-45°C तापमान में LAC पर ड्यूटी करने वाले जवानों के लिए बड़ी खबर, अब बनेंगी मौसम अनुकूल बॉर्डर पोस्ट, दुश्मनों पर...
India China Border: भारत पाक सीमा और भारत चीन सीमा पर आईटीबीपी के जवानों के लिए लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम इलाकों में आधुनिक सीमा चौकियां बनाई जाएंगी. ताकि सेना के जवान बेहतर स्थिति में रह सकें और देश की सुरक्षा को बनाए रख सकें. केंद्र सरकार ने बहुत जल्द सेना को सीमा चौकियों का निर्माण कराने का भरोसा दिया है.;
India China LAC Border: कश्मीर घाटी के सियाचिन, लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत-चीन से लगते दुर्गम इलाके और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर आईटीबीपी के जवान हमेशा ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. ऐसे जवानों के लिए सीमा चौकियां न होने से वे लोग अभी तक काफी परेशानी का सामना करते आए हैं. अब सेना के जवानों को इन समस्याओं का सामना नहीं करना होगा. ऐसा इसलिए कि केंद्र सरकार की योजना भारतीय जवानों को आधुनिक सीमा चौकियां इन इलाकों में मुहैया कराने की है. यानी भारतीय सेना के जवानों को इन इलाकों में बहुत जल्द चौकियां मिलेंगी, लेकिन इस स्थिति तक पहुंचने में दशकों लग गए.
सीमा चौकियां लगभग 19,000 फीट की ऊंचाई पर सर्दियों में शून्य से 45°C नीचे गिर जाने वाले तापमान में भी जलवायु-अनुकूल होंगी. इससे जवानों को देश की सीमाओं पर हर पल पैनी नजर रखने में मदद मिलेगी.
इन क्षेत्रों में बनाई जाएंगी चौकियां
CNN-News18 की विशेष रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी दस्तावेज मिला है, जिसमें भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) द्वारा 1.25 करोड़ रुपये की लागत से एक सलाहकार नियुक्त करने की योजना का भी जिक्र है. ताकि चरम जलवायु और ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए एक सीमा चौकी (BOP) का डिजाइन तैयार करना संभव हो सके.
आईटीबीपी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सबसे चुनौतीपूर्ण भूभाग और कठोर जलवायु परिस्थितियों में तैनात है, जिसके कारण जलवायु-अनुकूल बीओपी की आवश्यकता होती है.
चौकियां जरूरी क्यों?
सरकारी दस्तावेज के मुताबिक इन इलाकों में आधुनिक सीमा चौंकियां बनने का मकसद चुनौतीपूर्ण और दुर्गम भूभाग में तैनात सेना के जवानों को आरामदायक रहने की स्थिति प्रदान करना और सैनिकों की परिचालन प्रभावशीलता, त्वरित तैनाती क्षमता और कल्याण को बढ़ाना है.
किन-किन सुविधाओं से होंगी लैस
आधुनिक सीमा चौकियां यानी बीओपी में एकीकृत हीटिंग, वेंटिलेटेड और एयर-कंडीशनिंग (एचवीएसी) प्रणालियों के साथ-साथ ऊर्जा दक्षता के लिए नवीकरणीय ऊर्जा समाधान (सौर/पवन) जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. ताकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम से कम रहे.
9 से 18,800 फीट की ऊंचाई पर हैं बनेंगी
आईटीबीपी की अधिकांश बीओपी समुद्र तल से 9,000 फीट से 18,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित सबसे दुर्गम और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में स्थित हैं. इन क्षेत्रों में मौसम की स्थिति बेहद कठोर होती है और सर्दियों में तापमान -45°C तक गिर जाता है.
भूमिगत बंकर बनाने की भी योजना
सरकारी दस्तावेज में कहा गया है कि विचार एक आधुनिक निर्माण पद्धति का है जो उच्च-ऊंचाई के अनुकूल हो ताकि "तेज निर्माण और दूरदराज के इलाकों में परिवहन में आसानी हो". सरकार भारी बर्फबारी और भूकंपीय गतिविधियों का सामना करने के लिए प्राकृतिक इन्सुलेशन और संरचनात्मक स्थिरता के लिए भूमिगत बंकरों और उपयोगिता क्षेत्रों पर भी विचार कर रही है.
आईटीबीपी की सीमा चौकियां कंपनी स्तर और प्लाटून स्तर दोनों पर हैं, जिनकी अधिकतम क्षमता क्रमशः 128 और 40 जवानों की है. अधिकांश आईटीबीपी सीमा चौकियों पर सर्दियों में पानी जमने की समस्या होती है. कुछ सीमा चौकियां सड़क मार्ग से जुड़ी नहीं हैं और पैदल मार्ग से लोगों और सामग्रियों का परिवहन होता है.
बता दें कि भारत साल 2017 और 2020 में डोकलाम और गलवान गतिरोध के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को लगातार उन्नत कर रहा है.