17 साल रहे साथ, बात बिगड़ने पर महिला ने लगाए रेप के आरोप, HC ने कहा- सहमति से संबंध...

Raigarh Rape Case: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में अहम फैसला सुनाते कहा कि यदि पीड़िता बालिग है और उसने लंबे समय तक आरोपी को अपना पति मानकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.;

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Edited By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 19 Jun 2025 5:41 PM IST

Raigarh Rape Case: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इस मामले में कहा कि यदि पीड़िता बालिग है और उसने लंबे समय तक आरोपी को अपना पति मानकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं तो इसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता. अगर पीड़िता अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रह रही थी.

चीफ जस्टिस के इस फैसले से रायगढ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें आरोपी को दोषी ठहराया गया था.

क्या है पूरा मामला?

रेप का यह मामला रायगढ़ के चक्रधर नगर थाना क्षेत्र का है. रेप के इस मामले में पीड़िता का कहना है कि पहले वह बिलासपुर में रहती थी. साल 2008 में आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसका यौन शोषण शुरू किया. आरोपी ने उसे अपने शराबी पति को छोड़ने के लिए कहा और शादी का वादा किया. इसके बाद उसने पीड़िता के लिए किराए का मकान लिया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. इस दौरान उनके तीन बच्चे भी हुए.

कब हुई थी शिकायत दर्ज?

साल 2019 में आरोपी ने कहा कि वह रायपुर जा रहा है और एक हफ्ते में लौटेगा, लेकिन वह वापस नहीं आया. पीड़िता ने उसे वापस बुलाने की कोशिश की लेकिन आरोपी नहीं माना. परेशान होकर महिला ने चक्रधर नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दुष्कर्म का मामला दर्ज किया. इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ट्रायल के बाद आरोपी को दोषी करार दिया था.

फास्ट ट्रैक के फैसले के खिलाफ आरोपी ने 3 जुलाई 2021 के फैसले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी. आरोपी ने दावा किया कि पीड़िता लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे. पीड़िता ने आधार कार्ड, वोटर आईडी, गैस कनेक्शन, बैंक स्टेटमेंट, राशन कार्ड और अन्य दस्तावेजों में खुद को उसकी पत्नी के रूप में दर्ज कराया था.

महिला ने बाल विकास विभाग के सखी वन स्टॉप सेंटर में भी अपनी शिकायत में आरोपी को अपना पति बताया था. हाईकोर्ट का फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता बालिग है और उसने लंबे समय तक आरोपी के साथ सहमति से संबंध बनाए. ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ. इस आधार पर हाईकोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.

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