क्या भारत-चीन फिर बन रहे दोस्त? खाद, रेयर अर्थ और टनल मशीन सप्लाई पर चीन का बड़ा वादा

भारत-चीन रिश्तों में नरमी के संकेत मिले हैं. बीजिंग ने भारत को खाद (Urea, NPK, DAP), Rare Earth Minerals और Tunnel Boring Machines (TBM) की सप्लाई फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वांग यी की मुलाकात में सीमा विवाद टालकर आर्थिक सहयोग पर जोर दिया गया. अमेरिका की नीतियों को चुनौती मानते हुए दोनों देशों ने संवाद बढ़ाने पर सहमति जताई. सवाल यह है कि क्या यह 'जरूरत की दोस्ती' लंबे समय तक टिक पाएगी?;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 19 Aug 2025 9:35 AM IST

भारत और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों से चले आ रहे तनाव और अविश्वास के बीच एक सकारात्मक संकेत सामने आया है. चीन ने भारत को भरोसा दिलाया है कि वह जल्द ही खाद (Fertilizers), रेयर अर्थ मिनरल्स (Rare Earths) और टनल बोरिंग मशीन (Tunnel Boring Machines – TBM) की आपूर्ति फिर से शुरू करेगा. ये वही महत्वपूर्ण संसाधन हैं जिनकी कमी से भारत के कृषि, ऑटो पार्ट्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर असर पड़ रहा था. बीजिंग की यह प्रतिबद्धता विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुई बैठक के बाद सामने आई.

इस मुलाकात में जहां एक ओर सीमा विवाद पर चर्चा टाल दी गई और उसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के स्तर पर बातचीत के लिए छोड़ा गया, वहीं दूसरी ओर सप्लाई और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर बड़ी प्रगति हुई. खास बात यह भी रही कि जयशंकर ने साफ कर दिया कि भारत का ताइवान पर रुख नहीं बदला है और वह सिर्फ आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध तक ही सीमित रहेगा. इस बीच अमेरिका की नीतियां दोनों देशों के लिए चुनौती के रूप में उभरीं और यह माना गया कि मौजूदा वैश्विक हालात में भारत और चीन को संवाद बढ़ाकर साझा हित साधने होंगे. सवाल अब यह है कि क्या यह नई पहल भारत-चीन के रिश्तों में दोस्ती की नई पारी की शुरुआत है, या फिर यह केवल अस्थायी समीकरण है?

चीन का बड़ा वादा: भारत को खाद, रेयर अर्थ और टनल मशीन

चीन ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह जल्द ही खाद (Urea, NPK, DAP), रेयर अर्थ मिनरल्स और टनल बोरिंग मशीन की सप्लाई फिर से शुरू करेगा. गौरतलब है कि पिछले एक साल से चीन ने इन पर रोक लगा दी थी, जिससे भारत को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. भारत की कृषि जरूरतों का करीब 30% हिस्सा चीन से आने वाली खाद पर निर्भर करता है. वहीं ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और हाई-टेक उपकरणों में रेयर अर्थ मिनरल्स का अहम योगदान है. इसी तरह शहरी और सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए टनल बोरिंग मशीनें बेहद जरूरी हैं.

जयशंकर-वांग मुलाकात में किन मुद्दों पर चर्चा हुई?

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात के दौरान सप्लाई से जुड़े मुद्दे प्रमुखता से उठाए. हालांकि सीमा विवाद पर चर्चा टाल दी गई और इसे NSA अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष के बीच होने वाली विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत के लिए रखा गया. बैठक में जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत का ताइवान पर रुख वही है जो पहले से रहा है - यानी भारत वहां केवल आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रखेगा, कोई राजनीतिक मान्यता नहीं देगा.

अमेरिका का दबाव और भारत-चीन की करीबी

दिलचस्प बात यह रही कि इस मुलाकात में अमेरिका भी अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद रहा. दोनों पक्षों का मानना था कि मौजूदा समय में वाशिंगटन की नीतियां भारत और चीन दोनों के खिलाफ सख्त होती जा रही हैं. चाहे वह व्यापारिक प्रतिबंध हों या टेक्नोलॉजी से जुड़े नियम, भारत और चीन दोनों को इससे निपटने के लिए आपसी तालमेल की जरूरत है. इसीलिए बैठक में यह सहमति बनी कि संवाद जारी रखना दोनों के लिए फायदेमंद होगा.

क्यों अहम है यह सप्लाई भारत के लिए?

चीन भारत को बड़ी मात्रा में यूरिया, NPK और DAP खाद सप्लाई करता है. इसकी कमी से किसान परेशान थे और सरकार को महंगी दरों पर अन्य देशों से आयात करना पड़ रहा था. वहीं ऑटो पार्ट्स, बैटरी और हाई-टेक उपकरणों के लिए अहम रेयर अर्थ मिनरल्‍स भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जबकि देश में मेट्रो, हाइवे और शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तेजी से चल रहे हैं. टनल बोरिंग मशीनों की कमी विकास परियोजनाओं को धीमा कर रही थी.

सीमा विवाद पर अगला कदम

भले ही जयशंकर-वांग बैठक में सीमा विवाद पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन यह मुद्दा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. NSA अजीत डोभाल अपने चीनी समकक्ष के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत में इस संवेदनशील विषय को उठाएंगे. खासकर 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात सेना को वापस बैरक भेजने पर जोर दिया जाएगा. हालांकि लद्दाख में कई गुत्थियां सुलझ चुकी हैं, लेकिन अभी भी दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर बड़ी संख्या में मौजूद हैं.

क्या भारत-चीन फिर बन रहे दोस्त?

यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में गलवान घाटी से लेकर व्यापारिक विवाद तक, भारत-चीन रिश्ते बेहद तनावपूर्ण रहे हैं. ऐसे में चीन का यह कदम रिश्तों में पिघलाव का संकेत है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दोनों देशों के लिए 'जरूरत की दोस्ती' है. भारत को कृषि और विकास परियोजनाओं के लिए चीन से सप्लाई चाहिए, जबकि चीन अमेरिका के दबाव और आर्थिक चुनौतियों से निकलने के लिए भारत जैसा बड़ा बाजार खोना नहीं चाहता.

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