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आपको नौकरी छोड़ देनी चाहिए... मेटा सीटीओ ने नई नीति से नाराज कर्मचारियों को दी सख्त चेतावनी

मेटा ने हाल ही में नई नीतियां लागू की हैं, जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है. CTO एंड्रयू बोसवर्थ ने असंतुष्ट कर्मचारियों को या तो कंपनी छोड़ने या पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहने को कहा. कर्मचारियों ने LGBTQ मुद्दों, DEI कार्यक्रमों में कटौती और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध को लेकर चिंता जताई. नीतिगत बदलावों पर आंतरिक विवाद जारी है.

आपको नौकरी छोड़ देनी चाहिए... मेटा सीटीओ ने नई नीति से नाराज कर्मचारियों को दी सख्त चेतावनी
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 15 Feb 2025 8:32 PM

मेटा ने हाल ही में अपने कर्मचारियों के लिए नई नीतियां लागू की हैं, जिससे कंपनी के भीतर असंतोष बढ़ा है. कई कर्मचारियों ने नीतिगत बदलावों की आलोचना की. खासकर LGBTQ समुदाय से जुड़े मुद्दों, डेटा-समर्थित DEI कार्यक्रमों में कटौती और आंतरिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर ये असंतोष था.

मेटा सीटीओ एंड्रयू बोसवर्थ ने इस असंतोष के जवाब में एक सख्त संदेश दिया. उन्होंने कहा कि असहमति रखने वाले कर्मचारियों को या तो कंपनी छोड़ देनी चाहिए या पूरी तरह प्रतिबद्ध रहकर काम करना चाहिए. यह प्रतिक्रिया 30 जनवरी को मेटा के इंटरनल वर्क स्पेस फोरम 'लेट्स फिक्स मेटा' में हुई चर्चाओं के बाद आई.

चेंज था सही डिसीजन

बोसवर्थ ने एक रिपोर्ट शेयर की, जिसमें मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की ऑल-हैंड्स मीटिंग के दौरान किए गए बयानों का उल्लेख था. उन्होंने लीक हुई जानकारी पर निराशा जताई और कहा कि यह बदलाव सही निर्णय था, भले ही इससे कर्मचारियों में असंतोष हो.

मेटा छोड़ दें कर्मचारी

एक कर्मचारी ने आलोचना करते हुए कहा कि नई नीतियां LGBTQ समुदाय को प्रभावित कर सकती हैं और आंतरिक मुक्त भाषण पर प्रतिबंध लगाती हैं. इसपर बोसवर्थ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि किसी को लगता है कि नीतियों को सार्वजनिक रूप से लीक करना सही है, तो उन्हें कहीं और नौकरी तलाशनी चाहिए. कुछ कर्मचारियों ने यह भी तर्क दिया कि नीतिगत बदलावों पर खुली चर्चा और अपील की कोई गुंजाइश नहीं है. इसपर बोसवर्थ ने जवाब दिया कि यदि किसी को यह स्थिति स्वीकार्य नहीं लगती, तो उन्हें मेटा छोड़ देना चाहिए.

वर्क कल्चर पर पद रहा इफेक्ट

मेटा के हालिया बदलावों में 'कम प्रदर्शन करने वाले' कर्मचारियों को निकालना और कंटेंट मॉडरेशन में समायोजन करना शामिल है. इससे आंतरिक असंतोष बढ़ा है, खासकर उन कर्मचारियों के बीच जो ट्रांसफ़ोबिक और होमोफ़ोबिक नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. कई कर्मचारियों ने कंपनी की नीति को 'स्वतंत्र अभिव्यक्ति का मुद्दा' करार दिया है. उन्होंने कहा कि मेटा कार्यस्थल पर पोस्ट हटाने और कुछ संवेदनशील विषयों पर चर्चा को सीमित कर रही है, जिससे वर्क कल्चर प्रभावित हो रही है.

बोसवर्थ के इस सख्त रुख से यह स्पष्ट होता है कि मेटा अपने नीतिगत निर्णयों पर कर्मचारियों से पूर्ण समर्थन की अपेक्षा कर रही है. कंपनी के इस कड़े संदेश से यह संकेत मिलता है कि वह आंतरिक असंतोष को सीमित करने के लिए कठोर कदम उठा सकती है.

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