यासीन मलिक की खतरनाक कहानी, ISI और लश्कर से मांगी थी जान की भीख; RSS और शंकराचार्यों से...
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट प्रमुख रहे यासीन मलिक के भारत विरोधी कारनामे को लेकर बड़ा मामला सामने आया है. मलिक को लेकर खुलासा यह हुआ है कि उसने साल 2013 में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और ISI से अपनी जान की भीख मांगी थी. यह घटनाक्रम यासीन मलिक के जीवन के अनकही पहलू को उजागर करता है, जो उसके देश विरोधी राजनीतिक और व्यक्तिगत संघर्षों का प्रतीक है.;
अलगाववादी विचारों और उससे जुड़े हिंसक घटनाओं को लेकर चर्चित रहा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन महिला को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. इस समय वह जेल में है. उसके कारनामों को लेकर खुलासा यह हुआ है कि साल 2013 में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और ISI से अपनी जान की भीख मांगी थी. सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और आतंकी संगठन मलिक की गतिविधियों से नाराज थे, क्योंकि उन्हें शक था कि वह भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है.
इस मामले खुलासा होने के बाद लश्कर ने मलिक की हत्या की योजना बनाई थी, जिसकी जिम्मेदारी एक ऑपरेटिव हिलाल डार को सौंपा गया था. सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हिलाल डार की गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद साजिश विफल हो गई.
चरम पर था अलगाववादी आंदोलन
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने एक बार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सामने अपनी जान की भीख मांगी थी? यह घटना 2013 की है जब जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन उथल-पुथल चरम पर था.
लश्कर ने शक होने पर रची थी साजिश
खुफिया जानकारी से पता चला है कि सोपोर निवासी लश्कर के आतंकवादी हिलाल डार को 2012 में मलिक की हत्या के लिए नियुक्त किया गया था. ISI के निर्देश पर डार ने श्रीनगर के मैसूमा इलाके में मकबूल मंजिल स्थित मलिक के घर की वीडियो निगरानी की थी.
सूत्रों के अनुसार यह साजिश तब रची गई जब पाकिस्तान को शक हुआ कि मलिक भारतीय एजेंसियों के साथ गुप्त रूप से काम कर रहा है। मलिक के एक करीबी सहयोगी मौलवी शौकत की उनके आवास के पास एक साइकिल आईईडी विस्फोट में हत्या ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख के प्रति पाकिस्तान के अविश्वास को और गहरा कर दिया था।
हिलाल डार ने किया था खुलासा
2012 के अंत में जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक गुप्त सूचना के बाद डार को श्रीनगर में गिरफ्तार किया गया था. अपने कबूलनामे में उसने दावा किया कि आईएसआई-लश्कर मिलकर मलिक को खत्म करना चाहते थे क्योंकि वह भारत के खुफिया ब्यूरो के लिए काम करता पाया गया था.
इस मामले में निर्णायक मोड़ 2013 में उस समय आया, जब संसद हमले में उसकी भूमिका के लिए अफजल गुरु को भारत में फांसी दे दी गई. मलिक जो उस समय पाकिस्तान में था ने तुरंत भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए. उसके साथ शामिल होने वालों में लश्कर का संस्थापक हाफिज सईद भी शामिल था.
मलिक ने लश्कर को दिया था ये भरोसा
सूत्रों ने खुलासा किया कि इन प्रदर्शनों के दौरान मलिक ने सईद से निजी तौर पर दया की भीख मांगी और वादा किया कि वह फिर कभी भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं करेगा और इसके बजाय आईएसआई के आदेशों का पालन करेगा.
2013 से है मलिक का वीजा रद्द
उसी वर्ष मलिक के पाकिस्तान से लौटने के बाद भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया. उनकी पत्नी, पाकिस्तानी नागरिक, मुशाल मलिक को भी वीजा देने से इनकार कर दिया गया. इसके तुरंत बाद मलिक ने सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक के साथ मिलकर एक प्रमुख अलगाववादी मंच, संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व का गठन किया. जेआरएल ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों, बंद, पथराव और यहां तक कि स्कूलों को निशाना बनाकर कश्मीर को वर्षों तक अशांति में धकेला.
साल 2017 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अलगाववादी नेटवर्क पर व्यापक कार्रवाई शुरू की और कश्मीर और दिल्ली में इसके कई नेताओं और बिचौलियों को गिरफ्तार किया. दो साल बाद केंद्र ने जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया और मलिक को गिरफ्तार कर लिया. 2019 से वह आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.
यासीन मलिक का हलफनामा
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उसने दावा किया था कि 2006 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान उन्हें लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद से मुलाकात करने के लिए भारतीय खुफिया ब्यूरो (IB) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भेजा था. उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनकी इस मुलाकात के लिए उन्हें धन्यवाद दिया था. इस दावे ने भारतीय राजनीति और कूटनीति में हलचल मचा दी है.
RSS और मनमोहन सिंह से भी होती थी बात
आतंकवादी यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में माना था कि देश के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, विदेशी राजनयिकों और खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों ने वर्षों तक उनके साथ बातचीत की थी. उसने यहां तक कहा कि दो अलग-अलग मठों के शंकराचार्य कई बार उसके श्रीनगर स्थित घर आए और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए. साल 2011 में उसने दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं के साथ करीब पांच घंटे लंबी बैठक की थी. यह बैठक सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकॉन्सिलिएशन नामक थिंक टैंक की मदद से हुई थी. उसका कहना है, "यह सोचने वाली बात है कि इतने गंभीर आरोपों वाले व्यक्ति से दूरी बनाने के बजाय, समाज के प्रभावशाली लोग उससे खुलकर संवाद करते रहे."
महबूबा ने अमित शाह को लिखी चिट्ठी
जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "मैंने अमित शाह को पत्र लिखकर यासीन मलिक के मामले को मानवीय नजरिए से मानवीय नजरिए से देखने की गुजारिश की है." महबूबा मुफ्ती ने ये भी कि मैं उनकी (यासीन मलिक) राजनीतिक विचारधारा से असहमत हूं, लेकिन हिंसा का त्याग करके राजनीतिक जुड़ाव और बिना हिंसा किए असहमति का रास्ता चुनने के उनके साहस को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.