बिल्डर लॉबी के लिए जो दीपक नांदल कल तक ‘कांटे से कांटा’ निकालने का ‘औजार’ था, वही गुंडा आज बिल्डरों के खिलाफ ‘वसूली-पुत्र’ बना!
गुरुग्राम के गैंगस्टर दीपक नांदल अब बिल्डरों के लिए समस्या बन गया है. पहले वह प्रॉपर्टी डीलरों के लिये काम करता था, लेकिन अब बिल्डरों को धमका कर रंगदारी वसूलता है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल उसकी गतिविधियों पर नजर रखे हैं. दीपक अपने शूटर्स से गोलियां चलवाकर शिकारों को डराता है, जबकि खुद छिपकर संचालन करता है. अगर जल्दी पकड़ा न गया तो वह एनसीआर में कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है.;
इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य में दीपक नांदल नाम का शार्प-शूटर गुंडा गैंगस्टर खूब बदनामी बटोर रहा है. हाल ही में उसने गुरुग्राम इलाके में जब एमएनआर बिल्डमार्क कंपनी के मालिकान-भाईयों के मुख्यालय पर गोलियां झोंकी, तब दीपक नांदल फिर सुर्खियों में है. सवाल चूंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपराध जगत में किसी नए नए शूटर-गैंगस्टर के जन्म का है. इसलिए दिल्ली पुलिस की नजरों में भी दीपक नांदल खटकने लगा है. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और क्राइम क्राइम ब्रांच मुख्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें, दीपक नांदल ने रंगदारी वसूली के साथ-साथ भाड़े पर कत्ल करने का खूनी-धंधा भी शुरू कर दिया है.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच के अंदरूनी लोग अगर यह सुरागसी “स्टेट मिरर हिंदी” के एडिटर क्राइम से कर रहे हैं, इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में अगर हरियाणा से पहले दीपक नांदल दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ जाए तो कोई हैरत की बात नहीं होगी. दिल्ली और हरियाणा पुलिस की एंटी-गैंगस्टर टीमें एक बिंदु पर तो समान ही सोच रखती हैं कि, “दीपक नांदल दो साल पहल तक वास्तव में एक अदना सा ही युवा था. हां, उसे रातों-रात धन्नासेठ बनने की धुन हमेशा से सवार थी. वह भी कुछ बिना करे धरे. दो साल पहले वह एनसीआर के कुछ बड़े प्रॉपर्टी डीलरों के यहां उठने-बैठने लगा. इन प्रॉपर्टी डीलरों के यहां से इसे कमीशन के बतौर इनकम होने लगी.
इसी दौरान दीपक नांदल ने ताड़ लिया कि उसका काम प्रॉपर्टी डीलरों से मिलने वाले कमीशन से नहीं चलेगा. साथ ही उसे अंदाजा हो गया था कि प्रॉपर्टी डीलरों से मोटी आसामी तो बिल्डर होते हैं. जो करोड़ों अरबों में खेलते हैं. साथ ही उसे इस बात की भी भनक लग चुकी थी कि बिल्डरों के आपस में और ग्राहकों से आये-दिन झगड़े-फसाद चलते रहते हैं. यह बिल्डर खुद इन झगड़ों को निपटाने के लिए या फिर किसी को धमकी देने का दमखम नहीं रखते हैं. क्योंकि बिल्डरों को बिजनेस करना होता है.
सिक्योरिटी मनी और बिल्डर के लिए काम शुरू
हां, दीपक नांदल को जैसे ही पता चला कि यह मशहूर बिल्डर अपने यहां दबंग टाइप के कुछ गुंडों को हमेशा अपने पैसों के बलबूते जरूर पाल-पोसकर रखते हैं. तो दीपक नांदल ने प्रॉपर्टी डीलरों के यहां से अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर गुरुग्राम, फरीदाबाद, दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा के कुछ बड़े बिल्डरों के यहां आना-जाना शुरू कर दिया. करीब एक साल पहले एक बिल्डर के यहां पहले से जमे मसलमैन से दीपक नांदल की मुलाकात हुई. दोनों के विचार मिले तो दीपक नांदल और उस बदमाश ने साझे में कारोबार शुरू कर दिया. दोनों ने एक बिल्डर से सिक्योरिटी-मनी के रूप में मोटी रकम वसूल कर, उस बिल्डर के इशारे पर (जिससे सिक्योरिटी मनी मिली होती है) किसी दूसरे बिल्डर या उसके कारिंदों को धमकाना शुरू कर दिया.”
दीपक नांदल जैसे बदमाश किसी के सगे नहीं होते
गुरुग्राम रेंज के एक पूर्व पुलिस उप-महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के मुताबिक, “दरअसल दीपक नांदल जैसे बदमाश किसी के सगे नहीं होते हैं. इन्हें जो और जब तक पैसा देता है, तब तक यह उस आदमी की चाकरी करते हैं. वह जैसा चाहे दीपक नांदल जैसों को मोटी रकम देकर करवाता है. जहां तक दीपक नांदल के बारे में और जिस तरह से उसे लेकर अखबारों में खबरें आ रही हैं, उससे साफ जाहिर है कि दीपक नांदल के पास अपना कुछ नहीं है. वह सिर्फ दबंगई के बलबूते और कुछ अपने विश्वासी लड़कों के भरोसे पर गुंडई कर रहा है. दीपक नांदल जैसे पैसों के भूखों को मुझे तो लगता है कि एनसीआर के ही कुछ बिल्डरों ने पहले कांटे से कांटा निकालने के लिए पाला-पोसा. जब दीपक नांदल के हाथ में बिल्डरों की कमजोर नस आ गई, तो वह बड़ा गुंडा रंगदारी वसूलीदार बन गया.”
जिन्होंने किया इस्तेमाल, उन्हें ही दीपक ने बनाया शिकार
बकौल दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव, “कहूं कि कल तक अपने दुश्मन को नीचा दिखाने के लिए जिन बिल्डरों ने दीपक नांदल को पैसे के दमखम पर पाल-पोसकर रखा था. वह दीपक नांदल अब अपने पांवों पर खड़ा होते ही, उन्हीं बिल्डरों के लिए वसूली-पुत्र बनकर बबूल बन चुका है. कल तक जो बिल्डर अपने हिसाब से पैसे के बलबूते दीपक नांदल को हांक रहे थे, अब वही दीपक नांदल उन्हीं बिल्डरों के लिए मुसीबत बन चुका है. क्योंकि अब दीपक नांदल किसी भी बिल्डर के लिए भाड़े पर काम नहीं कर रहा होगा. अब उसने अपने गुंडों के साथ गैंग बनाकर, खुद ही उन्हीं बिल्डरों को धमका कर मोटी रंगदारी वसूलने का कारोबार शुरू कर दिया है, जो बिल्डर कल तक अपने व्यावसायिक प्रतिद्वंदियों को नीचा दिखाने के लिए कांटे से कांटा निकालने की खोटी नियत से दीपक नांदल का इस्तेमाल कर रहे थे. कोई बड़ी बात नहीं है कि दीपक नांदल आज उन्हीं बिल्डरों को धमका कर मोटी रकम वसूल रहा हो, जिनकी रोटियों पर वह कल तक पल रहा था.”
खुद न जाकर शूटर्स से चलवाते हैं गोलियां
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के एक वर्तमान उच्चाधिकारी के मुताबिक, “दीपक नांदल का नाम जल्दी में ही सुनने में आया है. भले ही इसने अभी तक दिल्ली में किसी वारदात को अंजाम न दिया हो, मगर हमारी टीमें भी इसके मूवमेंट पर नजरें रखे हैं. इस तरह के अपराधियों पर जब एक जगह पुलिस का दबाव बढ़ता है तो वे बचने के लिए कुछ वक्त को जगह बदल देते हैं. जगह भी यह बदमाश आसपास ही रखते हैं. ताकि इन्हें आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में किसी तरह की ज्यादा परेशानी न हो. जहां तक दीपक नांदल जैसे नामी गैंगस्टर्स के काम करने के तरीके की बात है तो यह सीधे खुद मौके पर जाकर कभी किसी शिकार को नहीं धमकाते हैं. न ही खुद सीधे पहुंचकर गोलियां दागते हैं. इनके आगे कुछ पले हुए भाड़े के शूटर्स होते हैं. जिनसे यह अपने शिकार को धमकवाते हैं. शिकार के दफ्तरों घरों के बाहर गोलियां चलवाते हैं. हां, जैसे ही इनके शूटर शिकार को धमकाने का काम कर देते हैं, दीपक नांदल जैसे बड़े गैंगस्टर उन शूटर्स का तय पैसा अदा कर देते हैं. बाद में उस गोलीकांड की जिम्मेदारी सोशल मीडिया के जरिए अपने कंधों पर लेने का काम दीपक नांदल जैसे गैंगस्टर खुद करते हैं.
इससे इन्हें दो फायदे होते हैं. एक तो कहीं खुद जाकर इन्हें गोलियां झोंकने की जरूरत नहीं पड़ती है. इससे इन्हें खुद के पकड़े जाने का डर नहीं होता. अपने शूटर्स से गोलियां चलवाकर शिकार को धमकवाने के बाद घटना की जिम्मेदारी इनके द्वारा लिए जाने से, शिकार को पता चल जाता है कि यह कांड किसने कराया है. इसलिए अपनी जान बचाने की गरज में पीड़ित पक्ष शूटर्स से संबंध स्थापित न करके दीपक नांदल जैसे गैंग लीडर्स से ही डील करने की सीधी कोशिश करता है.”
राहुल फाजिलपुरिया पर हुए गोलीकांड में भी दीपक का नाम
दीपक नांदल की तलाश में चार-पांच दिन से खाक छान रही गुरुग्राम क्राइम ब्रांच टीम के सहायक पुलिस स्तर के एक अधिकारी की मानें तो, “हाल ही में करीब दो महीने के अंदर गायक राहुल फाजिलपुरिया पर हुए गोलीकांड, जिसमें उनके रिश्तेदार रोहित शौकीन की हत्या हो गई, में भी दीपक नांदल और सुनील सरधानिया का नाम आया था. क्योंकि इन दोनो ने बकाया पैसे न देने पर दुबारा हमला करने की धमकी खुद ही सोशल मीडिया के जरिए दी थी. दीपक नांदल खुद को भले ही विदेश में छिपा हुआ बताता हो, मगर ऐसा नहीं है. वह पुलिस से बचने के लिए खुद को विदेश में छिपा बता रहा है. उसके आने-जाने के कुछ प्रमुख स्थान हरियाणा, दिल्ली, श्रीगंगानगर, यमुना नगर, ग्रेटर नोएडा के दो तीन गांव में मिले हैं. हां, यह जरूर है कि दीपक नांदल को अगर अभी काबू नहीं किया गया तो वह एनसीआर में कानून-व्यवस्था और पुलिस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.”
कहीं दिल्ली को अपनी वारदातों का गढ़ न बना डाले दीपक नांगल
दिल्ली पुलिस की नजरों में दीपक नांदल इसलिए भी खटक रहा है क्योंकि बीते अगस्त 2025 महीने में गुरुग्राम में उसके शूटर्स ने सेक्टर-77 में जिस रोहित शौकीन को गोलियों से भून डाला था, वह दिल्ली के निहालपुर नागलोई का रहने वाला था. जांच में पता चला था कि रोहित शौकीन का किसी प्रॉपर्टी डीलर से लेन-देन को लेकर विवाद चल रहा था. उस प्रॉपर्टी डीलर ने ही मोटी रकम दीपक नांदल को देकर उसके शूटर्स से रोहित शौकीन को कत्ल करवा डाला था. ऐसे में दिल्ली पुलिस को आशंका है कि अगर वक्त रहते जल्दी-जल्दी दीपक नांदल को अगर काबू नहीं किया गया तो, वह और उसके शूटर्स दिल्ली को भी अपनी कर्मस्थली न बना डालें.
दीपक के सोशल मीडिया एकाउंट की पुष्टि नहीं
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, “अब तक यह भी पुख्ता नहीं है कि जिस सोशल मीडिया एकाउंट पर आपराधिक वारदातों की जिम्मेदारी ली जा रही है वह दीपक नांदल का ही है भी या नहीं. संभव है कि दीपक नांदल एकदम खामोश रहकर कहीं छिपकर, आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवा रहा हो. और उसी के इशारे पर उसके नाम से सोशल मीडिया एकाउंट का इशारा दीपक नांदल का ही कोई पाला हुआ भाड़े का गुंडा कर रहा हो. क्योंकि दीपक नांदल, लॉरेंस बिश्नोई या फिर गोल्डी बरार जैसे शातिर दिमाग अपराधी कभी भी कहीं भी खुद सामने न आकर, अपने भाड़े के लड़कों को ही हमेशा जमीन पर सामने रखते हैं. ताकि अगर पकड़े या मारे जाएं तो भाड़े के गुंडे मारे-पकड़े जाएं. इन गैंगस्टर्स की गर्दन तक पुलिस आसानी से न पहुंच सके.”