फोन और टीवी पर लगी है टकटकी, कर रहे सलामती की दुआ; सुरंग में फंसे मजदूरों के परिवार ने बताई व्यथा

तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग दुर्घटना में 8 मजदूर फंसे हुए हैं. ये मजदूर अपने परिवारों के एकमात्र कमाने वाले हैं, जिससे उनके परिजन गहरी चिंता में हैं. पंजाब, उत्तर प्रदेश, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के मजदूरों के परिवार बचाव अभियान और सरकार की मदद का इंतजार कर रहे हैं, उम्मीद और डर के बीच संघर्ष कर रहे हैं.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 25 Feb 2025 9:19 AM IST

श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग दुर्घटना में फंसे आठ मजदूरों के परिवार गहरी चिंता में हैं. इन मजदूरों में से अधिकांश अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं और उन पर कई परिवारों की जिम्मेदारी है. तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में सुरंग के 13.5 किलोमीटर अंदर छत का एक हिस्सा गिरने के कारण ये मजदूर शनिवार सुबह से फंसे हुए हैं.

इनमें उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्री निवास, झारखंड के संदीप साहू, जगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू, जम्मू-कश्मीर के सनी सिंह और पंजाब के गुरप्रीत सिंह शामिल हैं. टीवी और फोन स्क्रीन से चिपके इन परिवारों की नजरें सिर्फ एक खबर पर टिकी हैं उनके प्रियजन सुरक्षित बाहर आ जाएं. उनके लिए यह समय उम्मीद और डर के बीच का संघर्ष है, जिसमें हर पल की खबर उनके लिए जीवन-मृत्यु जैसी लग रही है.

फोन बजने की उम्मीद कर रहे परिजन

गुरप्रीत सिंह के परिवार की हालत बेहद चिंताजनक है. पंजाब के तरनतारन जिले के चीमा कलां गांव में उनकी मां दर्शन कौर और पत्नी राजविंदर कौर लगातार प्रार्थना कर रही हैं. गुरप्रीत पिछले 20 वर्षों से तेलंगाना में मशीन ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे. उनकी पत्नी ने बताया कि वह कुछ दिनों पहले ही घर से वापस काम पर लौटे थे. शनिवार को आखिरी बार उनसे बातचीत हुई थी. अब हर पल उनका फोन बजने की उम्मीद में परिवार व्याकुल है. उनकी बेटियां, जो अपने पिता की आवाज़ सुनकर ही जागती थीं, अब बिना कॉल के जाग रही हैं. गुरप्रीत की बड़ी बेटी 10वीं की परीक्षा दे रही है. और पिता के निधन के बाद घर में कमाने वाला एकलौता शख्स है. परिवार को इस हादसे की जानकारी तब मिली जब गुरप्रीत का फोन, जिसे वह सुरंग के बाहर छोड़ गए थे, उनके एक सहकर्मी ने उठाया. परिजनों का कहना है कि कंपनी से उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, और वे सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं.

कर्ज लेकर परिजन पहुंचे घटनास्थल

झारखंड के संदीप साहू के परिवार की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. 27 वर्षीय संदीप तीन भाइयों और एक बहन में सबसे बड़े हैं और परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं. उनके छोटे भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं, और पिता कोई काम नहीं करते. वह लंबे समय से निर्माण स्थलों पर काम करके परिवार का खर्च उठा रहे थे, इसलिए उन्होंने अब तक शादी नहीं की थी. संदीप की अनुपस्थिति में परिवार को गहरे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है. उनके पिता को घटनास्थल पर भेजने के लिए परिजनों को कर्ज लेकर फ्लाइट टिकट खरीदनी पड़ी.

तीन बच्चों का पिता है संतोष

इसी तरह, 37 वर्षीय संतोष साहू भी सुरंग में फंसे हुए हैं. उनकी पत्नी और तीन बच्चे झारखंड के तिर्रा गांव में रहते हैं. संतोष के दो भाई हैं, जिन्होंने अभी तक काम शुरू नहीं किया है. उनके रूममेट अजय कुमार साहू ने बताया कि संतोष अपने परिवार के लिए हर महीने 15,000 रुपये तक भेजते थे. अब जब उनका परिवार बचाव अभियान की जानकारी लेने के लिए कॉल करता है, तो अजय के पास कोई जवाब नहीं होता.

Similar News