आखिर क्यों इकोनॉमी खोलने को उतारू है चीन? ट्रंप के ज्यादा टैरिफ लगाने की बात का भी नहीं हो रहा असर
जे.पी. मॉर्गन के अनुसार, चीनी आयात पर संभावित 60% टैरिफ के चलते 12 महीने की अवधि में चीन की आर्थिक वृद्धि पर 1-1.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. अब ऐसे में चीन अपनी ग्लोबल मार्केट खोलने की तैयारी कर रहा है.

नए साल में चीन अपनी इकोनॉमी को दुरुस्त करने के लिए कुछ बड़े फैसले लेगा. जहां टॉप इकोनॉमिस्ट एक्सपर्ट्स ने बताया कि अब चीन ग्लोबल मार्केट के लिए अपनी इकोनॉमी खोलने की तैयार कर रहा है. इसके पीछे अमेरिका का बड़ा हाथ है. अब चीन अमेरिका से डरा हुआ है.
हाल ही में अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंपोर्ट पर टैक्स महंगा करने की बात की ओर इशारा किया है. इसके कारण दोनों देशों के बीच बिजनेस पर अनिश्चितता के काले बादल मंडरा रहे हैं. जहां अब चीन हाई डेवलपमेंट के बजाय नए चीजों पर ध्यान देगा.
चीन की अर्थव्यवस्था चरमराई
चीन को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहा जाता है. यह देश कोविड-19 महामारी के चलते अभी तक मुश्किलों का सामना कर रहा है. इसके कई कारण हैं. इनमें खासतौर पर रोजगार की समस्या, कर्ज में डूबा हाउसिंग सेक्टर और उपभोक्ता खर्च में कमी शामिल है. जहां 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद से ही चीन की परेशानियां बढ़ती नजर आ रही हैं. पिछली बार भी सत्ता के दौरान ट्रंप ने ऐसा ही किया था और इस बार भी वह दोबारा टैक्स लगाने की बात कर चुके हैं.
इन चीजों पर दिया जाएगा जोर
नेशनल डेवलपमेंट और रिफॉर्म कमिशन डिप्टी डायरेक्टर झाओ चेनजिंग ने कहा है कि बाहर का माहौल कैसा भी हो. कितनी भी अनिश्चितताएं क्यों न हो. अब दुनिया के लिए चीन अपनी इकोनॉमी खोलने के लिए तैयार है. इसके आगे उन्होंने बताया कि इस साल इंटरनेशनल बिजनेस के लिए बहुत कुछ नया लागू किया जाएगा. साथ ही, फॉरन इंवेस्ट के लिए मॉर्डन सर्विस, हाई टेक, एनवायरमेंट सेफ्टी और एडवांस मैन्यूफैक्चरिंग जैसे चीजों पर जोर दिया जाएगा.
चीन की समस्या
जनसांख्यिकीय चुनौतियां जैसे कि बढ़ती उम्र की आबादी भी चीन के आर्थिक विकास के लिए दीर्घकालिक खतरा पैदा करती हैं. एनडीआरसी के डिप्टी डायरेक्टर झाओ चेनक्सिन के अनुसार, देश में बुजुर्गों की देखभाल सुविधाओं में बढ़ोतरी देखी गई है, जो 2024 में 410,000 तक पहुंच गई है, जबकि चाइल्डकेयर प्रोवाइडर की संख्या भी बढ़कर 100,000 हो गई है.
क्या है चीन का लक्ष्य?
देश का लक्ष्य हर कीमत पर हाई डेवलपमेंट से अपना ध्यान हटाकर सतत विकास पर केन्द्रित करना है, जैसा कि रिन्यूएबल एनर्जी में बढ़ते निवेश से स्पष्ट है. एएफपी के अनुसार पिछले साल विंड एंड सोलर पावर कैपेसिटी लउत्पादन क्षमता का 40.5% तक पहुंच गई.