'इस तरह के रवैये से कैसे रिश्ते मजबूत होंगे'? भारतीय महिला को लेकर चीन की बदसलूकी वाले मामले पर भारत ने मारा ड्रैगन को ताना

भारत ने चीन के सामने सख्त रुख अपनाते हुए साफ कहा है कि अरुणाचल प्रदेश की नागरिक प्रेमा वांगजॉम थोंगडोक को शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर रोके जाने जैसी घटनाएँ दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य करने की प्रक्रिया में बाधा डालती हैं. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह बयान जारी करते हुए ऐसी हरकतों पर नाराजगी जताई. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सीमा विवाद और संवेदनशील मुद्दों पर बात आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों का विश्वास और सम्मान जरूरी है, और इस तरह का बर्ताव स्थिति को और जटिल बना देता है.;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 26 Nov 2025 6:45 PM IST

अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली प्रेमा वांग्जोम थोंगडोक को शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर रोके जाने और उनकी राष्ट्रीयता का मज़ाक उड़ाने पर भारत ने चीन को सख्त संदेश दिया है. विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि इस तरह के कदम दोनों देशों के रिश्ते सामान्य करने की प्रक्रिया में “बिल्कुल मददगार” नहीं हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बताया कि प्रेमा को एयरपोर्ट स्टाफ और इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा. उनके भारतीय वीज़ा को स्वीकार करने से मना किया गया और उनकी राष्ट्रीयता पर टिप्पणी की गई. जायसवाल ने कहा कि यह रवैया उन कोशिशों के बिल्कुल उलट है, जिनके तहत अक्टूबर 2024 के बाद दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहयोग किया है.

चीन में प्रेमा के साथ बदसलूकी, भारत ने दर्ज कराया विरोध

प्रेमा वांग्जोम थोंगडोक इस महीने की शुरुआत में जापान जा रही थीं और शंघाई एयरपोर्ट पर ट्रांज़िट के दौरान उन्हें चीनी अधिकारियों द्वारा रोका गया. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उनके जन्मस्थान ‘अरुणाचल प्रदेश’ की वजह से परेशान किया गया. उन्होंने कहा कि 'उन्होंने मेरे भारतीय पासपोर्ट को इसलिए अमान्य बताया क्योंकि मेरा जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश है, जिसे वे चीनी क्षेत्र बताते हैं.' प्रेमा ने सोशल मीडिया और समाचार एजेंसियों से बातचीत में पूरी घटना बताई और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाना चाहिए.

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया, चीन को जारी की गई डिमार्श

प्रेमा की शिकायत के तुरंत बाद भारत ने चीन के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया. अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का “अखंड और अभिन्न” हिस्सा है और इस पर किसी भी तरह का विवाद पैदा करने का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जायसवाल ने कहा कि “अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविच्छेद्य हिस्सा है, और यह एक स्वयं सिद्ध तथ्य है. चीन चाहे जितना भी इनकार कर ले, इस अटल सच्चाई को बदल नहीं सकता.” भारत ने यह भी दोहराया कि चीन द्वारा की गई यह “मनमानी हिरासत” बिल्कुल अस्वीकार्य है, क्योंकि प्रेमा के पास वैध भारतीय पासपोर्ट और जापान की यात्रा के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज मौजूद थे.

चीन ने लगाए आरोपों से किया इनकार, भारत ने तुरंत दिया जवाब

चीनी विदेश मंत्रालय ने इस मामले में लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अधिकारियों ने “नियमों के अनुसार” कार्रवाई की. साथ ही, चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा दोहराया. लेकिन भारत ने चीनी बयान को तुरंत खारिज कर दिया और कहा कि सीमा राज्य हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है और रहेगा.

सीमा पर शांति ही संबंधों की कुंजी- भारत

रंधीर जायसवाल ने याद दिलाया कि अक्टूबर 2024 के बाद दोनों देशों ने सीमा पर स्थिरता और शांति बहाल करने के लिए मिलकर काम किया था. उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति हमेशा स्पष्ट रही है. भारत का हमेशा से स्पष्ट रुख रहा है कि चीन के साथ संबंध तभी आगे बढ़ सकते हैं जब सीमा पर शांति और स्थिरता बनी रहे.” उन्होंने यह भी कहा कि चीन द्वारा इस तरह के कदम उठाना विश्वास बहाली के प्रयासों को कमजोर करता है और भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है.

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