बच्ची की फोटो खींच किया ब्लैकमेल, फिर 2 साल तक 14 लोगों ने किया नाबालिग का रेप, 8 महीने प्रेग्नेंट है पीड़िता

आंध्र प्रदेश से एक हैरान और झकझोर देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक नाबालिग के साथ 2 सालों से रेप किया जा रहा था. 14 लोगों ने मिलकर उस बच्ची के साथ दरिंदगी की और अब लड़की 8 महीने की प्रेग्नेंट है. इस मामले में पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया है.;

( Image Source:  freepik )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 21 Jun 2025 7:14 PM IST

आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाली 13 साल की दलित लड़की की जिंदगी अचानक ही अंधेरे में डूब गई. पिता की मौत के बाद उसकी मां उसे लेकर कर्नाटक सीमा के पास एक गांव में आ बसी थी. गरीबी, अकेलापन और समाज की कमजोर स्थिति ने उसे पहले ही असुरक्षित बना दिया था. लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी मासूमियत पर गांव के ही कुछ लोग हैवान बनकर टूट पड़ेंगे.

एक दिन स्कूल के बाद जब वह अपनी क्लासमेट के साथ बैठी थी, तभी एक युवक ने उनकी फोटो खींच ली. इसके बाद फोटो सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देकर उसका शोषण शुरू हुआ. धीरे-धीरे इन फोटोज और वीडियोज का इस्तेमाल कर 14 लोगों ने दो साल तक उसके साथ दरिंदगी की. लड़की की उम्र महज 15 साल थी, जब वह 8 महीने की गर्भवती हो गई.

दबाव और डर का माहौल

जब मामला सामने आया, तो आरोपी समुदाय के लोगों ने लड़की की शादी उसके क्लासमेट से करवा कर केस दबाने की कोशिश की. आखिरकार, मां की हिम्मत से मामला पुलिस तक पहुंचा.

17 आरोपियों को किया गिरफ्तार 

लड़की की मां ने आखिरकार जून के पहले हफ्ते में साहस जुटाकर पुलिस में शिकायत की. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और 9 जून को छह आरोपियों को गिरफ्तार किया. जांच आगे बढ़ी तो अगले कुछ दिनों में 11 और लोगों को हिरासत में लिया गया. अब तक कुल 17 आरोपियों की पहचान हो चुकी है, जिनमें से तीन नाबालिग हैं, जबकि बाकी 14 पुरुषों की उम्र 18 से 51 वर्ष के बीच है. इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC), पॉक्सो (POCSO) एक्ट, और आईटी (IT) अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.

सवालों के घेरे में समाज और सिस्टम

यह घटना सिर्फ एक बच्ची के साथ हुए अत्याचार की नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता की भी कहानी है. गरीबी, जातिगत भेदभाव और प्रशासनिक लापरवाही ने एक मासूम की जिंदगी को बर्बाद कर दियाय यह सवाल उठाता है कि क्या हमारा समाज और सिस्टम कमजोरों की सुरक्षा के लिए वाकई तैयार है? यह घटना हमें झकझोरती है कि बदलाव की जरूरत सिर्फ कानून में नहीं, सोच और व्यवस्था में भी है.

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