दो वोटर-ID है तो सावधान! बिहार के डिप्टी सीएम तक फंसे, जानिए कानूनी पेंच और बचने का सही तरीका
बिहार में चल रहे Special Intensive Revision (SIR) के बीच डुप्लीकेट वोटर-ID का मामला गरमा गया है. तेजस्वी यादव के बाद अब डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा को भी नोटिस मिला. चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि दो EPIC रखना अपराध है. जानिए कैसे पहचानें डुप्लीकेट एंट्री, क्या है Form-7 की प्रक्रिया और कैसे बचें कानूनी पचड़ों से.;
बिहार में इस समय चुनावी हलचल सिर्फ़ वोट गिनती या प्रचार तक सीमित नहीं है, बल्कि मतदाता सूची की सटीकता पर भी गरमागरम बहस चल रही है. स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) के बीच एक बड़ा सवाल आम लोगों के सामने आ खड़ा हुआ है कि अगर किसी के पास गलती से दो EPIC नंबर यानी दो अलग-अलग वोटर-ID कार्ड हैं तो क्या करना चाहिए? विपक्ष इसे “वोट चोरी” का मामला बताकर सरकार पर हमलावर है, जबकि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया है कि बिना नोटिस, सुनवाई और कारण बताओ आदेश के किसी का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा.
यह मुद्दा तब और गरमाया जब तेजस्वी यादव के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा को निर्वाचन आयोग से नोटिस मिला. आरोप है कि उनके नाम दो अलग-अलग जगहों पर दर्ज है. आयोग ने दोनों नेताओं से जवाब मांगा है. अब सवाल उठता है कि अगर किसी के पास दो वोटर कार्ड हो तो क्या करना चाहिए? इसका जवाब आइए जानते हैं.
दो EPIC होना क्यों गैरकानूनी है?
भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) की धारा 17 कहती है कि किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज नहीं हो सकता. धारा 18 यह स्पष्ट करती है कि एक ही निर्वाचन क्षेत्र में भी नाम दो बार दर्ज होना गैरकानूनी है. और धारा 31 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए झूठा बयान देता है, तो उस पर एक साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. मतलब साफ़ है कि चाहे जानबूझकर हो या गलती से, डुप्लीकेट वोटर-ID रखना अपराध की श्रेणी में आता है.
डुप्लीकेट एंट्री हटाने की असली प्रक्रिया
अगर आपके पास दो EPIC हैं, तो आपको एक को हटवाना होगा. यह काम सिर्फ़ मतदाता सूची से नाम हटवाने से पूरा होता है, कार्ड काट देने से नहीं. इसके लिए Form-7 भरकर जमा करना ज़रूरी है. यह काम तीन तरीकों से किया जा सकता है- ऑनलाइन Voters’ Services Portal से, Voter Helpline App के ज़रिए, या फिर नज़दीकी ERO/तहसील कार्यालय में जाकर.
आपको उस एंट्री का EPIC नंबर और पता बताना होगा जिसे हटवाना है, सही EPIC का सबूत, पते का प्रमाण और एक छोटा-सा सेल्फ डिक्लरेशन देना होगा. जमा करने के बाद BLO आपके पते पर सत्यापन करेगा और ERO आदेश जारी करेगा, जिससे डुप्लीकेट एंट्री हट जाएगी. अगर आप इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो RPA की धारा 24 के तहत राज्य के CEO कार्यालय में अपील कर सकते हैं.
जरूरी दस्तावेज़
- सही EPIC नंबर और एंट्री का विवरण
- एक ID (आधार/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसेंस)
- पता प्रमाण (जहां सही एंट्री रखनी है)
- Self-Declaration (कि दूसरी एंट्री गलती से बनी है)
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1. अगर मेरे दो EPIC अलग-अलग राज्यों में हैं, तो कौन-सा रखना चाहिए?
आपको वही एंट्री रखनी चाहिए जहां आप सामान्य निवास करते हैं यानी आपका स्थायी पता है और आप वहीं रहते हैं. दूसरी एंट्री को Form-7 से हटवाएं, ताकि रिकॉर्ड साफ़ रहे और भविष्य में किसी सरकारी जांच में परेशानी न आए.
Q2. अगर मैंने शहर बदला है, तो पहले नया नाम जोड़ूं या पुराना हटाऊं?
सही तरीका है कि पहले नए पते पर Form-6 से अपना नाम जोड़ें, फिर पुराने पते की एंट्री Form-7 से हटवाएं. हालांकि कई बार सिस्टम खुद पुराना नाम काट देता है, लेकिन आपका खुद से हटवाना बेहतर है क्योंकि इससे दस्तावेज़ी रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी नहीं रहती.
Q3. अगर आयोग गलत तरीके से मेरा नाम काट देता है, तो क्या कर सकता हूं?
अगर आपको लगता है कि आपका नाम गलत तरीके से हटाया गया है, तो आप धारा 24 के तहत अपील कर सकते हैं. इसके लिए संबंधित राज्य के CEO कार्यालय में अपील करनी होगी. साथ ही, ऑनलाइन पोर्टल या ऐप पर Reference ID के ज़रिए आप स्टेटस भी ट्रैक कर सकते हैं.
Q4. डुप्लीकेट हटाने में कितने दिन लगते हैं?
आमतौर पर 15–30 दिन का समय लगता है, क्योंकि BLO को पहले फील्ड वेरिफिकेशन करना पड़ता है और फिर ERO आदेश जारी करता है.
Q5. अगर मैं डुप्लीकेट एंट्री नहीं हटवाऊं तो क्या होगा?
आपके खिलाफ़ धारा 17, 18 और 31 के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है. इसमें एक साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों शामिल हैं. इसके अलावा पासपोर्ट या किसी सरकारी वेरिफिकेशन के समय भी मुश्किलें आ सकती हैं, क्योंकि आपका रिकॉर्ड "संदिग्ध" माना जाएगा.
Q6. क्या केवल प्लास्टिक कार्ड काट देना काफी है?
नहीं. असली मुद्दा मतदाता सूची में दर्ज एंट्री का है, कार्ड का नहीं. इसलिए Form-7 भरकर ही डुप्लीकेट हटवाना होगा, वरना आपके नाम की दोहरी एंट्री बनी रहेगी.
अभी बिहार के मतदाताओं को क्या करना चाहिए?
SIR के दौरान घर-घर सत्यापन चल रहा है. राजनीतिक बयानबाज़ी अपनी जगह है, लेकिन प्रक्रिया के मुताबिक बिना नोटिस और सुनवाई के आपका नाम नहीं कट सकता. फिर भी, अगर आपके पास दो EPIC हैं, तो यह आपके ही नाम पर एक कानूनी खतरा है. इसलिए सबसे अच्छा है कि पहल आप करें, Form-7 भरकर रिकॉर्ड को साफ़ रखें और भविष्य की किसी भी मुसीबत से बचें.