US टैरिफ से पहले रॉकेट बनी भारतीय अर्थव्यवस्था, पहली तिमाही में 7.8% की रफ्तार; आस-पास भी नहीं चीन-अमेरिका
भारत की अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 7.8% की GDP वृद्धि दर्ज की, जो पिछली तिमाही के 7.4% से अधिक है. इससे भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहा, जबकि चीन 5.2% और अमेरिका 3.3% की दर से बढ़े. कृषि क्षेत्र में 3.7% और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 7.7% की वृद्धि हुई. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी 50% टैरिफ का असर आने वाले महीनों में निर्यात, रोजगार और निवेश पर नज़र आएगा.;
Fastest Growing Economy in World, India GDP Growth 2025 Q1: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 50 फीसदी टैरिफ लगाने से पहले भारत की अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में ज़बरदस्त छलांग लगाई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान GDP 7.8% की रफ्तार से बढ़ी, जो पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) के 7.4% से भी तेज है. इस तरह भारत ने एक बार फिर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया है. तुलना करें तो चीन ने इसी अवधि में 5.2% और अमेरिका ने 3.3% की वृद्धि दर्ज की.
विश्लेषकों का अनुमान था कि 50% अमेरिकी टैरिफ के दबाव और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की विकास दर घटकर 6.7% रह जाएगी, लेकिन उलटफेर करते हुए भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर जनवरी-मार्च 2024 के बाद सबसे तेज़ 8.4% के करीब की ग्रोथ दिखा रहा है.
सेक्टरवार तस्वीर
- कृषि: 3.7% की बढ़त (पिछले साल की समान तिमाही में सिर्फ 1.5%)
- मैन्युफैक्चरिंग: 7.7% की वृद्धि (FY25 Q1 में 7.6%)
RBI और एक्सपर्ट्स का नजरिया
RBI ने इस वित्त वर्ष (FY26) की शुरुआत में GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान लगाया था. Q1 के लिए भी RBI ने 6.5% की उम्मीद जताई थी, लेकिन वास्तविक आंकड़े उम्मीद से कहीं आगे निकले.
Emkay Global की चीफ इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा के मुताबिक, इस तिमाही की शानदार ग्रोथ कई अस्थायी कारणों से भी आई है, जैसे कि सॉफ्ट डिफ्लेटर, शुरुआती सरकारी खर्च और अमेरिकी बाज़ार में अग्रिम निर्यात, लेकिन उन्होंने चेताया कि अमेरिकी टैरिफ का असर आगे दिखेगा और इससे निर्यात, रोज़गार और खपत पर दबाव आ सकता है.
आगे की राह
GST कटौती से खपत में कुछ राहत मिल सकती है, जिससे 2026 तक वास्तविक GDP पर दबाव थोड़ा कम हो, लेकिन वैश्विक चुनौतियों और अमेरिकी टैरिफ का असर लंबे समय तक बना रह सकता है.