हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर वसूली! सीमेंट, सरिया और पानी की बोतल तक मंहगे दाम पर खरीदने को मजबूर लोग
हलाल सर्टिफिकेट का मामला एक बार फिर चर्चाओं में है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, अदालत ने बताया कि उन चीजों को भी हलाल सर्टिफिकेशन देकर अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है जो हलाल प्रोडक्ट है ही नहीं. आपको बता दें कि इस लिस्ट में बेसन, आटा, सरिया, सीमेंट भी शामिल थे.;
भारत में कई बार हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री, प्रोडक्शन और डिस्ट्रीूब्यूशन को लेकर चर्चा रही है. लंबे समय से इसे लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है. वहीं एक बार फिर ये मामला चर्चाओं में है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में हलाल सर्टीफिकेट देकर गैर हलाल प्रोडक्ट्स को अधिक कीमत में बेचने को लेकर चर्चा हुई. अदालत में बताया गया कि कुछ लाख करोड़ रुपये उन प्रोडक्ट्स के सर्टिफिकेट के लिए गए, जो हलाल प्रोडक्ट्स है ही नहीं. इसमें सीमेंट, सरिया और पानी की बोतल भी शामिल हैं, और इनकी कीमतें बड़ी है.
अदालत को बताया गया कि सीमेंट, बेसन, आटा और पानी की बोतल जैसे प्रोडक्ट्स को इस लिस्ट में एड किया जा रहा है. जबकी ये प्रोडक्ट्स नॉन वेजिटेरियन लिस्ट में भी नहीं आते. अदालत ने सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर बेसन कैसे हलाल या गैर-हलाल हो सकता है. उन्होंने कहा बात सिर्फ खाने पीने की चीजों तक ही नहीं सीमित सीमेंट जैसी चीजों को भी सर्टिफिकेट दिया जा रहा है.
लाखों करोड़ो कमा रही कंपनियां
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को बताया कि वो ये जानकर हैरान हुए कि ऐसी चीजों को भी फूड आइटम्स में शामिल करके उन्हें हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जहां तक बात अगर मांस से बने प्रोडक्ट्स को हलाल सर्टिफिकेट देने की है, तो इस पर किसी को आपत्ति नहीं होगी. लेकिन जिन गैर हलाल प्रोडक्ट्स को सर्टिफिकेट दिया जा रहा है, उन्हें हम खरीद रहे हैं और इसके कारण उन्हें अधिक कीमतों में बेचा जा रहा है. अदालत ने कहा कि सर्टिफिकेट जारी करने वाली प्राइवेट कंपनियां इस एवज में लाखों करोड़ों रुपये कमा रही है.
महंगा सामान लेने पर क्यों हो मजूर?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता आगे कहा कि हलाल के चलते कई प्रोडक्ट को महंगे दामों पर बेचा जा रहा है. इसके पीछे का कारण हलाल का ठप्पा लगाने के लिए फीस देनी पड़ती है. लेकिन जो लोग हलाल नहीं खाना चाहते वो महंगे प्रोडक्ट खरीदने के लिए क्यों मजबूर हो? वहीं अब ये मामला अदलात ने अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया गया है. अब इस पर 1 मार्च को सुनवाई होने वाली है.