भाजपा ने कांग्रेस को बताया 'नई मुस्लिम लीग', Shrines Act को लेकर विपक्षी पार्टी ने खटखटाया SC का दरवाजा

भाजपा ने कांग्रेस पर उपासना स्थल अधिनियम 1991 के समर्थन में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करके 'हिंदुओं के विरुद्ध खुला युद्ध' छेड़ने का आरोप लगाया. यह अधिनियम सभी पूजा स्थलों को उसी रूप में स्थिर करता है, जैसा वे 15 अगस्त 1947 को थे.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 18 Jan 2025 11:58 AM IST

भाजपा और कांग्रेस में बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है. हाल ही में भाजपा ने कांग्रेस को नई मुस्लिम लीग कहा है. बता दें कि कांग्रेस ने पूजा स्थल अधिनियम के समर्थन में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे भाजपा की तरफ से हिंदुओं के खिलाफ खुले युद्ध घोषणा कहा गया है. 

इस मामले में भाजपा के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा कि कांग्रेस ने ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए कानूनी उपायों के लिए हिंदुओं के मौलिक संवैधानिक अधिकार को स्वीकार न करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. विपक्षी पार्टी ने अदालत से धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के बहाने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया है."

भाजपा ने किया था विरोध

भाजपा ने आयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के आंदोलन के मद्देनजर नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा इसे लागू करने के कदम के बाद से ही पूजा स्थल अधिनियम का विरोध किया था. भाजपा के कड़े विरोध के बीच पारित इस विधेयक में अयोध्या में विवादित स्थल को छोड़कर सभी पूजा स्थलों के स्वरूप को स्थिर करने की बात कही गई है. इसका उद्देश्य वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह पर संघ परिवार के कब्जे को रोकना था.

कांग्रेस ने दी अधिनियम को चुनौती

कांग्रेस  इस अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. कांग्रेस का दावा है कि यह अनुच्छेद 14 , अनुच्छेद 15 , अनुच्छेद 25, अनुच्छेद 26  और अनुच्छेद 29 का उल्लंघन करता है. साथ ही, कांग्रेस का कहना है कि ना ही हिंदू कानून ना ही शरीयत लोगों द्वारा तोड़े गए मंदिरा पर मस्जिदों बनाने की अनुमति देता है. 

मोहन भागवत का बयान

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने एक बयान में कहा था कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने की जरूरत नहीं है. ऐसे में भाजपा का यह रुख काफी दिलचस्प हो जाता है. उनके इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया गया था. वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हिंदुओं की संपत्तियों और मंदिरों को वापस लेने की कोशिश के विपरीत है, जिन्हें 1978 के दंगों में कई लोगों की जान जाने के बाद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था.



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