तुम बहुत बदसूरत हो....Shahrukh Khan को मिला था करियर में पहला ब्रेक, फिर 'किंग ऑफ़ रोमांस' बनकर किया राज
शाहरुख़ खान के 60वें जन्मदिन पर प्रोड्यूसर विवेक वासवानी ने उनके शुरुआती दिनों की एक दिलचस्प घटना शेयर की. जब शाहरुख अपने करियर की शुरुआत में थे और मुंबई जैसे महानगर में अपना पहला ब्रेक पाने की कोशिश कर रहे थे और उन्हें उस दौरान 'दिल असना' से पहला ब्रेक मिला.;
शाहरुख खान (Shahrukh Khan), जिन्हें प्यार से 'किंग खान' या 'बादशाह ऑफ बॉलीवुड' कहा जाता है, भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े स्टार हैं. उनकी सफलता की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती. एक मिडिल क्लास फैमली से निकलकर, बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के, उन्होंने मेहनत, टैलेंट और जुनून से बॉलीवुड पर राज कायम किया. 2 नवंबर 1965 में दिल्ली में जन्में शाहरुख़ उनके पिता, ताज मोहम्मद खान, एक पठान थे जो पेशावर से दिल्ली आए थे और स्वतंत्रता सेनानी थे. वे एक छोटा ट्रांसपोर्ट बिजनेस चलाते थे. मां, लतीफ फातिमा, एक मजिस्ट्रेट की बेटी थीं और घर संभालती थी.
शाहरुख की बड़ी बहन शहनाज लालारुख थी. मिडिल क्लास फैमली था, लेकिन खुशहाल।बचपन से ही शाहरुख में एक्टिंग का शौक था. सेंट कोलंबस स्कूल में पढ़ते हुए वे नाटकों में हिस्सा लेते थे और हॉकी टीम के कप्तान थे. स्कूल में उन्हें 'मेल रामनाथ गोयनका अवॉर्ड' मिला था. हंसराज कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया, जहां वे एक्टिंग सोसाइटी के प्रेसिडेंट बने. मास्टर्स इन मास कम्युनिकेशन के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया गए, लेकिन फिल्मी दुनिया की तरफ खिंचे चले गए.
कोई गॉडफादर नहीं
1981 में पिता कैंसर से गुजर गए, जब शाहरुख सिर्फ 15 साल के थे. 1991 में मां भी चल बसी, इन दुखों ने उन्हें मजबूत बनाया. दिल्ली छोड़कर मुंबई आए, जहां संघर्ष की शुरुआत हुई. कोई गॉडफादर नहीं, सिर्फ सपने और डिटर्मिनेशन. मुंबई पहुंचकर शाहरुख ने टीवी से करियर शुरू किया. 1989 में लेख टंडन की सीरीज फौजी में लेफ्टिनेंट अभिमन्यु राय का रोल मिला. यह उनका पहला बड़ा ब्रेक था, सीरीज हिट हुई और शाहरुख रातोंरात फेमस हो गए. इसके बाद सर्कस (1989), इंकार की कहानी और उम्मीद जैसी सीरीज की.
डेब्यू का जबरदस्त किस्सा
शाहरुख़ खान के 60वें जन्मदिन पर प्रोड्यूसर विवेक वासवानी ने उनके शुरुआती दिनों की एक दिलचस्प घटना शेयर की. जब शाहरुख अपने करियर की शुरुआत में थे और मुंबई जैसे महानगर में अपना पहला ब्रेक पाने की कोशिश कर रहे थे, वे उस वक़्त विवेक वासवानी के घर ही रहते थे. एक दिन हेमा मालिनी का फोन विवेक के घर आया. विवेक के पिता ने फोन उठाया और पूछा, 'कौन हेमा मालिनी? जब हेमा जी ने दोबारा अपना इंट्रो दिया, तब जाकर समझ में आया कि सुपरस्टार हेमा मालिनी कॉल कर रही हैं.
लुंगी पहने बैठे थे धर्मेंद्र
हेमा मालिनी ने पूछा, 'क्या वह लड़का शाहरुख़ अब भी तुम्हारे घर पर रहता है? फिर विवेक ने शाहरुख को जगाया और खुद कॉल पर लाया. हेमा मालिनी ने शाहरुख को शाम 5 बजे अपने घर बुलाया. जब शाहरुख और विवेक, हेमा मालिनी के घर पहुंचे, तो वे घबराए हुए थे. वहां अखबार पढ़ रहे एक शख्स को उन्होंने तुरंत नहीं पहचाना, जो बाद में पता चला कि खुद धर्मेंद्र थे.
Image From IMD (Fauji 1988)
तुम कितने बदसूरत हो
मिलने पर हेमा मालिनी ने शाहरुख से कहा, 'लेकिन तुम तो बहुत बदसूरत हो! जब कारण पूछा गया कि वे शाहरुख को क्यों लेना चाहती हैं, तो उन्होंने बताया, 'आमिर खान और सलमान खान इस रोल के लिए मना कर चुके हैं.' विवेक वासवानी ने शाहरुख को और बेहतर साबित करने के लिए यह भी कह दिया, 'राकेश रोशन और रमेश सिप्पी ने शाहरुख को साइन कर रखा है.' हालांकि यह सच नहीं था, लेकिन कभी-कभी करियर संवरने के लिए ये छोटी बातें जरूरी होती हैं. अंत में हेमा मालिनी ने ठान लिया कि वे शाहरुख को अपनी फिल्म 'दिल आशना है' में कास्ट करेंगी और 50,000 रुपये देने को कहा. उनके पास पहले से ही जितेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती, डिंपल कपाड़िया, अमृता सिंह, कबीर बेदी जैसे सितारे थे, लेकिन उन्होंने न्यूकमर शाहरुख को मौका दिया.
'दिल आशना है' और असली डेब्यू
यूं तो 'राजू बन गया जेंटलमैन' उनकी पहली रिलीज फिल्म मानी जाती है, लेकिन असल में शाहरुख खान ने सबसे पहले 'दिल आशना है' साइन की थी. यह फिल्म 1992 में रिलीज़ हुई थी, और इसी फिल्म से शाहरुख के बड़े परदे का सफर शुरू हुआ. फिल्म में शाहरुख़ के साथ दिव्या भारती, जितेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती, डिंपल कपाड़िया और अमृता सिंह जैसे कलाकार थे.
रोमांस का बादशाह
1995 में आदित्य चोपड़ा की दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (DDLJ) आई. काजोल के साथ राज मल्होत्रा का रोल NRI लड़का जो ट्रेडिशनल वैल्यूज रखता है. फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़े, 20 साल तक मार्की सिनेमा में चली. शाहरुख को 'रोमांस किंग' का टाइटल मिला. इसके बाद 'दिल तो पागल है' (1997), 'कुछ कुछ होता है' (1998), 'कभी खुशी कभी गम' (2001) जैसी फिल्में हिट हुईं. यश चोपड़ा और करण जौहर के साथ उनकी जोड़ी गोल्डन थी. स्विट्जरलैंड में उनके स्टैच्यू तक लगे SRK की स्माइल, आर्म्स स्प्रेड पोज और डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें ग्लोबल आइकॉन बनाया.
इन फिल्मों में किया एक्सपेरिमेंट
2000s में शाहरुख ने एक्सपेरिमेंट किए 'स्वदेस' (2004) में NASA साइंटिस्ट, 'चक दे! इंडिया' (2007) में कोच कबीर खान दोनों क्रिटिकली अक्लेम्ड. 'माई नेम इज खान' (2010) में ऑटिस्टिक पर्सन. लेकिन ब्लॉकबस्टर्स जैसे 'चेन्नई एक्सप्रेस' (2013), 'हैप्पी न्यू ईयर' (2014) ने बॉक्स ऑफिस तोड़े. वे प्रोड्यूसर बने रेड चिलीज एंटरटेनमेंट शुरू किया. IPL टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के मालिक बनें. वह फोर्ब्स में बिलियनेयर लिस्ट में हैं. 2010s में कुछ फ्लॉप्स जैसे 'फैन' (2016), 'जब हैरी मेट सेजल' (2017) आए, लेकिन 'पठान' (2023) ने कमबैक किया 1000 करोड़ क्लब में शामिल हुई 'जवान' (2023) और 'डंकी' (2023) ने साबित किया कि किंग खान अभी भी राज करते हैं. उन्हें इस साल जवान के लिए उनके करियर में पहला नेशनल फिल्म अवार्ड मिला.