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कुत्ते से इतना प्‍यार कि मौत के बाद दफन भी हुए उसी के पास, आज भी म्यूजियम में रखे हैं दोनों के कंकाल

ग्रोवर क्रांट्ज़ को अपने कुत्ते से इतना प्यार था कि मरने के बाद वह उसके साथ रहें और आज भी उसके साथ स्मिथसोनियन के नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में मौजूद है.

कुत्ते से इतना प्‍यार कि मौत के बाद दफन भी हुए उसी के पास, आज भी म्यूजियम में रखे हैं दोनों के कंकाल
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( Image Source:  Instagram )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 3 April 2025 5:05 PM

वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में मानवविज्ञानी और प्रोफेसर ग्रोवर क्रांट्ज़ मानव विकास में अपनी रिसर्च और बिगफुट पर अपने विवादित स्टडीज के लिए फेमस थे. अपने पूरे जीवन में, क्रांट्ज़ को अपने आयरिश वुल्फहाउंड्स, खासतौर से क्लाइड नाम के एक कुत्ते से गहरा लगाव था. जब क्लाइड का 1973 में निधन हो गया, तो क्रांट्ज़ ने भविष्य की रिसर्च के लिए उसके अवशेषों को रिज़र्व करने के इरादे से उसे दफना दिया.

2002 में, जब वे अग्न्याशय के घातक कैंसर से पीड़ित थे, क्रांट्ज़ ने अपना शरीर विज्ञान को दान करने का फैसला किया, लेकिन साथ ही एक अनोखी शर्त भी रखी. उन्होंने अनुरोध किया कि उनके कंकाल को उनके प्रिय कुत्ते के कंकाल के साथ रखा जाए. क्रांट्ज़ ने चार बार शादी की, डायने हॉर्टन से उनकी आखिरी शादी 2002 में अग्नाशय के कैंसर से उनके निधन तक चली. एक डेडिकेटेड डॉग लवर, उन्होंने अनुरोध किया कि उनके कंकाल को उनके आयरिश वुल्फहाउंड क्लाइड के साथ म्यूसिज्म में रखा जाए, क्योंकि उन्होंने अपना शरीर साइंस रिसर्च के लिए डोनेट कर दिया था.

म्यूजियम में मौजूद प्यार का सबूत

आज, उन्हें स्मिथसोनियन के नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में एक साथ प्रदर्शित किया जाता है, जो उनकी स्टडी और रिसर्च के प्रति उनकी लाइफटाइम कमिटमेंट और पालतू जानवरों के साथ उनके प्यार का सबूत है. उनकी लेगेसी कॉम्प्लिकेटेड रही है. जहां उन्हें 'बिगफुट' के लिए कई अवार्ड से सम्मानित किया गया. लेकिन उन्हें अक्सर एकेडमी अवार्ड से दरकिनार कर दिया जाता है.

कौन है ग्रोवर सैंडर्स क्रांट्ज़

5 नवंबर 1931 में जन्मे ग्रोवर सैंडर्स क्रांट्ज़ एक अमेरिकी मानवविज्ञानी और क्रिप्टोजूलॉजिस्ट थे, जो बिगफुट पर अपने एडवांस रिसर्च के साथ-साथ मानव विकास के अध्ययन में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते थे. अपने पूरे करियर के दौरान, उन्होंने 60 से अधिक एकेडमी आर्टिकल और 10 किताबें लिखीं, जो कंकाल के लक्षणों और संस्कृति के लिए विकासवादी क्षमता जैसे विषयों पर केंद्रित थी. उन्होंने यूरोप, चीन और जावा में क्षेत्र रिसर्च किया और 1968 से 1998 में अपने रिटायरमेंट तक वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ाया.

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