आधार नहीं तो क्या है नागरिकता के लिए जरूरी दस्‍तावेज? सिटीजनशिप एक्ट में क्या हैं इसके लिए प्रावधान

Citizenship Certificate: आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस भारत में नागरिकता साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज नहीं हैं. इन दस्तावेजों को अलग-अलग मकसद से बनवाने का प्रावधान है. भारत में नागरिकता साबित करने के लिए 1955 में संसद द्वारा पारित नागरिकता अधिनियम में इसके लिए जरूरी दस्तावेज का उल्लेख है. आइए, जानते हैं कि अगर आपके पास आधार नहीं है तो नागरिकता के लिए कौन से दस्तावेज काम आ सकते हैं.;

( Image Source:  Sora AI )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 13 Aug 2025 12:59 PM IST

भारत में आधार कार्ड पहचान और सरकारी सेवाओं तक पहुंच के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज है, लेकिन यह नागरिकता का सबूत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी 12 अगस्त को साफ कर दिया कि आधार कार्ड को निवास का अंतिम और पक्का सबूत नहीं माना जा सकता. बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने ये फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेशी व्यक्ति को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने पर जमानत देने से इनकार करते हुए कही यह बात कही थी. इससे पहले, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि केवल आधार कार्ड, पैन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज रखने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता. भारत का नागरिक वह हो सकता है, जिसके पास 1955 में संसद द्वारा पारित नागरिकता अधिनियम के अनुसार जरूरी दस्तावेज हों.

जस्टिस अमित बोरकर की पीठ ने कहा कि नागरिकता अधिनियम के प्रावधान यह निर्धारित करते हैं कि कौन भारत का नागरिक हो सकता है और नागरिकता कैसे प्राप्त की जा सकती है. न्यायालय ने कथित बांग्लादेशी नागरिक बाबू अब्दुल रूफ सरदार को जमानत देने से इनकार कर दिया, जो बिना वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गया था. उसने कथित तौर पर आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और भारतीय पासपोर्ट जैसे जाली भारतीय दस्तावेज हासिल किए थे.

जस्टिस न्यायमूर्ति बोरकर के अनुसार संसद ने 1955 में नागरिकता अधिनियम पारित किया जिसने नागरिकता प्राप्त करने की एक स्थायी और संपूर्ण व्यवस्था का प्रावधान है. अधिनियम के मुताबिक भारतीय नागरिकता के लिए संसद द्वारा पारित अधिनियम में बताए गए वैध दस्तावेज ही नागरिकता के लिए प्रमाण पत्र माने जाएंगे. जैसे:  

भारतीय पासपोर्ट

विदेश मंत्रालय भारतीयों को एक आवश्यक यात्रा दस्तावेज के रूप में पासपोर्ट जारी करता है. यह विदेश यात्रा के दौरान भारतीय नागरिकता और पहचान के प्रमाण के रूप में कार्य करता है. यह विभिन्न देशों द्वारा जारी किए गए वीजा के लिए एक सहायक दस्तावेज के रूप में कार्य करके अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को भी संभव बनाता है.

राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र (डोमिासइल सर्टिफिकेट)

यह प्रमाण पत्र विशेष मामलों में जिला अधिकारी या राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है. यह न्यायालय या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा और कभी-कभी गृह मंत्रालय द्वारा भी जारी किया जा सकता है. भारत में राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र केवल सीमित और विशिष्ट मामलों में ही जारी किए जाते हैं. राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र की आवश्यकता तब पड़ सकती है जब किसी व्यक्ति को सरकारी नौकरी, किसी विशेष कोटे के तहत किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश के लिए या किसी कानूनी प्रक्रिया के दौरान नागरिकता साबित करने की आवश्यकता हो और उसके पास पासपोर्ट या प्राकृतिक करण प्रमाण पत्र जैसे अन्य वैध प्रमाण न हों. विदेशी माता-पिता से भारत में जन्मे व्यक्तियों के लिए नागरिकता स्थापित करने हेतु भी इसकी आवश्यकता होती है.

आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता का नागरिकता प्रमाण (पासपोर्ट या मतदाता पहचान पत्र), स्कूल प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र शामिल हैं.

प्राकृतिकरण प्रमाण पत्र (Naturalisation Certifcate)

यदि कोई व्यक्ति 12 वर्षों (आवेदन की तिथि से पहले के 12 महीनों और कुल मिलाकर 11 वर्षों) से भारत का निवासी है और नागरिकता अधिनियम की तीसरी अनुसूची की सभी योग्यताएं पूरी करता है, तो वह प्राकृतिकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त कर सकता है.

जन्म प्रमाण पत्र

बच्चे के जन्म के बाद अधिकारी जन्म प्रमाण पत्र जारी करते हैं. इसमें जन्म स्थान और माता-पिता के भारतीय नागरिक होने और नागरिकता अधिनियम की शर्तों को पूरा करने की जानकारी होती है. यह जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के तहत जारी किया जाता है.

ये दस्तावेज नागरिकता के प्रमाण नहीं

आधार कार्ड केवल पहचान और निवास प्रमाण के रूप में कार्य करता है. जबकि मतदाता पहचान पत्र मतदान का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन नागरिकता की पुष्टि नहीं करता. वहीं, ड्राइविंग लाइसेंस केवल गाड़ी चलाने के अधिकार को प्रमाणित करता है. उच्च न्यायालय ने कहा, "सिर्फ आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज होने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता. ये दस्तावेज पहचान या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए हैं, लेकिन ये नागरिकता अधिनियम में निर्धारित नागरिकता की बुनियादी कानूनी जरूरतों को दरकिनार नहीं करते.

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