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मर्दों के सामने जानबूझकर कराया जाता है Toilet, कुत्तों की तरह... इस जेल में कैदियों के साथ ऐसा क्यों?

अमेरिका के कुछ डिटेंशन सेंटर्स में महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को जानबूझकर पुरुष अधिकारियों या अन्य पुरुष कैदियों के सामने टॉयलेट इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचती है.

मर्दों के सामने जानबूझकर कराया जाता है Toilet, कुत्तों की तरह... इस जेल में कैदियों के साथ ऐसा क्यों?
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 22 July 2025 4:48 PM IST

अमेरिका के इमीग्रेशन डिटेंशन सेंटर्स में मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाने वाला एक चौंकाने वाला रिपोर्ट सामने आया है. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फ्लोरिडा के तीन प्रमुख डिटेंशन केंद्रों में अप्रवासियों, खासतौर पर महिलाओं और पुरुष बंदियों के साथ बर्बर और अमानवीय व्यवहार किया गया.

जनवरी 2025 से फ्लोरिडा के तीन डिटेंशन सेंटर्स में दुरुपयोग की घटनाएं' नामक इस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चिंता महिला बंदियों की स्थिति को लेकर जताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार, मियामी के क्रोम नॉर्थ प्रोसेसिंग सेंटर में महिलाओं को पुरुष बंदियों के सामने खुले में शौच करने को मजबूर किया गया.

पुरुषों के सेंटर में बंद महिलाएं, न स्नान की सुविधा, न निजता

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि महिला बंदियों को एक पुरुषों के लिए निर्धारित केंद्र में कई दिनों तक रोका गया. इस दौरान उन्हें नहाने या निजता जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी गईं. कुछ महिलाएं पुरुष बंदियों की वॉयुरिज्म का भी शिकार हुईं.

'कुत्तों की तरह खाना पड़ा'

रिपोर्ट में बताया गया कि कई पुरुष बंदियों को घंटों तक भीड़भाड़ वाले होल्डिंग सेल में भूखा रखा गया. शाम तक खाना नहीं मिला और जब खाना मिला भी, तो वे अब भी हथकड़ी में जकड़े थे. उन्हें कुर्सियों पर रखे स्टायरोफोम प्लेट्स से झुककर खाना पड़ा.

ब्रिटिश नागरिक पर नस्लीय टिप्पणी, बुजुर्ग बंदी को मारा गया

56 वर्षीय ब्रिटिश उद्यमी हरपिंदर सिंह चौहान, जो 2016 से अमेरिका में रह रहे हैं, उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि उन्होंने एक बुजुर्ग बंदी को लात मारते देखा. इसके अलावा उन्हें 'चिहुआहुआ' कहकर बुलाया गया- जो कि नस्लीय टिप्पणी मानी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, कई बंदियों को 24 घंटे से अधिक समय तक एक बस में बंद रखा गया, जहां एक ही टॉयलेट था. वह भी जल्द ही जाम हो गया और बदबू से पूरी बस एक नारकीय माहौल में बदल गई. एक बंदी ने बताया कि टॉयलेट फ्लश नहीं हो रहा था, और हम बाहर नहीं जा सकते थे, इसलिए लोगों ने वहीं मलत्याग किया.

'ला हिएलेरा' में 12 दिन तक ठंडी फर्श पर रातें

जब इन बंदियों को अंततः सुविधा केंद्र में लाया गया, तब भी उन्हें 12 दिनों तक एक बर्फीले कमरे- जिसे 'ला हिएलेरा' कहा जाता है. बिना बिस्तर या गर्म कपड़ों के सर्द फर्श पर सोना पड़ा. 44 वर्षीय हैती की नागरिक मैरी एंज ब्लैस की मौत भी इसी अमानवीयता का परिणाम बनी. रिपोर्ट के अनुसार, जब वह दौरे जैसी स्थिति में थीं, तो अन्य बंदियों ने चीखकर मदद मांगी, पर गार्ड्स ने अनदेखा किया.

एक बंदी 'रोसा' ने बताया कि, गार्ड आया, देखा और वापस चला गया. मेडिकल टीम आने में 8 मिनट लगे, फिर रेस्क्यू टीम को आने में और 15-20 मिनट, तब तक वो नहीं हिल रही थीं. यह रिपोर्ट अमेरिका के इमिग्रेशन डिटेंशन सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर करती है. बंदियों की गरिमा, स्वास्थ्य और अधिकारों की खुल्लम-खुल्ला अनदेखी की जा रही है. इस पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और मानवाधिकार आयोगों को तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है.

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