ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बवाल! विपक्ष ने पूछे 10 तीखे सवाल, सरकार ने दिए पलटवार वाले जवाब
संसद के मानसून सत्र में पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर तीखी बहस हुई. विपक्ष ने सरकार से 10 अहम सवाल पूछे कि आतंकी कहां से आए, दोषी कहां गए, PoK क्यों नहीं लिया? जवाब में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री ने पूरी मजबूती से सरकार का पक्ष रखा और आंकड़ों के साथ विपक्ष के आरोपों को खारिज किया.

संसद का मानसून सत्र इस बार आतंकवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और सरकार की जवाबदेही के प्रश्नों से घिरा रहा. पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिनों से तीखी बहस चल रही है. सोमवार को जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा की शुरुआत की, वहीं मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और विपक्ष के नेता राहुल गांधी जैसे प्रमुख चेहरों ने अपने-अपने पक्ष रखे.
विपक्ष का मुख्य फोकस सरकार से जवाब मांगने पर रहा- क्या सुरक्षा चूक हुई थी? आतंकवादी कहां से आए? दोषियों का क्या हुआ? और क्या भारत इस अवसर का व्यापक सामरिक लाभ उठा पाया? वहीं सरकार ने हर सवाल का जवाब संसद पटल पर दस्तावेज़ों, आंकड़ों और तर्कों के साथ दिया. आइए, जानते हैं वो 10 बड़े सवाल जो विपक्ष ने संसद में पूछे और सरकार ने क्या उत्तर दिए.
पहलगाम का जिम्मेदार कौन? आतंकी कहां से आए?
विपक्ष का सबसे ज़रूरी सवाल यही था – हमले की ज़िम्मेदारी किसकी है? आतंकवादी किस रास्ते से भारत में घुसे? इसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे और यह तथ्य खुफिया रिपोर्ट से पुष्ट है. उन्होंने पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा कि “क्या सबूत चाहिए कि वे पाकिस्तान से नहीं आए?” उन्होंने विपक्ष पर पाकिस्तान को बचाने की कोशिश का आरोप लगाया.
पहलगाम हमले के दोषी कहां गए?
कई सांसदों ने पूछा कि हमले में शामिल आतंकी कहां हैं, उनका क्या हुआ? इसके जवाब में अमित शाह ने बताया कि ऑपरेशन महादेव के तहत सुलेमान, जिबरान और अबू हमजा को मार गिराया गया. इनमें से कुछ आतंकियों का अतीत चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान के आतंकी गतिविधियों से जुड़ा था. यानी जो आतंकी पहले बच निकले थे, उन्हें अब खत्म किया गया है.
भारत के कितने विमान गिरे?
विपक्ष ने इस ऑपरेशन में भारत की हवाई शक्ति को लेकर सवाल उठाया. इसके जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे 'जन भावना के विपरीत' बताते हुए कहा कि यह पूछने की बजाय कि भारत ने क्या खोया, यह पूछा जाना चाहिए कि हमने क्या हासिल किया. उन्होंने कहा, “हां, ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह सफल रहा, और हमने आतंकी ठिकानों को तबाह किया.”
आईबी चीफ ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया?
प्रियंका गांधी ने पूछा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख को सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देना चाहिए था. इसका अमित शाह ने सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन यह स्वीकार किया कि सुरक्षा में चूक हुई थी. उन्होंने बताया कि हमले के बाद तत्काल कार्रवाई की गई, और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए रणनीतिक कदम उठाए गए हैं.
गृह मंत्री ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया?
प्रियंका गांधी द्वारा पूछा गया यह तीखा सवाल सीधे अमित शाह पर केंद्रित था. तब अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि 2014 से अब तक देश के बाकी हिस्सों में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ. 2004-2014 के आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने कहा कि तब की तुलना में आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई है, और यह सरकार की सुरक्षा नीति की सफलता है.
पहलगाम में पहले से सुरक्षा क्यों नहीं थी?
गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी ने पूछा कि पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाके में सुरक्षा बल पहले से क्यों तैनात नहीं थे? इसके जवाब में अमित शाह ने बताया कि बैसारन घाटी में अमरनाथ यात्रा से पहले सुरक्षा बल तैनात नहीं किए जाते हैं. चूंकि यात्रा जून में होती है और हमला अप्रैल में हुआ, इस वजह से वहां सुरक्षा व्यवस्था में अस्थायी कमी थी. लेकिन सरकार ने तुरंत कार्रवाई की.
कल ही ऑपरेशन महादेव क्यों हुआ?
अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि ऑपरेशन सावन के सोमवार को ही क्यों हुआ, क्या इसमें प्रतीकात्मकता थी? इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि जब आतंकियों को मारा गया तो सवाल किया गया कि “कल ही क्यों?” जबकि इससे पहले पूछा जा रहा था कि “कब मारेंगे?” उन्होंने विपक्ष की मानसिकता पर सवाल उठाया, “इन लोगों का क्या हाल है?”
ट्रंप ने सीजफायर का ऐलान क्यों किया?
क्या अमेरिका ने भारत पर कोई दबाव डाला? इसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर और पीएम मोदी दोनों ने कहा कि अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ. ट्रंप के कथन को गलत बताया गया. असल में पाकिस्तान के DGMO ने भारत से सीजफायर की गुहार लगाई थी.
पीएम मोदी सर्वदलीय बैठक में क्यों नहीं आए?
मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि पीएम राष्ट्रीय मुद्दे को छोड़कर बिहार में रैली करने चले गए. इसके जवाब में जेडीयू सांसद ललन सिंह ने बताया कि पंचायती राज दिवस पर पीएम हर साल राज्यों में जाते हैं. इस साल भी कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था और प्रधानमंत्री मधुबनी में थे. उन्होंने पहले ही बैठक के लिए जिम्मेदारी मंत्रियों को सौंप दी थी.
मौका था तो PoK क्यों नहीं लिया?
गौरव गोगोई ने सवाल किया कि जब हाथ में मौका था तो पीओके क्यों नहीं लिया गया? इसपर पीएम मोदी ने तीखा पलटवार करते हुए कहा, “पहले उनसे पूछिए जिनकी नाकामी से पीओके बना.” उन्होंने कहा कि 1971 में मौका था, लेकिन तब की सरकार ने पीओके नहीं लिया. इतिहास की गलतियों पर आज सवाल नहीं उठाया जा सकता.