राशिद इंजीनियर से क्यों लिया जाता है हर दिन 1.5 लाख रुपये? संसद में हाथ जोड़कर निर्दलीय सांसद ने कहा- अब शायद न आ पाऊं

जम्मू-कश्मीर के बारामुला से निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कहा कि यह शायद उनकी आखिरी बहस है, क्योंकि उन्हें हर बार संसद आने के लिए 1.5 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जो वह नहीं उठा सकते. राशिद टेरर फंडिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद हैं और कोर्ट ने उन्हें कस्टडी पैरोल दी है, जिसकी शर्तों के अनुसार यात्रा और सुरक्षा का खर्च उन्हें खुद उठाना पड़ता है.;

( Image Source:  Sansad TV )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 30 July 2025 4:07 PM IST

Engineer Rashid emotional speech in Lok Sabha: संसद में मंगलवार (29 जुलाई) को उस वक्त भावुक क्षण देखने को मिला, जब जम्मू-कश्मीर के बारामुला से निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद ने सदन में खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए कहा, "अब शायद यहां न आ सकूं, क्योंकि मेरे पास हर दिन का डेढ़ लाख रुपये नहीं है."

तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर राशिद को संसद में आने के लिए कोर्ट से कस्टडी पैरोल मिली हुई है, लेकिन संसद तक उनकी सुरक्षा, यात्रा और अन्य खर्चों का भार खुद सांसद पर ही डाला गया है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि उन्हें संसद में शामिल होने के लिए हर दिन करीब 1.5 लाख रुपये का खर्च खुद वहन करना होगा. इसी वजह से राशिद ने कहा कि इतने भारी खर्च के कारण अब वह आगे संसद में शामिल नहीं हो पाएंगे.

संसद में भावुक हुए राशिद

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चल रही बहस में हिस्सा लेते हुए इंजीनियर राशिद ने कहा, "यह घटना मेरे संसदीय क्षेत्र में हुई है. वहां के लोग डरे हुए हैं, परेशान हैं. कृपया मुझे बोलने दीजिए." उन्होंने यह भी जोड़ा,"हम कश्मीरियों से ज़्यादा उन परिवारों का दर्द समझ सकते हैं, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने लोग खोए. हम 1989 से लगातार लाशें उठा रहे हैं, कब्रिस्तान देख रहे हैं." राशिद ने इस आतंकी हमले को 'इंसानियत का कत्ल' बताया और कहा कि अब शायद वह संसद न आ पाएं क्योंकि इतनी बड़ी राशि चुकाना उनके लिए संभव नहीं है.

जेल से चुनाव, फिर संसद तक

गौरतलब है कि इंजीनियर राशिद टेरर फंडिंग मामले में NIA द्वारा गिरफ्तार किए गए थे और पिछले कई वर्षों से जेल में हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव भी जेल से ही लड़ा और जीते भी. संसद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए उन्होंने कोर्ट से कस्टडी पैरोल मांगी थी, जो उन्हें 24 जुलाई से 4 अगस्त तक के लिए दी गई.  हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इस दौरान उनकी सुरक्षा, यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं का खर्च सरकार नहीं बल्कि खुद सांसद उठाएंगे.यही कारण है कि राशिद ने खुद सदन में खड़े होकर कहा कि वे शायद अगली बार यहां न आ सकें.

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