहद स्पष्ट और महत्वपूर्ण संदेश दिया. मोदी ने कहा कि भारत “न्यूट्रल नहीं” है, बल्कि “शांति के पक्ष में” खड़ा है, और वैश्विक संघर्षों का समाधान केवल संवाद, कूटनीति और शांतिपूर्ण तरीकों से ही संभव है.

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हैदराबाद हाउस में आयोजित द्विपक्षीय वार्ता की शुरुआत में पीएम मोदी ने रूसी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और रूस यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से लगातार संपर्क में रहे हैं. मोदी ने पुतिन से कहा, “आपने हमें हर विकासक्रम की जानकारी दी है और हम पर भरोसा जताया है - इसके लिए हम आभारी हैं.”

“भारत शांति में विश्वास करता है, संतुलन में नहीं”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आज जब विश्व अस्थिरता, संघर्ष और ध्रुवीकरण के दौर से गुजर रहा है, ऐसे समय में भारत का रुख पहले से कहीं अधिक स्पष्ट हो चुका है. मोदी ने कहा, “भारत शांति में विश्वास करता है. भारत न्यूट्रल नहीं है - भारत शांति के पक्ष में है.”

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हाल के समय में कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को “न्यूट्रल” बताया था. लेकिन मोदी के इस बयान ने यह धारणा बदलते हुए स्पष्ट कर दिया कि भारत की तटस्थता निष्क्रिय नहीं, बल्कि शांति स्थापित करने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने पर आधारित है.

मोदी ने यह भी रेखांकित किया कि युद्ध की आग से दुनिया की अर्थव्यवस्था, ऊर्जा बाजार और खाद्य सुरक्षा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है और विकासशील देशों पर इसका बहुत गहरा असर पड़ा है.

संवाद और समाधान की वकालत

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हमेशा से यह मानता आया है कि विवादों का समाधान सैन्य रास्तों से नहीं, बल्कि बातचीत, कूटनीति और विचार–विमर्श से निकलता है. उन्होंने कहा कि भारत मानवीय सहायता, मध्यस्थता और भरोसेमंद संवाद साझेदार के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहेगा. मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि भारत की विदेश नीति “वैश्विक शांति और स्थिरता” पर आधारित है और भारत किसी युद्ध के पक्ष में नहीं, बल्कि युद्ध के अंत के पक्ष में है.

पुतिन की प्रतिक्रिया

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को निमंत्रण और गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद दिया. पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के संबंध “विश्वास, मित्रता और रणनीतिक साझेदारी” पर आधारित हैं और वर्तमान दौर में यह संबंध और अधिक मजबूत हो रहे हैं. पुतिन ने कहा कि वे भारत के रुख का सम्मान करते हैं और इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, परमाणु सहयोग और भू-राजनीतिक मुद्दों पर आगे के मार्ग को मजबूत करना है.

भू-राजनीतिक संदर्भ में बयान का महत्व

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव चरम पर है, यूक्रेन युद्ध जारी है और भारत वैश्विक स्तर पर ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा साझेदारी का विस्तार कर रहा है. भारत ने यूक्रेन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में कई प्रस्तावों पर मतदान से दूरी बनाई थी, जिसे पश्चिम ने “तटस्थता” के रूप में देखा. लेकिन भारत लगातार यह कहता रहा है कि उसकी प्राथमिकता युद्ध का अंत और मानवीय सहायता है - न कि किसी पक्ष का समर्थन.

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