पत्नी को 'इलाज' के नाम पर दी मौत की दवा! 6 महीने बाद खुली बेंगलुरु की डॉक्टर की हत्या की हैरान कर देने वाली सच्चाई

बेंगलुरु में छह महीने पहले हुई डॉक्टर कृतिका रेड्डी की मौत को पहले प्राकृतिक बताया गया था, लेकिन अब जांच में सामने आया कि उनके पति डॉ. महेंद्र रेड्डी ने ‘इलाज’ के नाम पर उन्हें जानलेवा दवा प्रोपोफोल दी थी. पोस्टमार्टम और FSL रिपोर्ट में इसकी पुष्टि के बाद पुलिस ने पति को गिरफ्तार कर हत्या का मामला दर्ज किया है.;

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Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 15 Oct 2025 9:50 PM IST

बेंगलुरु में छह महीने पहले हुई एक युवा त्वचा रोग विशेषज्ञ (Dermatologist) की मौत, जिसे पहले 'प्राकृतिक मौत' बताया गया था, अब एक चौंकाने वाले मोड़ पर पहुंच गई है. पुलिस ने मृतक डॉक्टर की मौत के मामले में उसके पति को गिरफ्तार किया है, जो खुद भी डॉक्टर है.

14 अक्टूबर 2025 को पुलिस ने डॉक्टर महेंद्र रेड्डी जीएस (Dr. Mahendra Reddy G.S.) को मणिपाल से गिरफ्तार किया. उन पर अपनी पत्नी डॉक्टर कृतिका एम. रेड्डी (Dr. Kruthika M. Reddy) की सुनियोजित हत्या का आरोप है. डॉक्टर कृतिका की मौत 24 अप्रैल 2025 को हुई थी.

क्या था पूरा मामला

29 वर्षीय डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर कृतिका की लाश उनके मुननेकोलाला, मराठाहल्ली स्थित घर में मिली थी. उनके पति, जो विक्टोरिया अस्पताल में फेलोशिप कर रहे जनरल सर्जन हैं, ने दावा किया था कि उनकी पत्नी की मौत पाचन संबंधी दिक्कतों और लो ब्लड शुगर के कारण हुई.

हालांकि परिवार की लगातार अपील के बाद दोबारा शुरू हुई जांच ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए. पुलिस के मुताबिक, डॉक्टर महेंद्र रेड्डी ने अपनी मेडिकल जानकारी का दुरुपयोग करते हुए पत्नी को “प्रोपोफोल” (Propofol) नामक नियंत्रित एनेस्थेटिक दवा दी, जिससे उनकी सांस रुक गई और मौत हो गई.

FSL रिपोर्ट ने खोला हत्या का राज़

पोस्टमॉर्टम और फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट में प्रोपोफोल के अंश मिले, जिससे यह साबित हुआ कि यह कोई प्राकृतिक मौत नहीं थी. बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर सीमंत कुमार सिंह ने बताया कि यह शुरुआत से ही संदिग्ध मौत थी, लेकिन किसी ने शिकायत नहीं की थी. हमने अननेचुरल डेथ रिपोर्ट दर्ज कर सबूतों को FSL भेजा था. रिपोर्ट में पाया गया कि मृतका को अत्यधिक मात्रा में ‘प्रोपोफोल’ दिया गया था. डॉक्टरों ने पुष्टि की कि मौत इसी से हुई. अब आगे की जांच जारी है.”

तीन दिन तक चलती रही “ड्रिप थैरेपी”

जांच में खुलासा हुआ कि महेंद्र रेड्डी ने लगातार तीन दिनों तक अपनी पत्नी को IV इंफ्यूजन दिए, यह कहते हुए कि यह गैस्ट्रिक प्रॉब्लम के इलाज के लिए है. 23 अप्रैल को डॉक्टर कृतिका बेहोश हो गईं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने 72 घंटे के फास्टिंग टेस्ट की सलाह दी, लेकिन महेंद्र ने 36 घंटे बाद ही उन्हें डिस्चार्ज करवा लिया. जिसके कुछ ही घंटे बाद उनकी मौत हो गई.

पोस्टमॉर्टम से बचने की कोशिश

पुलिस सूत्रों के अनुसार, महेंद्र रेड्डी ने पोस्टमॉर्टम से बचने की हरसंभव कोशिश की, जिससे तुरंत शक गहरा गया. 24 अप्रैल को दर्ज अननेचुरल डेथ रिपोर्ट (UDR) को बाद में हत्या के केस में बदला गया, जब FSL ने पुष्टि की कि मौत दवा की ओवरडोज़ से हुई थी.

पैसे, धोखा और घरेलू हिंसा की परतें

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि हत्या के पीछे आर्थिक और व्यक्तिगत कारण थे. डॉ. कृतिका के पिता मुनी रेड्डी के अनुसार 'महेंद्र लगातार निजी अस्पताल खोलने के लिए पैसे मांगता था, जबकि हमने पहले ही उनके क्लिनिक के लिए आर्थिक मदद की थी. परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि महेंद्र के विवाहेतर संबंध थे और वह दहेज के लिए बेटी को प्रताड़ित करता था.

पहले से था आपराधिक रिकॉर्ड

जांच में यह भी सामने आया कि महेंद्र रेड्डी, उनके जुड़वां भाई नागेंद्र रेड्डी और एक अन्य डॉक्टर राघव रेड्डी 2018 में ठगी और धमकाने के एक मामले में आरोपी रह चुके हैं. अप्रैल 2023 में कोर्ट से समझौते के बाद यह मामला वापस लिया गया था और यह जानकारी डॉक्टर कृतिका से शादी से पहले छिपाई गई थी.

अब हत्या के आरोप में जेल में डॉक्टर पति

एफआईआर दर्ज होने के तीन घंटे के भीतर पुलिस ने महेंद्र रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया और अब मराठाहल्ली पुलिस उसकी गहन पूछताछ कर रही है. मामला भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) 2023 की धारा 103 के तहत दर्ज किया गया है, जिसमें दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या फांसी की सजा का प्रावधान है.

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