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100 से अधिक पुलिसकर्मियों की ली थी जान, 2000 से ज्‍यादा हाथियों का शिकार; किस्‍से दुर्दांत चंदन तस्‍कर वीरप्‍पन के

वीरप्पन की क्रूरता और आतंक का अंत 2004 में हुआ, जब भारतीय विशेष बलों (एसटीएफ) ने उसे एक ऑपरेशन के दौरान मार गिराया. वीरप्पन की क्रूरता के ये किस्से यह साबित करते हैं कि वह केवल एक डकैत नहीं, बल्कि एक ऐसा अपराधी था जिसने जंगलों में खून-खराबा और दहशत का साम्राज्य कायम किया.

100 से अधिक पुलिसकर्मियों की ली थी जान, 2000 से ज्‍यादा हाथियों का शिकार; किस्‍से दुर्दांत चंदन तस्‍कर वीरप्‍पन के
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 18 Jan 2025 11:52 AM IST

वीरप्पन दक्षिण भारत का कुख्यात डकैत था, जिसने 1980 और 1990 के दशकों में तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के जंगलों में आतंक का साम्राज्य स्थापित किया था. वीरप्पन मुख्य रूप से चंदन की लकड़ी और हाथी दांत की तस्करी के लिए जाना जाता था, लेकिन उसकी क्रूरता और हिंसा के कई किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

वीरप्पन की क्रूरता और आतंक का अंत 2004 में हुआ, जब भारतीय विशेष बलों (एसटीएफ) ने उसे एक ऑपरेशन के दौरान मार गिराया. वीरप्पन की क्रूरता के ये किस्से यह साबित करते हैं कि वह केवल एक डकैत नहीं, बल्कि एक ऐसा अपराधी था जिसने जंगलों में खून-खराबा और दहशत का साम्राज्य कायम किया. आइए जानते हैं वीरप्पन की क्रूरता के पांच किस्से

पुलिस और वन अधिकारियों की हत्या

वीरप्पन ने 100 से अधिक पुलिसकर्मियों और वन अधिकारियों की हत्या की थी. 1993 में कर्नाटक के रामपुरा में उसने एक बड़ा हमला किया था. बता दें, वीरप्पन और उसके गिरोह ने पुलिसकर्मियों की एक टीम पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए. उसने पुलिसकर्मियों को फंसाने के लिए धोखे से जाल बिछाया और निर्दयता से उनकी हत्या कर दी. इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था. वह वन अधिकारियों को पकड़कर यातना देता और जंगल में मार डालता था. एक बार उसने तीन वन अधिकारियों को पकड़ा और उन्हें जिंदा जलाने का आदेश दिया था.

हाथियों का बेरहमी से शिकार

वीरप्पन ने हाथी दांत की तस्करी के लिए 2000 से अधिक हाथियों का शिकार किया था. वह हाथियों को पकड़ने के लिए क्रूर तरीकों का इस्तेमाल करता था, जैसे कि उन्हें जहर देना या गोलियों से मारना. इसके बाद उनके दांत निकालने के लिए उनके शवों को काटकर फेंक देता था. यह न केवल वन्यजीवों के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक बड़ी तबाही थी.

आईएएस अधिकारी पी. श्रीनिवासन की हत्या

1991 में वीरप्पन ने तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी पी. श्रीनिवासन की हत्या की थी. श्रीनिवासन वन्यजीवों और चंदन तस्करी को रोकने के लिए एक्टिव थे. वीरप्पन ने उन्हें अपनी गतिविधियों के लिए एक बड़ा खतरा मानते हुए बेरहमी से उनकी हत्या कर दी. उनकी हत्या ने सरकारी अधिकारियों और आम जनता में वीरप्पन के प्रति भय को और बढ़ा दिया था.

कन्नड़ अभिनेता राजकुमार का अपहरण

2000 में वीरप्पन ने कन्नड़ फिल्म जगत के महान अभिनेता राजकुमार का अपहरण कर लिया था. यह घटना दक्षिण भारत में एक बड़ा संकट बन गई थी. उसने राजकुमार को 108 दिनों तक बंधक बनाकर रखा और उनकी रिहाई के लिए बड़ी फिरौती की मांग की थी. यह मामला इतना संवेदनशील था कि इसे सुलझाने में सरकार और पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी थी.

गांववालों पर अत्याचार

वीरप्पन ने जंगलों के आसपास के गांवों में आतंक का साम्राज्य स्थापित कर रखा था. वह गांववालों से खाना, पानी और दूसरी आवश्यकताएं जबरन लेता था. अगर किसी ने उसकी बात नहीं मानी, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते थे. अगर किसी ने उसके खिलाफ पुलिस को सूचना दी, तो वह उनकी निर्मम हत्या कर देता था. कई बार उसने निर्दोष ग्रामीणों को क्रूर तरीके से मार दिया या उनके घरों को आग के हवाले कर दिया था.

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