EXCLUSIVE: “फ्रॉड अन्ना हजारे का RSS ने भट्ठा बैठाया, संघ को मोदी ने निपटा दिया, बिहार चुनाव में BJP चिराग पासवान मलाई चाटेंगे...”

कांग्रेस नेता और पूर्व भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने एक इंटरव्यू में मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने अन्ना हजारे को “फ्रॉड” कहा और दावा किया कि आरएसएस को मोदी ने कमजोर कर दिया है. उदित राज ने कहा कि बीजेपी में सिर्फ मोदी की चलेगी, बाकी सब कठपुतलियाँ हैं. साथ ही उन्होंने भविष्यवाणी की कि बिहार चुनाव 2025 में भाजपा समर्थित चिराग पासवान मलाई चाटेंगे, जबकि नीतीश कुमार का राजनीतिक ठंडापन तय है.;

By :  संजीव चौहान
Updated On : 1 Nov 2025 2:59 PM IST

“अन्ना हजारे नंबर एक के फ्रॉड कहूं या फिर गजब के टॉप-क्लास फ्रॉडिया कहूं, हैं. उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस ने डुबो दिया. तो वहीं दूसरी ओर मोदी और भाजपा ने RSS का भट्ठा बैठा दिया या कहूं कि उसे बर्फ में लगा दिया है, तो भी गलत नहीं होगा. जहां तक बात जल्दी ही होने वाले बिहार राज्य विधानसभा में राजनीतिक नफा-नुकसान की है, तो वहां 2025 के राज्य विधानसभा चुनाव में बाकी पार्टियों का तो जो होगा सो होगा, हां भारतीय जनता पार्टी मुखर होकर सामने आएगी. जिसके चलते भाजपा के मुंहलगे और इस वक्त भाजपा के चमचा नंबर-वन चिराग पासवान बिहार चुनाव में मलाई चाटेंगे.”

भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस और भाजपा पर सीधे-सीधे हमलावर हुए डॉ. उदित राज ने यह तमाम बेबाक खरी-खरी दो टूक बातें की हैं. डॉ. उदित राज भारतीय जनता पार्टी के ही पूर्व सांसद और भारत के चर्चित पूर्व ब्यूरोक्रेट हैं. जो दलितों के हक की लड़ाई के बीच भाजपा से दूर होने के चलते मय घरेलू सामान के कुछ दिन पहले ही नई दिल्ली में सड़क पर ला दिये गए. डॉ. उदित राज सरकारी कोठी से सामान फेंके जाने के बाद 28 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली स्थित नार्थ एवन्यू में “स्टेट मिरर हिंदी” के एडिटर इनवेस्टीगेशन से खास कार्यक्रम ‘पॉडकास्ट-अनफिल्टर्ड अड्डा’ के लिए लंबी बात कर रहे थे.

कौन हैं डॉ. उदित राज और सीमा राज

यहां जिक्र करना जरूरी है कि आज भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस के खिलाफ ‘आग’ उगल रहे डॉ. उदित राज बीते कल में, दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद रह चुके हैं. बाद में भाजपा और उदित राज के बीच अपनी विपरीत ‘सोच-परिपाटी-विचारों’ के चलते जब दिल में दरार आई तो नौबत उस हद तक आ पहुंची कि दिल्ली में जिस सरकारी बंगले में डॉ. उदित राज की पत्नी (रिटायर्ड राजस्व सेवा अधिकारी) सीमा राज रहती थीं, डॉ. उदित राज के आरोप के मुताबिक, “हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय उर्जा व आवास और शहरी विकास मामलों के मंत्री जिद्दी मनोहर लाल खट्टर के कथित के इशारे पर, पुलिस की मौजूदगी में सरकारी कोठी से उनका सब सामान चंद घंटों में दिन-दहाड़े बेरहमी से घर के बाहर सड़क पर फिंकवा दिया.”

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सरकारी कोठी पर कब्जा करना उचित कैसे?

हालांकि डॉ. उदित राज और उनकी पत्नी सीमा राज के इन तमाम आरोपों कहिए या फिर दलील पर सरकारी मशीनरी कोई आंए-बाएं-दांए किए बिना सिर्फ इतना ही बताती है कि, “सीमा राज और उदित राज जबरिया सरकारी कोठी में कब्जा जमाए बैठे थे. जब उनका सरकारी बिल्डिंग में रहने का वक्त पूरा हो चुका था. तब काहे को दंपत्ति जबरिया ही गवर्मेंट एकमोटेशन को घेरे हुए था. ऊपर से सरकारी कोठी-बंगला खाली न करना हो. इसको खाली करने का मामला कोर्ट कचहरी के कानूनी पचड़ों-लफड़ों में फंस जाए. इस बेईमान उम्मीद के साथ मामले को दंपत्ति द्वारा कोर्ट तक में घसीट कर ले जा फेंका. सरकारी संपत्ति सिर्फ सरकार की हो सकती है. उसके ऊपर किसी भी व्यक्ति-विशेष का कोई मौलिक या कानूनी अधिकारी भला कैसे हो सकता है. सरकारी आवास को खाली न करने के सौ-सौ बहाने बनाकर उसमें जबरिया डेरा जमाए रहना कहां किस कानून की किताब में लिखा है.”

मोदी और बीजेपी की कथनी-करनी में फर्क

जब आपका या आपकी पूर्व ब्यूरोक्रेट पत्नी का सामान नियमानुसार सरकारी कोठी से दिल्ली की सड़कों पर फिंकवा दिया, तब आप बीजेपी, मोदी और संघ के खिलाफ दावानल की तरह आज आग उगल रहे हैं. कल तक जब आप खुद भी दिल्ली से इसी भारतीय जनता पार्टी और इन्हीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शरणागत यानी छत्रछाया में लोकसभा सांसद हुआ करते थे, तब आपने कभी इस तरह का खरा-खरा नहीं बोला? तब क्या आपको अपनी सांसद की कुर्सी सुरक्षित रखने का खौफ डरा रहा था? कई सवालों का सिलसिलेवार जवाब देते हुए पूर्व भाजपा सांसद डॉ. उदित राज बोले, “दरअसल राजनीति में कोई परमानेंट दोस्त और दुश्मन नहीं रहता-होता है. सब कुछ काल पात्र समय विचारों के मिलने न मिलने पर निर्भर करता है. शुरुआती दौर में जब मुझे लगा कि बीजेपी दलितों के हित की बात कर रही है तो मैं बीजेपी में और मोदी जी की टीम में शामिल हुआ. जैसे ही मुझे लगा कि नहीं नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की कथनी-करनी में भयानक कहूं या खौफनाक फर्क है. तो खुद को अलग कर लेने में ही दलितों का हित समझा.”

सांसद बनाया BJP ने चाय नाश्ता कांग्रेस के साथ

आप जब दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा सांसद थे, तब अक्सर या कहूं कि बहुतायत में संसद-सदन के भीतर भारतीय जनता पार्टी को चुभने-अखरने वाले ही सवाल पूछते रहते थे. इस पर भी आपको तसल्ली नहीं हुई तो आप भाजपा सांसद रहते ही कांग्रेस की पहली सीढ़ी पर मौजूद वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जैसे मल्लिकार्जुन खड़गे आदि के साथ संसद की कैंटीन में गलबहियां करने लगे. क्या यह सच नहीं है. अगर यह सच है तब फिर सोचिए कि चाहे मोदी जी बीजेपी हो या फिर कोई अन्य पार्टी और उसका कोई वरिष्ठ नेता. कौन आपकी इन बेजा हरकतों को बर्दाश्त करेगा और क्यों, कि आपको सांसद बनाकर तो लोकसभा में बीजेपी-मोदी ने भेजा. जबकि संसद की कैंटीन में आप भाजपा सांसद होने के बाद भी चाय-नाश्ता करते हुए गॉसिप कर रहे थे कांग्रेसी नेताओं और मल्लिकार्जुन खरगे जी के साथ. क्या आप किसी पार्टी के सर्वे-सर्वा हों तो आप अपने किसी अपने जैसे ही विश्वासपात्र को बर्दाश्त करेंगे?

उसूलों वाला कोई क्यों, कैसे बर्दाश्त करेगा

स्टेट मिरर हिंदी के तमाम सवालों के जवाब में पूर्व भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने कहा, “दरअसल सब विचारों के मिलन और विचारों में वैमनस्यता का तमाशा और परिणाम होता है. मैं बेशक लोकसभा में सांसद तो बीजेपी का ही बनकर पहुंचा था. करीब पहुंच कर मैंने मगर जब मोदी और बीजेपी का असली चेहरा-चरित्र देखा तो मन व्यथित होने लगा. खुद को बीजेपी में और मोदी के सामने ले जाने से पहले मैं 100 बार सोचने लगा. इसलिए नहीं कि मोदी और बीजेपी मेरे हिसाब-किताब से नहीं चल रहे थे, उदित राज को बीजेपी और मोदी से डर लगता था. अपितु इसलिए कि बीजेपी और मोदी के दो-दो चेहरे देखने के बाद मेरे मन में उनसे दूर हो जाने का भाव पैदा हो गया. दरअसल मोदी या आज मोदी की बीजेपी कतई यह बर्दाश्त नहीं कर सकती है कि भाजपा में कोई आज भाजपा के हित की बात करे. भाजपा के अंदर मौजूद हर आदमी नेता-कार्यकर्ता को सिर्फ और सिर्फ मोदी-मोदी-मोदी के ही मन-माफिक बात करनी है. तभी कोई भी बीजेपी के भीतर जिंदा या खड़ा रह सकता है. यह कहां का और कैसे नियम कानून है कि कोई व्यक्ति-विशेष (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) पार्टी से ऊपर ही नहीं सर्वोपरि बन जाए. वह भी मोदी जैसी ऐसी शख्शियत के सामने, जिसके सामने दूसरा मच्छर-मख्खी से ज्यादा कुछ हो ही न.”

RSS-BJP के दांव को समझना जरूरी वरना...

स्टेट मिरर हिंदी के साथ अपनी बेबाक लंबी बात बेखौफ अंदाज में जारी रखते हुए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट डॉ. उदित राज कहते हैं, “देखिए बीजेपी या आरआरएस इस कदर के घाघ-मक्कार हैं कि यह दोनों जब अपना दांव चलते हैं तो उस दांव को समझने के लिए कोई बहुत ही पैनी नजर वाला चाहिए. वरना जो इनके दांव या इनके द्वारा फेंके गए पासे को नहीं समझ पाया समझो वह इनके द्वारा तैयार कीचड़ के दलदली तालाब में जा फंसेगा और उसे फंसा हुआ देखकर यह सब बेशर्मी के साथ ताली बजाकर हंसते हैं. उदाहरण के लिए अन्ना हजारे और उनका दिल्ली के रामलीला मैदान में आंदोलन के नाम पर हुआ तमाशा ही ले लीजिए. अन्ना हजारे खुद को काबिल समझते थे. वे कितने काबिल थे इसका नमूना देख लीजिए दुनिया के सामने है. आज अन्ना हजारे का कोई नाम लेवा नहीं बचा है. अरविंद केजरीवाल अन्ना हजारे जैसे फ्रॉड के भी गुरु निकले. सरकार बनाई. मुख्यमंत्री बनकर मलाई चाटी और अब तिहाड़ जेल की सैर कर-कराके देखो कैसे दिल्ली में अपनी लुटिया डुबोकर मुंह छिपाकर घर में छिपकर बैठ गए.

संघ-बीजेपी को नरेंद्र मोदी हांक रहे हैं

अन्ना हजारे दरअसल खुद को जितना बड़ा ‘सूरमा’ समझ रहे थे उन्हें उनकी की ही चतुर चाल में फांसकर उनसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस ने ऐसी गुलाटी मरवाई कि, आज तक अन्ना उल्टे ही लटके पड़े हैं. आरएसएस के मारे हुए अन्ना अब तक सीधे होकर उठ-बैठ तक नहीं पा रहे हैं. अन्ना दरअसल नंबर एक के फ्रॉड या कहूं फ्रॉडिया हैं. जिन्होंने अपने से भी घाघ अरविंद केजरीवाल का जाने-अनजाने भला जरूर करवा दिया. अन्ना को सच पूछिए तो वह जिस लायक थे उसी भाषा में घाघ संघ वालों ने निपटा दिया. हां, यहां जिक्र इसका भी करना जरूरी है कि संघ जो खुद को बहुत चतुर-चालाक समझता है. उसे (आरएसएस को) कालांतर में कभी अपने ही चहेते रह चुके और आज बीजेपी को अपने चाबुक से हांकने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निपटा दिया है. देशवासी यह सोच बदलें कि संघ बेजीपी या मोदी को चला रहा है. आज मास्टरमाइंड मोदी ने सब बदल डाला है. फिर चाहे वह संघ हो, बीजेपी पार्टी या फिर मंत्री-संतरी. मोदी सबको आज अपने हिसाब से हांक रहे हैं. और उनके चाबुक से मार खाके सब हंकने को भी तैयार हैं. ऐसा मोदी न कैसे और क्यों किया? यह मोदी जी ही बता सकते हैं. मैं तो वही बता रहा हूं जो अपनी अनुभवी पैनी नजर से देख रहा हूं.”

नीतीश ठंडे होंगे, चिराग पासवान मलाई चाटेंगे

इन दिनों बिहार में राज्य विधानसभा चुनाव 2025 का बुखार चढ़ा हुआ है. आप तो कांग्रेस बीजेपी दोनो को ही अंदर तक जानते हैं क्या लगता है बिहार में इस बार क्या खेला हो सकता है? पूछने पर आज भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी से खार खाए बैठने के चलते पानी पी-पी कोस रहे पूर्व भाजपा सांसद और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट डॉ. उदित राज ने कहा, “बिहार में सरकारी मशीनरी के बलबूते भाजपा और उसका समर्थित-साझीदार पार्टी-दल फिर सरकार बनाएंगे. नीतिश बाबू का पत्ता साफ होगा, मगर इन दिनों मोदी और भाजपा के मुंहलगे युवा भाईजपाई चमचा चिराग पासवान बिहार चुनाव 2025 के परिणामों से मलाई चाटते दिखाई देंगे. नीतीश कुमार को बर्फ में लगाने का इंतजाम भाजपा ने चिराग पासवान की पीठ सामने करके पक्का कर लिया है.”

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