'जनसंहार' के आरोपों के बीच नेतन्याहू का अनोखा प्रदर्शन, UNGA में कोट पर क्यों लगा था QR कोड? जानें क्या है इसका मतलब
न्यूयॉर्क में चल रहे यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली (UNGA) सत्र में इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का भाषण किसी नाटक से कम नहीं रहा. ग़ज़ा युद्ध को लेकर उन पर लगे "जनसंहार" के आरोपों के बीच जब वे मंच पर पहुंचे तो ज्यादातर देशों के प्रतिनिधि वॉकआउट कर गए और हॉल लगभग खाली हो गया. लेकिन नेतन्याहू ने इसी खाली हॉल को अपने संदेश का मंच बना डाला. उन्होंने अपने कोट पर एक बड़ा QR कोड लगाया था

न्यूयॉर्क के यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली (UNGA) का माहौल उस वक्त और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया, जब इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू मंच पर पहुंचे. लेकिन जो नजारा सामने आया, उसने इस ऐतिहासिक मंच पर एक अलग ही तस्वीर बना दी. जैसे ही नेतन्याहू ने बोलना शुरू किया, दुनिया भर से आए डिप्लोमैट्स एक-एक करके हॉल से बाहर निकलने लगे.
आरोप था जनसंहार का, और विरोध था ग़ज़ा पर इज़राइल की बमबारी का. यही वजह थी कि नेतन्याहू को लगभग 'खाली हॉल' में भाषण देना पड़ा. लेकिन उन्होंने इसे भी अपने अंदाज़ में एक बड़ा संदेश देने का मौका बना दिया. उनके कोट पर एक QR कोड लगा था. चलिए जानते हैं इस कोड का मतलब.
जब QR कोड बना प्रधानमंत्री का हथियार
मंच पर पहुंचते ही नेतन्याहू ने अपने काले सूट पर चमकते हुए एक बड़े QR कोड की ओर इशारा किया. उन्होंने हॉल में मौजूद थोड़े से डेलिगेट्स से कहा 'आप अपने फोन का कैमरा उठाइए, ज़ूम कीजिए और इस QR कोड को स्कैन कीजिए. इसमें सबकुछ है. यही वजह है कि हम लड़ रहे हैं और हमें जीतना ही होगा.'
QR कोड में क्या था?
यह QR कोड स्कैन करने पर एक वेसाइट पर ले जाता था. यह वही साइट थी, जिसे इज़राइली प्रधानमंत्री कार्यालय ने तैयार किया था. इसमें 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा दक्षिण इज़राइल पर किए गए हमले की भयावह तस्वीरें और वीडियो मौजूद थे. वेबसाइट पर साफ चेतावनी लिखी थी 'दर्शकों को अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.' यानी देखने से पहले सोच लें, यह कंटेंट बेहद विचलित करने वाली हो सकती है.'
डिप्लोमैट्स का वॉकआउट और नेतन्याहू का मैसेज
जैसे ही भाषण शुरू हुआ, हॉल से अधिकतर देशों के प्रतिनिधि बाहर निकल गए. वे इज़राइल की कार्रवाई को "ग़ज़ा में जनसंहार" कहकर इसका विरोध कर रहे थे. संयुक्त राष्ट्र मंच पर यह वॉकआउट अपने आप में एक प्रतीकात्मक विद्रोह था. लेकिन नेतन्याहू ने खाली कुर्सियों के बीच भी अपने संदेश को और ज्यादा तीखे ढंग से पेश किया. उन्होंने न सिर्फ QR कोड दिखाया, बल्कि दावा किया कि इस भाषण को इज़राइली इंटेलिजेंस ग़ज़ा और हमास के मोबाइल फोन पर लाइव स्ट्रीम कर रही है. यानी, उनका हर शब्द सीधे दुश्मन तक पहुंच रहा था.
हमास और बंधकों के लिए सख्त चेतावनी
अपने भाषण में नेतन्याहू ने हमास को साफ चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि 'अपने हथियार डाल दो. मेरे लोगों को जाने दो. सभी 48 बंधकों को रिहा करो. अगर ऐसा किया तो तुम ज़िंदा रहोगे. अगर नहीं... तो इज़राइल तुम्हें खोज निकालेगा और मिटा देगा.' यह शब्द सिर्फ़ कूटनीतिक चेतावनी नहीं थे, बल्कि एक युद्ध घोष की तरह गूंज रहे थे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी खुलासा किया कि ग़ज़ा बॉर्डर पर विशाल लाउडस्पीकर लगाए गए हैं, ताकि बंधक भी उनका संदेश सुन सकें.'
बंधकों के लिए भावनात्मक संदेश
नेतन्याहू का भाषण सिर्फ़ सख्त चेतावनी तक सीमित नहीं रहा. उसमें भावनाओं का पुट भी था. उन्होंने ग़ज़ा में फंसे बंधकों से सीधा कहा कि ' हमारे बहादुर नायकों, यह प्रधानमंत्री नेतन्याहू आपसे सीधे बात कर रहा है. हम आपको एक सेकंड के लिए भी नहीं भूले हैं. पूरा इज़राइल आपके साथ खड़ा है. हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक आपको घर नहीं ले आते.' इस संदेश ने भाषण को और ज्यादा व्यक्तिगत और मानवीय बना दिया. यह सिर्फ़ राजनीतिक मंच से दिया गया बयान नहीं था, बल्कि बंधकों और उनके परिवारों के लिए उम्मीद का संदेश भी था.
युद्ध खत्म करने की शर्तें
नेतन्याहू ने UNGA के मंच से यह भी कहा कि वे युद्ध को खत्म करने के लिए तैयार हैं, लेकिन कुछ शर्तों पर. उनकी शर्तें बेहद सख्त थीं.
- सभी बंधकों की सुरक्षित वापसी.
- हमास का पूर्ण आत्मसमर्पण और हथियार डालना.
- हमास का सत्ता से हटना और उसके नेताओं का ग़ज़ा से निष्कासन.
- ग़ज़ा का पूरी तरह डिमिलिट्राइज़ होना.
- ट्रंप शांति योजना (Trump Plan) का लागू होना और जो लोग ग़ज़ा छोड़ना चाहते हैं, उन्हें निकलने की अनुमति. इन शर्तों से साफ था कि नेतन्याहू पीछे हटने वाले नहीं हैं. वे युद्ध का अंत तभी देखना चाहते हैं, जब इज़राइल की सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित हो जाए.
हॉल की खामोशी और दुनिया की गूंज
यूनाइटेड नेशंस के इस 'खाली हॉल' में नेतन्याहू का भाषण खत्म हुआ. लेकिन इसका असर दीवारों के बाहर गूंज रहा था. एक तरफ़ वॉकआउट कर चुके डिप्लोमैट्स थे, जो इज़राइल की कार्रवाइयों को अमानवीय मानते हैं. दूसरी तरफ़ नेतन्याहू थे, जो हर कीमत पर अपनी जनता की सुरक्षा और बंधकों की वापसी को सर्वोच्च प्राथमिकता बता रहे थे.
इस मंच ने दुनिया को फिर याद दिलाया कि इज़राइल-हमास युद्ध सिर्फ़ दो पक्षों के बीच की लड़ाई नहीं है. यह युद्ध अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति और जनमत का केंद्र बन चुका है. QR कोड से लेकर लाउडस्पीकर तक, नेतन्याहू का हर कदम यह दिखाने के लिए था कि वह सिर्फ़ अपने देश से नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से सीधे संवाद करना चाहते हैं.