'तुम्हारे नाम में ग्लैमर नहीं...' इंडस्ट्री में नाम बदलने के ट्रेंड पर Guru Dutt से लड़ पड़ी थी Waheeda Rehman
'खामोशी', 'प्यासा', 'साहिब बीबी और गुलाम', 'गाइड', 'सीआईडी' और 'चौदहवीं का चांद' जैसी कई हिट फिल्मों का हिस्सा रही वहीदा रहमान ने हाल ही बताया कि कैसे उन्हें 16 साल की उम्र में इंडस्ट्री में नाम बदलने पर जोर दिया गया था. हालांकि वह एक न्यूकमर होते हुए भी अपने अधिकारों के लिए लड़ पड़ी थी और नाम बदलने से इंकार कर दिया था.;
अपने पांच दशक के करियर में वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) ने 'नील कमल', 'बीस साल बाद', 'खामोशी', 'प्यासा', 'साहिब बीबी और गुलाम', 'गाइड', 'सीआईडी' और 'चौदहवीं का चांद' जैसी कई हिट फिल्मों का हिस्सा रही हैं. हालांकि, दिग्गज अदाकारा ने हमेशा अपने मन की बात कही और अपने सामने रखी गई हर मांग को पूरा नहीं किया.
दरअसल, उस समय हिंदी सिनेमा में अपना नाम बदलना एक रिवाज माना जाता था, लेकिन दिग्गज अदाकारा ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. हाल ही में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बातचीत के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि जब उन्होंने 1956 में सीआईडी फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, तब वह एक जिद्दी नई अदाकारा थी.
आपका नाम अच्छा नहीं है
हीदा ने कहा, 'जब मैं चेन्नई से मुंबई एक न्यूकमर के रूप में आई थी, तो मुझे गुरु दत्त जी ने एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने के लिए बुलाया था. मेरी मां भी मेरे साथ आई थीं. उन्होंने कहा कि हम आपका नाम बदलना चाहते हैं क्योंकि यह बहुत लंबा है और अच्छा नहीं है. जब उन्होंने कहा कि उन्हें यह पसंद नहीं है, तो मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि उनका मेरा नाम बदलना असभ्य लगा था! मेरी मां और पिताजी ने मेरा नाम रखा, आप कौन होते हैं मुझे यह बताने वाले कि यह अच्छा नहीं है? मैंने इसे बदलने से इनकार कर दिया। स्क्रीन पर वहीदा रहमान दिखाई दे सकती है और आप काम करते समय मुझे वहीदा कह सकते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह लंबा है या नहीं.'
मैं इसे नहीं बदलूंगी
लेकिन, दत्त ने कहा कि नाम बदलना इंडस्ट्री का चलन है. उन्होंने दिलीप कुमार, मधुबाला, मीना कुमारी और कई अन्य लोगों के उदाहरण दिए. उस समय मुझे खुद पर बहुत गर्व था, मैं मैच्योरिटी के साथ शांत हो गई. मैंने उन्हें साफ मना कर दिया, क्योंकि मेरे माता-पिता ने मुझे यह नाम दिया था और मुझे यह पसंद है. उन्होंने कहा कि इस नाम में ग्लैमर और सेक्स अपील नहीं है. मैंने कहा कि आप जो भी कहें, मैं इसे नहीं बदलूंगी.'
अपने अधिकार के लिए लड़ी थी
सीआईडी के निर्देशक राज खोसला गुरु दत्त के करीबी दोस्त थे. उन्होंने कहा, 'जब भी हम किसी नए कलाकार को साइन करते हैं, तो वह हमारी शर्तों और नियमों के अनुसार काम करता है. आप एक न्यूकमर हैं, आप हमारे सामने शर्तें कैसे रख सकती हैं?.' इस पर दिग्गज एक्ट्रेस ने जवाब दिया, 'यह एक लेन-देन वाली बात होनी चाहिए. मेरी मां को मेरे कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने पड़े क्योंकि मैं केवल 16 साल की थी. वे इतनी छोटी लड़की को यह कहते हुए देखकर चौंक गए कि मैं यही करना चाहती हूं. वह भी अपनी शर्तों और अधिकार के साथ. उन्होंने तीन दिन बाद फोन किया और कहा कि वे मेरा नाम रखेंगे और इसे नहीं बदलेंगे.