Apple फैंस के लिए बड़ी खबर! भारत में बनेंगे iPhone 17 के सभी मॉडल, ट्रंप के टैरिफ का नहीं होगा असर

एप्पल पहली बार सभी iPhone 17 मॉडल भारत में बनाएगा और यहीं से दुनिया भर में शिप करेगा. टाटा ग्रुप और फॉक्सकॉन के नए प्लांट समेत पांच फैक्ट्रियां उत्पादन में शामिल होंगी. यह कदम चीन पर निर्भरता घटाने और भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है. ट्रंप प्रशासन के टैरिफ से iPhone उत्पादन प्रभावित नहीं होगा.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 19 Aug 2025 5:01 PM IST

टेक्नोलॉजी की दुनिया में एप्पल (Apple) हमेशा नए रुझान स्थापित करने के लिए जाना जाता है. अब कंपनी ने एक ऐसा कदम उठाया है जो न सिर्फ भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को नई पहचान देगा, बल्कि वैश्विक स्मार्टफोन बाज़ार की शक्ति-संतुलन को भी बदल सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, iPhone 17 के चारों मॉडल पहली बार भारत में ही तैयार किए जाएंगे और यहीं से दुनिया भर में शिप होंगे. यह कदम एप्पल के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है, क्योंकि कंपनी चीन पर निर्भरता घटाकर भारत को अपनी प्राथमिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करना चाहती है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एप्पल ने भारत में अपने प्रोडक्शन नेटवर्क को विस्तार देते हुए पांच बड़े कारखानों को iPhone 17 उत्पादन में शामिल किया है. इनमें से कुछ हाल ही में शुरू हुए हैं, जैसे कि टाटा ग्रुप का होसुर (तमिलनाडु) प्लांट और फॉक्सकॉन का बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास स्थित नया यूनिट. यह पहली बार है कि एप्पल भारत से शुरुआत से ही सभी नए मॉडल तैयार करेगा और निर्यात भी करेगा.

भारत सरकार की मेक इन इंडिया नीति और पीएलआई स्कीम ने इस बदलाव की राह आसान की है. वहीं, टाटा ग्रुप का बढ़ता प्रभाव यह संकेत देता है कि आने वाले सालों में भारत सिर्फ असेंबली बेस नहीं रहेगा, बल्कि एप्पल का एक रणनीतिक उत्पादन केंद्र बन जाएगा.

भारत में एप्पल का विस्तार

एप्पल ने iPhone 17 का उत्पादन भारत में करने का जो फैसला लिया है, वह भारत की बढ़ती उत्पादन क्षमता का स्पष्ट संकेत है. टाटा ग्रुप का होसुर स्थित नया कारखाना और फॉक्सकॉन का बेंगलुरु प्लांट इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. पहले जहां iPhone का उत्पादन चीन में लगभग पूरी तरह होता था, अब एप्पल भारत को अपने वैश्विक सप्लाई चेन में प्रमुख स्थान दे रहा है. यह फैसला न सिर्फ भारत के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा, बल्कि उच्च तकनीक उत्पादन को भी बढ़ावा देगा.

टाटा ग्रुप की अहम भूमिका

टाटा ग्रुप धीरे-धीरे एप्पल का सबसे बड़ा भारतीय पार्टनर बनता जा रहा है. 2023 में टाटा ने विस्ट्रॉन कॉर्प का कर्नाटक स्थित iPhone प्लांट खरीदा था. इसके अलावा, टाटा के पास चेन्नई (तमिलनाडु) के पास स्थित पैगाट्रॉन प्लांट में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी है. आने वाले दो सालों में उम्मीद है कि टाटा ग्रुप भारत में iPhone उत्पादन का लगभग 50% हिस्सा संभालेगा. इससे साफ है कि एप्पल भारत में अपनी सप्लाई चेन को बहुस्तरीय और स्थिर बनाने के लिए टाटा पर भरोसा जता रहा है.

भारत का बढ़ता स्मार्टफोन निर्यात

भारत का स्मार्टफोन निर्यात पिछले दो सालों में अभूतपूर्व तरीके से बढ़ा है. 2024 में जहां अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात का भारत का हिस्सा केवल 11% था, वहीं 2025 के पहले पांच महीनों में यह बढ़कर 36% तक पहुंच गया. दूसरी ओर चीन की हिस्सेदारी 82% से गिरकर 49% पर आ गई है. इससे स्पष्ट है कि भारत अब अमेरिका समेत दुनिया भर के लिए एक मुख्य निर्यात केंद्र के रूप में उभर रहा है.

टैरिफ और भू-राजनीतिक दबाव

भारत में उत्पादन बढ़ाने के पीछे भू-राजनीतिक और व्यापारिक कारण भी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल 2025 में कई देशों पर रिसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जिसमें भारत भी शामिल था. हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स जैसे फोन और कंप्यूटर को इस टैरिफ से छूट मिली. हाल ही में भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, लेकिन iPhone जैसे उत्पाद अभी भी सुरक्षित हैं. इन परिस्थितियों में एप्पल के लिए भारत से उत्पादन और निर्यात करना कम जोखिम वाला विकल्प बन गया है.

भारत-अमेरिका संबंध और एप्पल की रणनीति

भले ही ट्रंप प्रशासन भारत पर टैरिफ लगा रहा है, लेकिन एप्पल ने अमेरिका में भी निवेश बढ़ाने की घोषणा की है. एप्पल सीईओ टिम कुक ने हाल ही में 100 बिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया है, जिससे अमेरिका में उसकी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता मजबूत होगी. इसका मकसद अमेरिकी सरकार को यह संदेश देना है कि एप्पल अपनी उत्पादन रणनीति में संतुलन बनाए रखना चाहता है.

भारत के लिए फायदे

iPhone 17 का पूरा उत्पादन भारत में होना भारत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है. इससे लाखों लोगों के लिए नए रोजगार अवसर तो पैदा होंगे ही, साथ ही हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में भारत की क्षमता बढ़ेगी. इसके अलावा निर्यात में वृद्धि से विदेशी आय भी बढ़ेगी. साथ ही भारत एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित होगा.

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