PM Modi Nal Airbase Visit: पहलगाम आतंकी हमले को 1 महीना पूरा होने पर पीएम मोदी नाल एयरबेस यात्रा पर ही क्यों?
पहलगाम हमले के बदले ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को बुरी तरह ध्वस्त किया. अब एक महीने बाद, पीएम मोदी का नाल एयरबेस जाना पाकिस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. नाल एयरबेस से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में आतंकवादी अड्डों पर हमले हुए थे. यह दौरा भारतीय सेना के मनोबल को बढ़ाता है और पाकिस्तान के लिए गंभीर चुनौती बन गया है. नाल एयरबेस पाकिस्तान से केवल 160 किलोमीटर दूर है, जो भारत की पश्चिमी सीमा का मुख्य रणनीतिक केंद्र है.;
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (Pahalgam Terror Attack) का हिसाब बराबर करने के लिए भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी अड्डों (Pakistan Terrorist Camp) पर “ऑपरेशन-सिंदूर” द्वारा मचाए गए हाहाकार से जन्मी ‘चित्कारें’, पाकिस्तानियों के जेहन से आना अभी बंद नहीं हुई हैं. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की मार से हासिल जख्मों ने पाकिस्तानी सरकार, उसकी फौज व खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) को भारत से मिले ज़ख्मों पर महरम तक लगाने का मौका नहीं दिया है.
मतलब एक पहलगाम हमले के बदले में भारत ने हर मोर्चे पर पाकिस्तान की हालत पस्त कर डाली है. ऐसे में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपने बहादुर फौजियों के पास जाकर उनसे मिलना-जुलना, पाकिस्तान को “जले पर नमक छिड़कने” जैसा अहसास करवा रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारतीय फौज (Indian Army) के बाजुओं में मौजूद 'बल-पराक्रम' के बाद अब उनकी पीठे-ठोंकने के लए जब भारत के प्रधानमंत्री उनके बीच पहुंच रहे हैं, तो बेबस-लाचार पाकिस्तान को यह सब भी न-गवार गुजरना लाजिमी है.
भारतीय फौज के लिए करणी-माता का महत्व
इसी क्रम में कहिये या फिर समझिये कि पहलगाम हमले के लिए एक महीना पूरा होने की तारीख के मौके पर गुरुवार (22 मई 2025), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Nal Airbase Visit) बीकानेर (PM Bikaner Visit) की यात्रा पर हैं. यहां उन्होंने सबसे पहले देशनोक में मौजूद धार्मिक स्थल यानी दुनिया भर में प्रचलित करणी माता मंदिर में पूर्जा-अर्चना की. क्योंकि करणी माता को भारतीय फौजें अपनी देवी और शक्ति मानते हैं. वह इन देवी को अपनी जीत का प्रतीक भी समझते हैं. आज से नहीं बीते कई दशक से.
ऑपरेशन सिंदूर से नाल एयरबेस का संबंध
ऑपरेशन सिंदूर के चक्रव्यूह की रचना जब पाकिस्तान के आतंकवादी अड्डों पर कहर बरपाने के लिए की गई. तब फिर ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय वायुसेना के नाल एयरबेस पर ही क्यों गए? वह भी पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के ठीक एक महीने बाद की तारीख पर? स्टेट मिरर हिंदी के सवाल के जवाब में भारतीय थलसेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वी के चतुर्वेदी बोले, “सीधे-सीधे पाकिस्तान को चुनौती देने हमारे प्राइम मिनिस्टर नाल एयरबेस पहुंचे हैं. इससे पाकिस्तान फिर चैन से नहीं सो सकेगा. और हमारी फौजों की रगों में फिर से खून का तेज संचार होने लगेगा. नाल एयरबेस ही तो भारतीय वायुसेना की वह अहम जगह है जहां से, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उड़े हमारे लड़ाकू विमानों ने 6-7 मई 2025 को आधी रात के बाद पाकिस्तान में मौजूद उसके आतंकवादी अड्डों को बर्बाद करने के लिए छलांग लगाई थी.”
पाकिस्तान के ज़ख्मों पर नमक छिड़का है
इन दिनों अमेरिका (America) में मौजूद भारतीय थलसेना (Indian Army) के रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी (Retired Major General Sudhakar Jee) ने स्टेट मिरर हिंदी से बात करते हुए कहा, “पहलगाम 22 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया गया था. हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ठीक एक महीने बाद उसी तारीख (22 मई 2025) पर नाल एयरबेस पहुंचे हैं. इससे हिंदुस्तान की सरकार ने एक तीर से कई शिकार कर डाले हैं. जैसे कि पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय फौजों द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादी अड्डों पर बरपाये गए कहर की खूनी याद. जिसने पाकिस्तान की सरकार, मिलिट्री और उसकी इंटेलीजेंस एजेंसी ISI के जख्मों पर नमक छिड़का है.”
PM की यात्रा पाकिस्तान को बमबारी सी लगेगी
अपनी बात जारी रखते हुए रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी आगे कहते हैं, “दरअसल 6-7 मई 2025 को आधी रात के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तानी आतंकवादी अड्डों पर भारतीय वायुसेना द्वारा बरपाए गए कहर में, इस नाल एअरबेस की अहम भूमिका रही है. ऐसे में नाल एयरबेस का प्रधानमंत्री मोदी का दौरा जहां, भारतीय फौजों का मनोबल बढ़ाएगा. वहीं पाकिस्तान के जख्मों को भी पिन से कुरेदेगा. प्राइम मिनिस्टर मोदी जी का नाल एयरबेस जाना, पाकिस्तान को उसी तरह खल रहा होगा जैसे कि मानों उसके ऊपर भारतीय फौजें अब भी बमबारी कर रही हों.”
कारगिल वॉर योद्धा रहे कर्नल चौहान ने कहा
साल 1999 में हुई कारगिल वॉर (Kargil War) के योद्धा और भारतीय थलसेना के रिटायर्ड कर्नल उदय प्रताप सिंह चौहान बोले, “जहां तक मुझे ख्याल आ रहा है कि, नाल एयरबेस की स्थापना साल 1942 में या फिर उसके आसपास हुई थी. वह ब्रिटिश काल था. ब्रिटिश हुकूमत ने ही यहां तक पहुंचने के लिए उस जमाने में इस दुर्लभ जगह तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत के बाद अस्थाई रनवे (अस्थाई हवाई पट्टी) बनाया था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसकी कद्र करना ब्रिटिश हुकूमत ने छोड़ दी. बाद में इसे भारतीय वायुसेना ने सजाया-संवारा.
प्रधानमंत्री मोदी जी की नाल एअरबेस जाने के पीछे कई कारण हैं. पहला कारण ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस एअरबेस से भी हमारे लड़ाकू विमानों ने उड़कर पाकिस्तान में 6-7 मई 2025 की रात तबाही मचाई. ऐसे में इस बेस और देश की तीनों सेनाओं का पीएम की इस यात्रा से मनोबल बढ़ना तय है. दूसरे इस यात्रा का दिन पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (22 अप्रैल 2025) के ठीक एक महीने बाद आई तारीख यानी 22 मई 2025 तय किया गया. जोकि पाकिस्तान के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहा होगा.
नाल एयरबेस यानी पाकिस्तान के सीने पर सवारी
जहां तक नाल एयरबेस की सैन्य-महत्ता की बात है तो, यह पाकिस्तान की सीमा से सिर्फ 155 या 160 किलोमीटर दूर मौजूद है. मतलब, हमारे प्रधानमंत्री आज नाल एयरबेस पर पहुंचकर समझिए, पाकिस्तान की छाती पर ही जा खड़े हुए हैं. यह भी पाकिस्तान के लिए एक खुली चुनौती से कम नहीं है. तीसरी वजह है कि नाल एयरबेस भारत की पश्चिमी सीमा का (फौज की नजर से) सबसे महत्वपूर्ण केंद्र भी है. ऑपरेशन सिंदूर में यहीं से उड़े फाइटर जेट्स ने बहावलपुर (पाकिस्तान) में मौजूद आतंकवादी अड्डों को तबाह कर डाला था.”
बोफोर्स तोप कमांडर रहे पूर्व कर्नल बोले
कारगिल वॉर के दौरान पाकिस्तानी फौज के सीने पर बोफोर्स तोप से ताबड़तोड़ गोले बरसाने के दौरान, दुश्मन के हमले में बुरी तरह ज़ख्मी हो चुके बोफोर्स तोप के रिटायर्ड (कर्नल) बैटरी कमांडर उदय प्रताप सिंह चौहान बताते हैं कि, “नाल एयरबेस सिर्फ पाकिस्तान के लिए ही मौत का केंद्र नहीं है. यह भारतीय फौज का भी सिरमौर है. ऑपरेशन सिंदूर की रात इसी एयरबेस से तो HAL तेजस MK-1A फाइटर जेट्स ने उड़ान भरी थी.
नाल एयरबेस भारतीय फौजों का ‘सिरमौर’
भारतीय वायुसेना की भाषा में बोलें तो इन्हें ‘कोबरा-स्क्वाड्रन’ भी कहा जाता है. यह वही नाल एयरबेस है जहां ऑपरेशन सिंदूर में मार खाने से खिसिआए पाकिस्तान ने हवाई हमले करने की कोशिश की. जिसे भारतीय फौजों ने आसमान में ही तबाह कर दिया. नाल एयरबेस चूंकि पाकितानी सीमा (भारत की हद में) पर ही स्थित है, इसलिए यहां पहले कभी मिग-21 (MIG-21) बाइसन जेट्स भी रखे गए थे. जिन्हें बाद में हटा लिया गया. यहां भारतीय सेना के पास ड्रोन्स, दुश्मन के लिए घातक और भारत के लिए शान का प्रतीक बहुत सी अत्याधुनिक मारक-क्षमता मिसाइलों का भी भंडार है.”