PapalPreet Singh: आईएसआई के इशारे पर खालिस्तान समर्थन को फर्जी ‘पत्रकार’ बने पपलप्रीत सिंह की 'कुंडली'

पपलप्रीत सिंह, खालिस्तानी समर्थक और अमृतपाल सिंह का सबसे करीबी सहयोगी माना जाता है. कई रिपोर्टों में उसे अमृतपाल का 'गुरु' और 'मेंटॉर' कहा गया है, जिसने उसे भारत विरोधी गतिविधियों की ट्रेनिंग दी. पपलप्रीत पर आरोप है कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम करता है और भारत में अलगाववादी साजिशों को अंजाम देने में सक्रिय रहा है. यह भी कहा जाता है कि डेढ़-दो साल पहले अमृतपाल को छिपाने के लिए उसने पंजाब में कई ठिकानों का इंतजाम किया था.;

( Image Source:  ANI )

पहले अमृतपाल सिंह और पपलप्रीत सिंह. पंजाब पुलिस और भारतीय एजेंसियों के लिए यह दोनों ही नाम बेहद सिरदर्द वाले हैं. अमृतपाल सिंह अभी तक जिस डिब्रूगढ़ जेल में कैद है. कुछ दिन पहले तक पपलप्रीत सिंह भी वहीं उसी जेल की सलाखों में कैद पड़ा था. हाल ही में उसे पंजाब पुलिस डिब्रूगढ़ जेल से बाहर निकाल कर लाई थी. फिलहाल उसे पंजाब की जेल में भेज दिया गया है. आइए जानते हैं कि आखिर खालिस्तान समर्थक इस पपलप्रीत सिंह की क्राइम और जन्म कुंडली है क्या? पपलप्रीत सिंह को बीते साल अप्रैल महीने में दिल्ली और पंजाब पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में गिरफ्तार किया गया था.

बदनाम चेले अमृतपाल सिंह का ‘गुरु’

पपलप्रीत सिंह (Papal Preet Singh) की पहली पहचान तो यही है कि भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त यह खालिस्तानी समर्थक, अमृतपाल सिंह का ‘राइट हैंड’ है. कुछ लोग कहते हैं कि अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh Terrorist) का यह ‘गुरु’ भी है. अमृतपाल सिंह को भारत विरोधी गतिविधियों में उतरने के लिए इसी ने ‘ट्रेनिंग’ दी है. पपलप्रीत सिंह कथित रूप से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ के ‘पे-रोल’ पर भी काम करने वाला माना जाता है. करीब डेढ़-दो साल पहले अमृतपाल सिंह को छिपाने के लिए अड्डे तलाशने का काम भी इसी मास्टरमांइड ने किया था.

फर्जी पत्रकार असली गद्दार....!

पुलिस और भारतीय एजेंसियों को गुमराह करने के लिए कहिए या फिर, खुद को उनकी नजरों में चढ़ने से बचाए रखने के लिए समझिए, लंबे समय तक खुद को अमृतसर (Amritsar) का पत्रकार ही बताता रहा था. हालांकि, एजेंसिया इसे पत्रकार मानती ही नहीं हैं. एजेंसियों और पंजाब पुलिस के मुताबिक पपलप्रीत सिंह ने एजेंसियों की नजरों से खुद को बचाए रखकर, भारत विरोधी गतिविधियों (Anti-Social Aliment ) को अंजाम देने के लिए ‘प्रेस और पत्रकारिता’ के परदे की आड़ लेने की कोशिश की थी. जिसे विफल कर दिया गया.

इस घाघ प्रकृति के मास्टरमाइंड ने अपनी खाल भारतीय एजेंसियों से बचाने और पाकिस्तानी (Pakistan) खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की मदद के लिए, कथित तौर पर ‘पंजाब शील्ड’ नाम की वेबसाइट भी चालू कर रखी थी. जोकि अब जांच में एक खालिस्तान (Khalistan Supporter) का समर्थन, प्रचार-प्रसार करने वाली वेबसाइट सिद्ध होने के कगार पर खडी है. इसके खिलाफ अब तक 4 मुकदमों का पता चला है. इसके खिलाफ एक मुकदमा संगीन धाराओं में अजनाला पुलिस थाने (Ajnala Police Station)में दर्ज है. इसी मामले में इसे डिब्रूगढ़ जेल (Dibrugarh Central Jail) से निकाल कर, पंजाब की कोर्ट में पेश किया गया. वहां से न्यायिक हिरासत में इसे जेल भेज दिया गया है.

इसलिए आयकर विभाग के रडार पर है

इसके बैंक खातों में लाखों रुपए के संदिग्ध लेन-देन संबंधी कागजात भी जांच एजेंसियों के हाथ लगे हैं. इसी के चलते अब इसके खिलाफ आयकर विभाग भी जांच कर रहा है. दो साल पहले भारतीय एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गए अमृतपाल सिंह का खुद को मीडिया एडवाइजर कहने वाला, यह वही कुख्यात पपलप्रीत सिंह है, जो अमृतपाल सिंह की फरारी के दौरान, हर वीडियो में उसे साथ मोटर साइकिल पर इधर उधर भागता हुआ, दिखाई दिया करता था. लेकिन अमृतपाल सिंह जब गिरफ्तार हुआ, यह उसके करीब एक साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ सका.

नमक भारत का और गुणगान ‘पाकिस्तान’ का

पपलप्रीत इन दिनों ऐसा खतरनाक खालिस्तान समर्थक है जो, कुछ वक्त पहले तक भारत (पंजाब) में रहकर ही, भारत का नमक खाकर भी, भारत के ही खिलाफ माहौल बनाने में जुटा था. सिर्फ और सिर्फ एक अदद, भारत के दुश्मन नंबर-1 पाकिस्तान की धूर्त खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर. इस वक्त 40-42 साल की उम्र के पड़ाव से पार होता, पपलप्रीत सिंह पंजाब के किसान परिवार से ताल्लुक रखता है. इसका कथित दावा है कि इसने कॉन्वेंट स्कूल के पढ़ाई करने के बाद, पीजी डिप्लोमा भी किया है. हालांकि, इससे कड़ी पूछताछ कर चुकी पंजाब-दिल्ली पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों की मानें, तो यह सिर्फ और सिर्फ कट्टर खालिस्तान समर्थक और घोर भारत विरोधी मानसिकता वाला है.

कुकर्म छिपाने को ‘सफेद कुर्ता-पैजामे’ की शरण

यही वजह थी कि यह खूंखार शख्स 20 साल की उम्र पार करते करते ही खालिस्तान समर्थक बन गया. यह वही मास्टरमाइंड पपलप्रीत सिंह है जिसने, साल 1990 में जेल में बंद सिख कैदियों की रिहाई के लिए खूब शोर-शराबा मचाया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2017 में इसने पॉलिटिकल शरण लेने के लिए सिमरनजीत सिंह मान की पार्टी शिरोमणी अकाली दल(अमृतसर) का उंगली भी पकड़ी थी. 9 महीने बाद ही मगर यह उस पार्टी से भाग आया. इसी पपलप्रीत सिंह के खिलाफ सख्त हुई पंजाब की तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल (बादल) सरकार ने इसके खिलाफ नवंबर 2015 में, आईएसआई के साथ इसके कथित संबंधों के चलते, देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज किया था. बीते साल से पहले इसे साल 2015 और साल 2016 में भी गिरफ्तार किया जा चुका है.

अमृतपाल सिंह को ‘भूत’ बना डालने वाला

अभी डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह के चाचा चाहते थे कि वह, (फरार चल रहा अमृतपाल सिंह) भारतीय एजेंसियों के सामने सरेंडर कर दे. उसे सरेंडर न करने देने के पीछे भी इसी पपलप्रीत सिंह का ही प्रमुख हाथ रहा है. फरारी के दौर में कुरुक्षेत्र के शाहबाद में जिस महिला बलजीत कौर के घर पर अमृतपाल सिंह देखा गया था, वो महिला भी इसी पपलप्रीत सिंह की दोस्त है. अमृतपाल सिंह के खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दा’ को खड़ा करवा कर उसे पालने-पोसने में भी यही पपलप्रीत सिंह आगे रहा है.

भारत का ‘दुश्मन’, सिखों का हितैषी कैसे?

इसे जब शमशीर-ए-दस्त नाम की पत्रिका में बब्बर खालसा से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित की थी, तब भी इसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. तब इसका लैपटॉप पुलिस को कुएं में पड़ा मिला था. उसी लैपटॉप में पत्रिका से संबंधित तमाम मटीरियल मौजूद मिला था. जांच एजेंसियों के मुताबिक, पपलप्रीत सिंह खालिस्तान के समर्थन में पत्रिका फतेहनामा में भी लिखता रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यही पपलप्रीत सिंह दमदमी टकसाल के कुछ प्रमुखों के भी करीब रह चुका है. सिख समुदाय की सहानुभूति लूटकर, भारतीय एजेंसियों से अपनी खाल बचाने के लिए यह अक्सर, ऐसे भी काम करता रहता है जिससे लगे कि, इससे बड़ा देश में सिखों का मानो दूसरा और कोई हितैषी है ही नहीं.

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