ममता की काट के लिए बीजेपी ने चली नई चाल, राम मंदिर के दम पर लड़ेंगे 2026 का चुनाव; बीजेपी नेता ने रखी नींव
रामनवमी के अवसर पर पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में अयोध्या की तर्ज पर राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई. शुभेंदु अधिकारी ने सोनाचूरा गांव में मंदिर की नींव रखी, जो 2007 में भूमि आंदोलन का केंद्र था. यह मंदिर डेढ़ एकड़ में बनेगा और राज्य का सबसे बड़ा राम मंदिर होगा। इस पहल ने आस्था, राजनीति और इतिहास को एक मंच पर ला दिया है.;
पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में रामनवमी के दिन एक नया अध्याय शुरू हुआ, जब अयोध्या की तर्ज पर एक भव्य राम मंदिर के निर्माण की नींव रखी गई. विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने पूर्वी मेदिनीपुर जिले के सोनाचूरा गांव में मंदिर की आधारशिला रखी, जहां कभी भूमि अधिग्रहण के विरोध में हुई हिंसा ने राज्य की राजनीति को झकझोर दिया था. 'जय श्री राम' के नारों के बीच यह आयोजन आस्था और इतिहास के मेल का प्रतीक बन गया.
शुभेंदु अधिकारी की अगुवाई में रामनवमी शोभायात्रा भी निकाली गई, जो शहीद मीनार से प्रारंभ होकर मंदिर स्थल तक पहुंची. वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जल्द ही इसी जिले के दीघा में जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन करेंगी, जिससे साफ है कि बंगाल की राजनीति अब धार्मिक धरोहरों के निर्माण के नए दौर में प्रवेश कर चुकी है.
1.5 एकड़ भूमि पर बनेगा मंदिर
शुभेंदु ने घोषणा की कि यह राम मंदिर लगभग 1.5 एकड़ भूमि पर बनेगा और इसका डिजाइन अयोध्या के राम मंदिर जैसा ही होगा. इस मंदिर को राज्य का सबसे बड़ा राम मंदिर बताया जा रहा है, जो आस्था के साथ-साथ एक राजनीतिक संदेश भी देता है. खासकर उस भूमि पर, जहां कभी आंदोलन और अशांति ने राज्य की सत्ता को चुनौती दी थी.
2007 में हुई थी हिंसा
नंदीग्राम का यह स्थल 2007 की उस दर्दनाक घटना के लिए जाना जाता है, जब भूमि अधिग्रहण के विरोध में आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थीं. इस हिंसा में कम से कम 14 लोगों की जान गई थी. इस आंदोलन ने न सिर्फ राज्य में लेफ्ट के प्रभुत्व को कमजोर किया, बल्कि ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी की लोकप्रियता को भी नई ऊंचाइयां दीं.
2006 में ममता बनर्जी को मिली थी हार
2006 में ममता बनर्जी को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन नंदीग्राम आंदोलन ने उनके राजनीतिक जीवन को नई दिशा दी. शुभेंदु अधिकारी, जो तब टीएमसी में थे, उन्होंने ‘भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी’ बनाकर आंदोलन का नेतृत्व किया. इसी संघर्ष ने टीएमसी को जनसमर्थन दिलाया और बंगाल में सत्ता परिवर्तन की नींव रखी.
बीजेपी को मिलेगा फायदा
अब वही नंदीग्राम एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार कारण है राम मंदिर निर्माण, जो धार्मिक विश्वास का केंद्र तो है ही, साथ ही नंदीग्राम की राजनीतिक विरासत को नए सिरे से परिभाषित करने की कोशिश भी. यह मंदिर उस भूमि पर खड़ा होगा जो कभी संघर्ष की प्रतीक थी, और अब आस्था और आत्मगौरव का प्रतीक बन रही है. इस मंदिर के बनने से बीजेपी को फायदा मिल सकता है.