Shreya Ghoshal : पांच बार जीता नेशनल अवार्ड, 12 साल की उम्र में बनी इस शो की विनर, 18 साल में मिला बड़ा ब्रेक
श्रेया घोषाल को भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी पहली पहचान मिली जब वे "सारेगामा" सिंगिंग रियलिटी शो में नजर आईं. साल 1996 में जब वह इस शो में नजर आईं तो महज 12 साल की थी. उन्होंने अपनी मधुर आवाज से जजों का दिल जीत लिया.;
अपनी मधुर आवाज के लिए जानी जाती श्रेया घोषाल का करियर उनके गाए गानों जितना ही शानदार है. 12 मार्च 1984 बरहामपुर, मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मी श्रेया के माता-पिता को कहां पता था कि एक दिन उनकी बेटी अपनी आवाज के दम से उनका नाम रोशन करेंगी. वह राजस्थान के कोटा के पास एक छोटे से शहर रावतभाटा में पली-बढ़ी. उनके पिता बिश्वजीत घोषाल एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में काम करते थे और उनकी मां शर्मिष्ठा घोषाल लिक्ट्रेचर में ग्रेजुएट.
श्रेया घोषाल को भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी पहली पहचान मिली जब वे 'सारेगामा' सिंगिंग रियलिटी शो में नजर आईं. साल 1996 में जब वह इस शो में नजर आईं तो महज 12 साल की थी. उन्होंने अपनी मधुर आवाज से जजों का दिल जीत लिया जिससे वह शो की विनर बनने में कामयाब रही. उन्होंने इंडस्ट्री का हिस्सा बनने से पहले कड़ी मेहनत की. उन्होंने संगीतकार कल्याणजी से 18 महीने तक ट्रेनिंग लिया और उसके बाद मुंबई में मुक्ता भिड़े से सुरों के गुण सीखे.
ऐसे मुंबई आईं सिंगर
41वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही श्रेया ने महज चार साल की उम्र में सिंगिंग करना शुरू कर दिया था. घोषाल ने अपनी आठवीं क्लास तक की एजुकेशन रावतभाटा के एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल से पूरी की. 1995 में, उन्होंने संगम कला ग्रुप द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लाइट वोकल म्यूजिक कॉन्सर्ट, नई दिल्ली में सब-जूनियर लेवल के लाइट वोकल ग्रुप में जीत हासिल की. 1997 में, जब उनके पिता का ट्रांसफर भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में हो गया, तो वह अपने परिवार के साथ मुंबई आ गईं और अणुशक्ति नगर में एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल में पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने जूनियर कॉलेज छोड़ मुंबई में SIES कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स में एडमिशन लिया, जहां उन्होंने अंग्रेजी के साथ कला को अपने सब्जेक्ट में शामिल किया.
'देवदास' बनी करियर में टर्निंग प्वाइंट
श्रेया की असली सफलता का सूत्र भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में था. उनका पहला बड़ा ब्रेक संजय लीला भंसाली की कमर्शियल फिल्म 'देवदास' (2002) से मिला. उन्होंने इस फिल्म के पांच गाने गाए जिसमें से 'बैरी पिया', 'हमेशा तुमको चाहा', 'शीशे से शीशा टकराए', 'मोरे पिया', 'डोला रे डोला' हिट गाने गाए. 'श्रेया बैरी' पिया के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया था. यह उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट बन गया. जब वह महज 19 साल की थी.
अब तक जीते पांच नेशनल अवार्ड
श्रेया जिन्हें उनके करियर में अब तक पांच नेशनल अवार्ड मिल चुके हैं. उन्होंने अभी 3000 से ज्यादा गाना गाए है. जिसमें से बंगाली, मराठी, भोजपुरी समेत 20 भाषाएं शामिल हैं. उन्हें आखिरी बार साल 2023 में तमिल फ़िल्म 'इराविन निज़ल' के गाने 'मायावा चयवा' के लिए नेशनल अवार्ड मिला था.