ड्रैगन-हाथी बने साथी! क्या भारत एक बार फिर से चीन पर कर पाएगा भरोसा? आइए 10 Point में जानते हैं

SCO Summit 2025: भारत और चीन के रिश्ते हमेशा से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच दोनों देशों ने सामरिक विवाद, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक तनाव के बीच बातचीत और सहयोग का रास्ता आगे बढ़ने का संकल्प लिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मेल भरोसे में बदल पाएगा? फिर यह सिर्फ कूटनीतिक मजबूरी है. कूटनयिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मुलाकात नए समीकरण गढ़ सकती है, लेकिन भरोसा बनना अभी आसान नहीं है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 1 Sept 2025 10:03 AM IST

SCO Summit 2025 Tianjin: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ अब वैश्विक स्तर पर विवाद का विषय बन गया है. इस मसले पर ट्रंप के गैर वाजिब और आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत ने ड्रैगन से हाथ मिला लिया. इसका सीधा असर यह हुआ कि भारत और चीन के बीच रिश्ते तेजी से सामान्य होने लगे हैं. इसकी झलक 31 अगस्त, 2025 को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भी देखने को मिला. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई. शी जिनपिंग खुद पीएम मोदी का आगवानी करते देखे गए. साल 2020 की गलवान घाटी झड़प और तनाव के बाद संबंधों की पूर्ण बहाली और सहयोग पर चर्चा हुई. हालांकि, लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद, चीन के पक्ष में भारी व्यापार घाटा और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण पूरी तरह से भरोसा करना आज भी अहम सवाल है. फिलहाल, जानिए, दोनों देशों के बीच रिश्तों में गर्माहट की शुरुआत के पहले दिन क्या-क्या हुआ?

भारत-चीन के बीच नए संबंधों की शुरुआत से जुड़े 10 बातें

1. अगस्त 2025 में तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में,प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने मोदी की चीन यात्राओं में सात साल के अंतराल के बाद द्विपक्षीय संबंधों को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से व्यापक वार्ता की. राष्ट्रपति शी ने दोनों देशों को 'प्रतिद्वंद्वी' नहीं बल्कि विकास का भागीदार बताया तो पीएम मोदी ने आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर जोर दिया.

2. दोनों नेताओं ने लद्दाख में सैनिकों की सफल वापसी पर संतोष व्यक्त किया. यह समझौता 2024 के अंत में हुआ और चार साल से चले आ रहे सैन्य गतिरोध का समाधान हुआ.

3. प्रधानमंत्री मोदी ने सैनिकों की वापसी के बाद "सीमाओं पर शांतिपूर्ण माहौल" की बात स्वीकार की, जो द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. दोनों नेताओं ने सीमा प्रश्न के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

4. हालांकि भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर धारणाओं में मतभेद के साथ, मूल सीमा विवाद अब भी जस की तस है. देपसांग, डेमचोक और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्र विवादास्पद बने हुए हैं.

5. वित्तीय वर्ष 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 118 अरब डॉलर से अधिक हो गया. जबकि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगभग 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और सौर सेल जैसे महत्वपूर्ण आयातों के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है, जिससे संभावित लाभ उठाने को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.

6. अंतरराष्ट्रीय स्तर के सियासी विश्लेषकों का कहना है कि हथियार और कारोबारी निर्भरताओं को लेकर सुझाव दिया कि भारत को चीन के साथ रिश्ता मजबूत करते समय आर्थिक जोखिम कम करने की कोशिश करनी चाहिए. इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों में उन्नत तकनीक साझा करने में चीन की अनिच्छा इस दिशा में अहम बाधा है.

7. दोनों देशों के संबंधों में सुधार की दिशा में कदम उठाते हुए सीधी हवाई उड़ानें और कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर शुरू हो गई हैं. संबंधों को मजबूत करने के लिए लोगों के बीच आदान-प्रदान पर भी जोर दिया गया है.

8. भारत और चीन दोनों "रणनीतिक स्वायत्तता" की अपनी खोज की पुष्टि करते हैं और कहते हैं कि उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. यह संयुक्त राज्य अमेरिका को एक संकेत भेजता है और एक बहुध्रुवीय विश्व में दोनों देशों की भूमिका को दर्शाता है.

9. इस बार भारत वैश्विक स्तर पर ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ नीति के तहत चीन से बातचीत कर रहा है, लेकिन अमेरिका और इंडो-पैसिफिक देशों से भी सहयोग जारी रखेगा. इस लिहाज दोनों देश एक-दूसरे का BRICS और SCO मंच पर भारत इन बहुपक्षीय संगठनों में साझेदारी नए समीकरण गढ़ने में सहयोग कर सकते हैं.

10. चीन की पाकिस्तान से करीबी और सी-पैक (CPEC) परियोजना भारत के लिए बड़ी चुनौती है. चीन की कंपनियों के भारत में निवेश पर रोक ढीली करने को लेकर भी बातचीत के संकेत हैं. नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार में चीन का दखल भारत की चिंता का विषय है. इसलिए, भरोसा तभी बनेगा जब सीमा विवाद हल हों, व्यापार संतुलित हो और पारदर्शिता कायम हो.

Full View

Similar News