तुम हमारे हम तुम्हारे! जयशंकर और वांग यी की मुलाकात में US टैरिफ का क्या राज, जानकर बिलबिला उठेंगे ट्रंप?
दिल्ली में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बैठक भारत-चीन रिश्तों में नया अध्याय जोड़ती दिख रही है. इस वार्ता में सीमा विवाद, आतंकवाद, वैश्विक स्थिरता और बहुपक्षीय सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. जयशंकर ने सीमा क्षेत्रों में शांति और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता बताया. वहीं वांग यी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाल होने और रिश्तों को मजबूत करने की बात कही.

नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात और बातचीत से ऐसा लग रहा है कि भारत और चीन के पुराने गिले शिकवे दूर हो जाएंगे और इसी के साथ इन दिनों जैसे कि भारत और चीन दोनों देशों अमेरिकी टैरिफ से बेहद नाराज है और ऐसे में जब दो ट्रंप को मिर्ची लग सकती है! क्योंकि इन दिनों चीन अमेरिका से भड़का हुआ है और हाल ही में पीएम मोदी ने दिल्ली में इशारों इशारों में ट्रंप का बिना नाम लिए संदेश दिया कि हमें अपने देश की ही चीज अधिक उपयोग करनी चाहिए यानी आत्मनिर्भर बनना चाहिए.
दिल्ली में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक ने भारत-चीन रिश्तों को लेकर एक नया मोड़ दिया है. यह वांग यी की भारत यात्रा का हिस्सा है, जिसमें 24वें दौर की विशेष प्रतिनिधियों (SR) वार्ता भी शामिल है. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, आतंकवाद, वैश्विक स्थिरता और बहुपक्षीय सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई.
इस बैठक को खास इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जल्द ही चीन की यात्रा पर जाएंगे. ऐसे में यह वार्ता न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने का संकेत देती है, बल्कि अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के संदर्भ में एशिया में संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.
द्विपक्षीय रिश्तों की समीक्षा
डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, 'मैं आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल का भारत में स्वागत करता हूं. यह यात्रा हमें द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और वैश्विक परिदृश्य पर विचार साझा करने का अवसर देती है.' उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया की दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों की मुलाकात में अंतरराष्ट्रीय हालात पर चर्चा होना स्वाभाविक है. भारत एक “न्यायपूर्ण, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था, जिसमें बहुध्रुवीय एशिया भी शामिल हो” की दिशा में काम कर रहा है.
आतंकवाद और वैश्विक स्थिरता पर जोर
जयशंकर ने आतंकवाद पर कड़ा रुख दिखाते हुए कहा, 'आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई हमारी प्राथमिकताओं में है. हमें उम्मीद है कि हमारी चर्चा स्थिर, सहयोगपूर्ण और भविष्य उन्मुख भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाएगी. भारत-चीन सीमा पर हालात को लेकर भी चर्चा हुई. जयशंकर ने स्पष्ट किया, “किसी भी सकारात्मक प्रगति की नींव यही है कि हम सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखें. इसके लिए डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना जरूरी है.
वांग यी का जवाब
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, 'हमने सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखी है और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया है. हमें विश्वास है कि हम सहयोग का विस्तार करेंगे और चीन-भारत रिश्तों को और मजबूत बनाएंगे, जिससे एशिया और दुनिया को स्थिरता मिल सके.
तीन ‘म्यूचुअल्स’ का मंत्र
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए. उन्होंने कहा, “हमें तीन ‘म्यूचुअल्स’ - पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हित के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए. प्रतियोगिता को संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए.”