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यहां 'चीन गुरु' बैठे हैं... 22 अप्रैल-16 जून तक मोदी-ट्रंप की नहीं हुई बात; राज्यसभा में क्या बोले विदेश मंत्री? Video

राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विपक्ष के हर सवाल का तथ्यात्मक और तीखा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि भारत अब ‘पहचान और प्रत्युत्तर’ की नीति पर काम करता है. सिंधु जल संधि पर नेहरू सरकार को घेरा और कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे. मोदी-ट्रंप कॉल विवाद पर भी विपक्ष को करारा जवाब मिला.

यहां चीन गुरु बैठे हैं... 22 अप्रैल-16 जून तक मोदी-ट्रंप की नहीं हुई बात; राज्यसभा में क्या बोले विदेश मंत्री? Video
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 30 July 2025 3:13 PM

लोकसभा के बाद जब ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष ने राज्यसभा में मोर्चा खोला, तब विदेश मंत्री एस. जयशंकर न सिर्फ तथ्यों से लैस थे, बल्कि उनका लहजा भी आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से भरा था. उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब किसी आतंकी हमले के बाद सिर्फ़ निंदा नहीं करता, बल्कि कार्रवाई करता है. जवाब ऐसा कि पूरी दुनिया देखे. उन्होंने ऑपरेशन की बारीकियां साझा करते हुए यह भी बताया कि सरकार की नीति अब 'प्रतीक्षा और प्रतिक्रिया' नहीं, बल्कि 'पहचान और प्रत्युत्तर' की है. इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को चीन गुरु कहा.

जयशंकर ने एक निर्णायक मोड़ पर बात करते हुए बताया कि भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश दिया कि अब खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे. सिंधु समझौते को इतिहास की सबसे उदार और असंतुलित संधियों में गिनते हुए उन्होंने यह भी कहा कि जब देश पर हमले हो रहे हों, तब उदारता की कोई जगह नहीं बचती. पाकिस्तान की जल निर्भरता को दबाव का हथियार बनाकर भारत ने कूटनीति और भू-राजनीति का अनोखा मेल प्रस्तुत किया.

इतिहास से सबक लेना ज़रूरी

सिंधु संधि की बात आते ही जयशंकर ने सीधा इतिहास में प्रवेश किया और नेहरू सरकार की नीतियों पर गहरी चोट की. उनका कहना था कि कौन-सा राष्ट्र अपनी जीवनरेखाओं को किसी अन्य देश के हवाले करता है? यह कोई दयालुता नहीं, रणनीतिक भूल थी. जयशंकर ने कहा कि आज जब भारत इस संधि को स्थगित करता है, तब यह ज़रूरी है कि जनता को उस ऐतिहासिक भूल की जानकारी हो, जो दशकों से भारत को रणनीतिक रूप से कमजोर करती रही.

दुनिया को दिखाया आत्मरक्षा का अधिकार

भारत ने न सिर्फ़ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि उससे पहले और बाद में दुनिया भर की सरकारों से संवाद कर यह सुनिश्चित किया कि भारत की छवि आक्रामक नहीं, बल्कि आत्मरक्षक की बने. जयशंकर ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले कई देशों ने भारत से संपर्क किया, क्योंकि उन्हें लगा कुछ बड़ा होने वाला है. भारत ने हर एक को साफ बताया कि यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत, आत्मरक्षा के अधिकार में की जा रही है.

पहलगाम हमला: एक नियोजित नरसंहार

जयशंकर ने बताया कि पहलगाम का हमला कोई सामान्य आतंकी घटना नहीं थी. लोगों से धर्म पूछकर, परिवारों के सामने गोली मारी गई. यह सिर्फ़ हमला नहीं था, बल्कि एक समुदाय विशेष के खिलाफ सशस्त्र नरसंहार की शुरुआत थी. भारत ने इसे नज़रअंदाज करने के बजाय इसे एक रेड लाइन घोषित किया और जब रेड लाइन पार हो गई, तो जवाब भी असाधारण दिया गया.

तहव्वुर राणा को लाया गया भारत

जयशंकर ने मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा का नाम लेकर यह दर्शाया कि भारत अब सिर्फ़ निंदा या प्रतीक्षा नहीं करता. उन्होंने बताया कि कैसे भारत सरकार ने अमेरिका से कानूनी लड़ाई के ज़रिए इस दोषी को भारत लाकर संदेश दिया कि "सालों पहले का अपराध भी आज जवाब पाएगा." यह भारत की नई विदेश नीति का दूसरा चेहरा है- कूटनीति के साथ क़ानून.

मोदी-ट्रंप की बातचीत का दिया जवाब

राज्यसभा में जब कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले क्या प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन कॉल या सहमति हुई थी. इसपर जयशंकर ने जवाब में सीधा टाइमलाइन रख दी कि 22 अप्रैल से 16 जून के बीच पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच एक भी कॉल नहीं हुआ. उन्होंने यह बात जयराम रमेश को मुखातिब होकर कही और पूरे सदन में सन्नाटा फैल गया. यह न सिर्फ़ तथ्य का जवाब था, बल्कि विपक्ष की रणनीति पर सीधा हमला भी था.

रणनीति से अडिग सरकार

जयशंकर ने अंत में तंज भरे लहजे में कहा, “जब हम इतिहास की बात करते हैं, तो कुछ लोग डिस्टर्ब हो जाते हैं.” यह संदेश साफ था कि सरकार न तो अतीत की गलतियों से आंखें मूंदे बैठी है और न ही आतंकवाद पर कोई नरमी दिखाने वाली है. ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ़ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की नई सैन्य-कूटनीतिक-सामरिक परिभाषा का प्रतीक बन चुका है.

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