कहां है Sholay का रामगढ़? जो बन गया सिनेमा का इतिहास, आज है जाना माना टूरिस्ट स्पॉट
फिल्म के सेट डिज़ाइनर राम येदेकर ने रामगढ़ को एक ऑथेंटिक विलेज लुक देने के लिए बहुत मेहनत की क्योंकि गांव में मिट्टी के घर, लकड़ी के ढांचे, और गांव का चौक इसे एक ऐसा लुक दिया गया जिसे देखने के बाद सालों साल लगना चाहिए कि रामगढ़ जैसा एक असली गांव था. रामगढ़ सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि कहानी का एक प्रतीक भी है.;
रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी 'शोले' 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी. जिसमें अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जया बच्चन, हेमा मालनी और संजीव कपूर जैसे दिग्गज कलाकार नजर आए जो अब फिल्म के 50 साल होने का जश्न मनाने के लिए तैयार है. ब्लॉकबस्टर यह फिल्म आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है. फिल्म के हिट गानों से लेकर 'शोले' का 'रामगढ़' आज भी याद है. लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठता है कि आखिर यह गांव है कहां?. ज्यादा सस्पेंस न रखते हुए बता दें, फिल्म 'शोले' का रामगढ़ एक काल्पनिक गांव है, जो कहानी में एक मजबूत जगह रखता है. यह गांव फिल्म का ऐसा केंद्र है, जहां कुछ गांव वाले मिलकर एक साथ रहते है और वहां है गब्बर नाम के डाकू का खौफ. हालांकि, यह कोई रियल प्लेस नहीं है, बल्कि इसे फिल्म की शूटिंग के लिए खास रूप से बनाया गया था.
रामगढ़ का काल्पनिक प्लेस 'शोले' में 'रामगढ़' एक छोटा, ग्रामीण भारतीय गांव है, जो डकैत गब्बर सिंह के आतंक से जूझ रहा है. यह गांव ठाकुर बलदेव सिंह, जय, वीरू, और अन्य किरदारों की कहानी का आधार है. रामगढ़ को एक सामान्य भारतीय गांव के रूप में दिखाया गया है, जिसमें खेत, एक मंदिर, ठाकुर का हवेली, और गांव वालों के छोटे-छोटे घर हैं. यह सेटिंग कहानी को एक रियल रूप देती है. रामगढ़ का नाम और उसका माहौल उस समय के उत्तर भारत के ग्रामीण परिवेश से प्रेरित है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों से.
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कहां हुई थी फिल्म की शूटिंग?
रामगढ़ नाम के इस काल्पनिक गांव का सेट बनाया गया था. शोले की शूटिंग मुख्य रूप से रामनगर, फिल्म का अधिकांश हिस्सा कर्नाटक के रामनगर जिले में शूट किया गया था. यहां के चट्टानी और ऊबड़-खाबड़ इलाके गब्बर के डकैतों के अड्डे और 'रामगढ़' के आसपास के दृश्यों के लिए सही साबित हुए थे. रामनगर के पास ही वह मशहूर चट्टान है, जहां गब्बर का 'कितने आदमी थे?' वाला सीन फिल्माया गया था.
हालांकि मुंबई के दूर दराज के गांव के कुछ हिस्सों, जैसे ठाकुर की हवेली और गांव का मुख्य चौक, मुंबई के सिप्पी स्टूडियो में बनाए गए सेट पर शूट किए गए थे. इन सेट्स को इतनी बारीकी से बनाया गया था कि वे एक असली गांव जैसे प्रतीत होते हैं. वहीं कुछ बाहरी सीन और एक्शन सीक्वेंस महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में फिल्माए गए है. उदाहरण के लिए, ट्रेन डकैती का सीन पनवेल (महाराष्ट्र) के पास शूट किया गया था.
रामगढ़ का सिनेमाई डिज़ाइनसेट डिज़ाइन
फिल्म के सेट डिज़ाइनर राम येदेकर ने रामगढ़ को एक ऑथेंटिक विलेज लुक देने के लिए बहुत मेहनत की क्योंकि गांव में मिट्टी के घर, लकड़ी के ढांचे, और गांव का चौक इसे एक ऐसा लुक दिया गया जिसे देखने के बाद सालों साल लगना चाहिए कि 'रामगढ़' जैसा एक असली गांव था. रामगढ़ सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि कहानी का एक प्रतीक भी है. यह गांव उस समय के भारतीय समाज की चुनौतियों, जैसे अपराध, डर, और सामुदायिक एकता को दर्शाता है. वहीं रामगढ़ से तुलना भारत में कई जगहें ऐसी हैं जिनका नाम रामगढ़ है, जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और झारखंड में. लेकिन शोले का रामगढ़ इनमें से किसी वास्तविक स्थान पर आधारित नहीं है. यह पूरी तरह से स्क्रिप्ट राइटर सलीम-जावेद की कल्पना का हिस्सा है. लोग आज भी रामगढ़ शब्द सुनकर गब्बर, जय-वीरू, और ठाकुर को याद करते हैं. कई जगहों पर, खासकर रामनगर (कर्नाटक) में, पर्यटक उस स्थान को देखने जाते हैं, जहां शोले की शूटिंग हुई थी. यह स्थान अब एक पर्यटक आकर्षण बन चुका है. कुछ लोग मजाक में कहते हैं कि रामगढ़ का पानी का टावर या गब्बर की चट्टान आज भी वहां मौजूद है, हालांकि ये सेट अब ज्यादातर नष्ट हो चुके हैं.
क्या रामगढ़ को देखा जा सकता है?
अगर आप शोले के रामगढ़ को देखना चाहते हैं, तो रामनगर के आसपास के चट्टानी इलाके और शूटिंग स्थल देख सकते हैं. हालांकि, सेट अब मौजूद नहीं है, लेकिन स्थानीय गाइड आपको उन जगहों के बारे में बता सकते हैं,जहां फिल्म की शूटिंग हुई थी.