हॉस्टल में प्रैंक करना बना मुसीबत! ओडिशा में 8 छात्रों की आंखों पर लगाया गोंद, चिपकी रह गईं पलकें और फिर...

Bhubaneswar News: सेवाश्रम स्कूल के छात्रों ने हॉस्टल में सो रहे 8 बच्चों के आंखों पर फेवीक्विक लगा दिया. लेकिन उनका यह मजाक बच्चों के लिए मुसीबत बन गया. डॉक्टरों ने कहा कि गोंद (glue) से आंखों को नुकसान हुआ है, लेकिन समय रहते इलाज मिलने से आंख की रोशनी को स्थायी रूप से खराब होने की आशंका को रोका जा सकता है.;

( Image Source:  sora ai )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 14 Sept 2025 4:25 PM IST

Bhubaneswar News: स्कूल-कॉलेज में बच्चे आपस में मस्ती-मजाक करते रहते हैं. कभी दोस्तों के साथ मजाक में मारपीट करना या बालों में चिंगम लगाने जैसी बातें भी सुनने को मिलती है, लेकिन ओडिशा में छात्रों का मजाक उन्हें भारी पड़ गया. कंधमाल जिले में एक हॉस्टल प्रैंक की वजह से 8 छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.

जानकारी के अनुसार, पीड़ित बच्चे सैलागुडा के सेवाश्रम स्कूल में रहते हैं. रात के समय जब छात्र सो रहे थे, उनके कुछ साथी ने फेवीक्विक (instant glue) उनकी आंखों पर लगा दी. जब सुबह उठे, तो उनकी पलकें चिपक चुकी थीं और वे आंखें नहीं खोल पा रहे थे. बच्चों को दर्द हो रहा था और काफी जलन हो रही थी.

बच्चों की चिपक गई पलकें

आंखों पर Fevikwik लगाने से पलकें बुरी तरह चिपक गईं. उन्होंने आंख खोलने की बहुत कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसके बाद सभी 8 छात्रों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया.

वहां से ज्यादा देखभाल के लिए जिला अस्पताल फूलबानी में भेजा गया. डॉक्टरों ने कहा कि गोंद (glue) से आंखों को नुकसान हुआ है, लेकिन समय रहते इलाज मिलने से आंख की रोशनी को स्थायी रूप से खराब होने की आशंका को रोका जा सकता है.

पुलिस ने शुरू की जांच

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी. स्कूल के हेडमास्टर मनोउहल्लण साहू को सस्पेंड कर दिया गया है, क्योंकि छात्रों की सुरक्षा को लेकर होस्टल में नजरिए की कमी पाई गई है. महाराष्ट्र और कल्याण विभागों ने भी इस मामले में जवाबदेही तय करने की बात कही है. बता दें कि डॉक्टर ने एक बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया है और बाकी 7 का इलाज चल रहा है.

आंखों पर गोंद लगने पर ऐसे बचें

  • जिस काम में गोंद इस्तेमाल हो रही हो, वहां safety goggles या चश्मे का इस्तेमाल करें जिससे आंखों सेफ हों.
  • हमेशा प्रोडक्ट के लेबल को ध्यान से पढ़ें. मदद-दवाइयों और गोंद की बोतलें मिलती-जुलती ना हों.
  • जब बच्चे हों, तो ग्लू जैसे पदार्थों के उपयोग के समय उन्हें आसपास न रहने दें या उनकी सतर्क देखभाल करें.
  • बोतल खोलने, लगाने, खिसकने या गिरने की स्थितियों में ध्यान दें. गोंद की बूंदों को आंखों तक पहुंचने का जोखिम कम करें.

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