...तो भूखों मरेगा पाकिस्तान! सिंधु नदी पर कंट्रोल मिलते ही खाक में मिलेगा आतंकिस्तान, IEP की रिपोर्ट में क्या-क्या?
पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था 80% तक सिंधु नदी पर निर्भर है. भारत द्वारा इंडस वॉटर ट्रीटी निलंबित करने के बाद हालात बदल गए हैं. नई रिपोर्ट चेतावनी देती है कि भारत डैम संचालन में मामूली बदलाव कर दे तो पाकिस्तान में जल संकट, फसल बर्बादी और आर्थिक तबाही आ सकती है. अफगानिस्तान भी अब बांध बनाकर दबाव बढ़ा रहा है. क्या अगला भारत-पाक विवाद पानी पर होगा?;
दक्षिण एशिया की राजनीति अब सिर्फ़ जमीन, सीमा और युद्ध तक सीमित नहीं रही. पानी अब एक नया भू-राजनीतिक हथियार बन चुका है. पाकिस्तान, जिसकी खेती और अर्थव्यवस्था का 80% हिस्सा सिंधु बेसिन पर निर्भर है, आज ऐसे संकट के मुहाने पर खड़ा है जो किसी गोली या मिसाइल से नहीं, बल्कि नदियों के मुड़ते रुख से पैदा हो रहा है.
ऑस्ट्रेलिया की संस्था इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) की नई रिपोर्ट ने साफ चेतावनी दी है. भारत अगर सिंधु जल प्रणाली के प्रवाह में थोड़ा भी बदलाव कर दे, तो पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है. यानी युद्ध मैदान में नहीं, खेतों और नहरों में लड़ा जाएगा.
भारत ने बदला जल-राजनीति का समीकरण
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 की इंडस वॉटर ट्रीटी (IWT) को निलंबित कर दिया, जिसने दशकों तक भारत-पाक जल संबंधों का आधार बनाया था. अब भारत कानूनी रूप से बाध्य नहीं है कि वह पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का पानी पहले की तरह दे.
पाकिस्तान की भंडारण क्षमता सिर्फ 30 दिन
IEP रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में इतने कम जलाशय हैं कि वह सिर्फ 30 दिन का पानी सुरक्षित रख सकता है. यानी किसी भी मौसमीय बदलाव, डैम संचालन में बदलाव या फ्लो कंट्रोल का असर सीधे उसकी खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा.
भारत की ‘डैम स्ट्रैटेजी’ ने बढ़ाई बेचैनी
मई 2025 में भारत ने चिनाब नदी के सलाल और बगलीहार बांध में बिना पूर्व सूचना सिल्ट फ्लशिंग की. पाकिस्तान में कई इलाकों में पहले पानी सूखा और फिर अचानक बाढ़ आई. प्रभाव स्पष्ट था, पर नियंत्रण भारत के हाथ में.
भारत अब ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ प्रोजेक्ट्स से फ्लो कंट्रोल करेगा
रावी, सतलज, झेलम, चिनाब भारत ने इन नदियों पर बांध केवल ‘स्टोरेज’ नहीं, फ्लो टाइमिंग नियंत्रित करने के लिए बनाए हैं. इससे युद्ध के बिना ही पाकिस्तान की सिंचाई, बिजली और खेती पर असर डाला जा सकता है.
अफगानिस्तान ने भी खोल दिया नया मोर्चा
IWT सस्पेंड होने के बाद तालिबान सरकार ने कुनार नदी पर बांध बनाने की घोषणा कर दी है. सीधे असर के साथ: पाकिस्तान की ओर बहने वाला पानी और कम होगा. यानी भारत तो पहले से था, अब अफगानिस्तान भी जल-राजनीति का नया खिलाड़ी है.
जल तनाव और पाकिस्तान-सऊदी रक्षा गठबंधन
IEP रिपोर्ट का दावा- इसी जल संकट ने पाकिस्तान को सऊदी अरब से रक्षा समझौता करने को मजबूर किया. यानी पानी का झगड़ा अब सिर्फ़ सिंचाई का नहीं, सैन्य-सुरक्षा का मुद्दा बन चुका है. भारत अब सिंधु जल का पूरा कोटा इस्तेमाल करेगा. मोदी सरकार अब उस पानी को भी रोकना या मोड़ना चाहती है जो दशकों से बिना उपयोग के पाकिस्तान में बह रहा था. शाहपुरकंडी डैम (रावी) पूरा. उझ परियोजना निर्माणाधीन और किशनगंगा, रामगंगा जैसे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स तेज़ी पर चल रहे हैं.
अगला युद्ध जमीन का होगा या पानी का?
दुनिया भर के विशेषज्ञ मान रहे हैं एशिया के अगली बड़ी जंग सीमाओं पर नहीं, जलस्रोतों पर हो सकती है. और पाकिस्तान अभी भी अपनी सबसे बड़ी कमजोरी पानी के भंडारण की कमी को सुधारने में विफल है.