दुनिया में क्यों बढ़ रही Nuclear Bunker की बिक्री? कीमत सुन उड़ जाएंगे आपके होश
What Is Nuclear Bunker Sales: दुनिया में कभी भी किसी भी कोने में युद्ध शुरू हो सकता है. रूस-यूक्रेन के बीच जंग अभी जारी है. इजरायल की हमास, हिजबुल्लाह और ईरान के खिलाफ लड़ाई भी देखने को मिली है. इससे लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया है. लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश कर रहे हैं. इसी कड़ी में वे अपने घरों में बंकर बनवा रहे हैं, ताकि वे सुरक्षित रह सकें . हालांकि, इसकी कीमत सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे.

What Is Nuclear Bunker Sales: दुनिया में हर तरफ युद्ध का खतरा बना हुआ है, जिसे देखते हुए अमेरिका में लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में लग गए हैं. इसी कड़ी में कुछ लोग बंकर बनवा रहे हैं, ताकि कोई भी संकट आने पर वे बंकर में जाकर अपनी जान बचा सकें. इसके लिए वे बड़ी रकम भी खर्च कर रहे हैं. हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि बंकर में रहने के बावजूद न्यूक्लियर अटैक से नहीं बचा जा सकता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया में बर्नार्ड जोन्स जूनियर और उनकी पत्नी डोरिस ने अपने घर में भूमिगत बंकर बनवाया है. उनका कहना है कि दुनिया में रहना अब सुरक्षित नहीं रह गया है. हमें तैयार रहना चाहिए. उनके इस बंकर में करीब 25 लोगों के लिए बिस्तर, बाथरूम और दो किचन की व्यवस्था की गई है. कैलिफोर्निया के इनलैंड एम्पायर में लोगों ने अपने घरों में बंकर बनवा लिए हैं.
हथियारों पर खर्च में इजाफा
दरअसल, ग्लोबल डिफेंस लीडर्स ने चेतावनी दी है कि न्यूक्लियर अटैक बढ़ रहे हैं. पिछले साल हथियारों पर खर्च बढ़कर 91.4 बिलियन डॉलर हो गया. इससे निजी बंकर की बिक्री बढ़ गई है. हालांकि, सरकारी आपदा विशेषज्ञों का कहना है कि बंकरों की आवश्यकता नहीं है. न्यूक्लियर ब्लास्ट की स्थिति में संघीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी के 100 पेज के निर्देशों का पालन करते हुए घर के अंदर या तहखाने में ही रहना चाहिए. वहीं, खरीदारों का कहना है कि बंकर हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं.
बंकर में सुरक्षित नहीं हैं लोग?
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर कभी परमाणु युद्ध हुआ तो भूमिगत बंकर लोगों की रक्षा नहीं कर पाएंगे. इसके बजाय हमें अपने संसाधनों और अपनी ऊर्जा का निवेश शुरू में परमाणु हथियारों पर रोक लगाने के लिए बारे में बात करने में करना चाहिए. हमें उस दिन के लिए काम करना चाहिए, जब हम सभी न्यूक्लियर वेपन से छुटकारा पा लेंगे.
ब्लूवीव कंसल्टिंग की एक मार्केट रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में बम और फॉलआउट शेल्टर का बाजार पिछले साल के 137 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 175 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इसकी वजह परमाणु या आतंकवादी हमलों या नागरिक अशांति का बढ़ता खतरा शामिल है. वहीं, एटलस सर्वाइवल शेल्टर्स के सीईओ रॉन हबर्ड ने कहा कि लोग असहज हैं और वे अपने परिवार को रखने के लिए एक सुरक्षित जगह चाहते हैं. उन्होंने बताया कि कोविड लॉकडाउन, रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध की वजह से बंकरों की बिक्री में तेजी आई है.
21 नवंबर की घटना के बाद बंकरों की मांग बढ़ी
हबर्ड ने कहा कि जब 21 नवंबर को रूस ने यूक्रेन पर पहली बार हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल का यूज किया तो उनके पास लगातार फोन आ रहे थे. चार लोगों ने एक ही दिन में बंकर खरीद लिए, जबकि अन्य लोगों ने बंकर बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले सामानों को खरीदा.
'10 साल पहले खुद के लिए बनाया बंकर'
हर्वर्ड ने बताया कि उन्होंने करीब 10 साल पहले अपना खुद का बंकर बनाया था. इसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी शुरू की थी. इस बंकर की कीमत 20 हजार डॉलर (16 लाख 98 हजार 166 रुपये) से लेकर कई मिलियन डॉलर तक होती है. एक बंकर की औसत कीमत 500 हजार डॉलर यानी 4 करोड़ 24 लाख 54 हजार 150 होती है.
क्या है न्यूक्लियर बंकर?
न्यूक्लियर बंकर एक प्रकार का भूमिगत आश्रय है, जिसे परमाणु हमला या अन्य आपदाओं से बचाव के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह एक मजबूत और सुरक्षित संरचना है, जो विकिरण, विस्फोट और अन्य खतरों से बचाव प्रदान करती है.
न्यूक्लियर बंकर में मजबूत दीवारें और छत विकिरण और विस्फोट से बचाव प्रदान करती हैं. वहीं, वायु शुद्धिकरण प्रणाली विकिरण और अन्य हानिकारक गैसों को हटाने में सहायता करती है. जल संचयन प्रणाली से पीने के पानी की दिक्कत नहीं होती. भोजन, चिकित्सा सुविधाएं, आपातकालीन उपकरण और संचार प्रणाली बाहरी दुनिया से संपर्क में रहने में मदद करती है.
न्यूक्लियर बंकर का लोग क्यों कर रहे इस्तेमाल?
न्यूक्लियर बंकर का इस्तेमाल लोग न्यूक्लियर अटैक, भूकंप, तूफान, आतंकी हमला, आग और बाढ़ आदि से बचाव करने में किया जाता है.
2018 में फैल गई थी दहशत
बात साल 2018 की है. लोगों के मोबाइल पर सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर एक मैसेज भेजा गया, जिसमें कहा गया कि हवाई की ओर से बैलिस्टिक मिसाइल का खतरा है. तुरंत सुरक्षित जगहों पर चले जाएं. इससे लोगों में दहशत फैल गई. करीब 40 मिनट तक सड़कों पर जाम लगा रहा. लोग इमारतों से अंदर बाहर- होते रहे. हालांकि, बाद में यह अलर्ट झूठा साबित हुआ.