सूटकेस में Poop कौन रखता है भाई! अलास्का में ट्रंप संग बैठक के दौरान क्यों चर्चा में आया पुतिन का यह सूटकेस?
2025 में अलास्का में ट्रंप संग शिखर बैठक के दौरान पुतिन का 'पूप सूटकेस' चर्चा का विषय बना. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके सुरक्षाकर्मी हर विदेशी दौरे पर उनका मल-मूत्र इकट्ठा कर मॉस्को ले जाते हैं ताकि विदेशी एजेंसियां उनके स्वास्थ्य की जानकारी न जुटा सकें. यह प्रथा 2017 से जारी है और पुतिन की गोपनीयता व राजनीतिक छवि बचाने की रणनीति मानी जाती है.

ऐसा ही कुछ 2025 में अलास्का में आयोजित रूस-अमेरिका शिखर बैठक के दौरान हुआ, जब पुतिन और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, पुतिन की सुरक्षा टीम ने इस दौरान उनके 'पूप सूटकेस' को भी साथ रखा. इसका उद्देश्य बेहद असामान्य लेकिन रणनीतिक था - पुतिन के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी किसी विदेशी खुफिया एजेंसी के हाथ न लगे.
दरअसल, किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसके जैविक अपशिष्ट (Stool/Urine) से आसानी से जांचा जा सकता है. और यदि यह जानकारी विरोधी देश के पास पहुंच जाए, तो उससे राजनीतिक और कूटनीतिक संतुलन पर असर पड़ सकता है. यही वजह है कि पुतिन के सुरक्षाकर्मी उनके अपशिष्ट को एक विशेष पैकेट में इकट्ठा कर मॉस्को वापस ले जाते हैं. यह प्रथा नई नहीं है, बल्कि सालों से चली आ रही है.
पुतिन की गुप्त सुरक्षा व्यवस्था
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस की फेडरल प्रोटेक्शन सर्विस (FSO) के एजेंट्स इस काम को अंजाम देते हैं. वे हर विदेशी दौरे पर पुतिन के अपशिष्ट को इकट्ठा कर एक विशेष सूटकेस में पैक करते हैं. यह प्रथा 2017 में फ्रांस और 2019 में सऊदी अरब की यात्रा के दौरान भी देखी गई थी.
क्यों जरूरी है यह कदम?
पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारी रेबेका कॉफलर ने बताया कि पुतिन को आशंका है कि विदेशी एजेंसियां उनके अपशिष्ट का परीक्षण कर उनकी बीमारी, दवाइयों और जीवनशैली से जुड़े राज़ उजागर कर सकती हैं. यही कारण है कि पुतिन इस मामले में बेहद सख्ती बरतते हैं.
पुतिन की सेहत पर उठते सवाल
72 वर्षीय पुतिन की सेहत को लेकर लंबे समय से अटकलें लगती रही हैं. 2022 में अफवाह फैली थी कि वे गिरने के बाद खुद को गंदा कर बैठे थे. 2023 में बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको से मुलाकात के दौरान उनके शरीर में झटके देखे गए. 2024 में कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके पैर लगातार कांपते दिखाई दिए, जिसे लेकर पार्किंसन रोग की आशंका जताई गई. हालांकि, क्रेमलिन बार-बार इन अटकलों का खंडन करता रहा है.
‘पूप सूटकेस’ का महत्व
यह मामला केवल सुरक्षा का नहीं बल्कि राजनीतिक मनोविज्ञान का भी प्रतीक है. पुतिन अपनी छवि को एक मजबूत और अडिग नेता के रूप में बनाए रखना चाहते हैं. यदि उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर कोई नकारात्मक खबर पुष्ट हो जाती है, तो यह उनकी राजनीतिक ताकत और रूस की अंतरराष्ट्रीय स्थिति दोनों को प्रभावित कर सकती है.
अलास्का समिट में चर्चा
अलास्का शिखर बैठक में जब पुतिन और ट्रंप आमने-सामने थे, तो आधिकारिक चर्चाओं से ज्यादा मीडिया में इस सूटकेस की चर्चा रही. हालांकि यह कैमरों की नजर से दूर रहा, लेकिन रिपोर्ट्स ने इसे अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया.
विश्व नेताओं के सुरक्षा इंतजामों से तुलना
अमेरिकी राष्ट्रपति हमेशा एक ‘न्यूक्लियर फुटबॉल’ लेकर चलते हैं, जिसमें परमाणु हथियार लॉन्च करने का सिस्टम होता है. वहीं, पुतिन का ‘पूप सूटकेस’ यह दर्शाता है कि आधुनिक कूटनीति में सुरक्षा अब केवल बाहरी खतरों तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक विस्तारित हो चुकी है.
पुतिन का यह सुरक्षा इंतजाम भले ही अजीब लगे, लेकिन यह दर्शाता है कि आज की वैश्विक राजनीति में स्वास्थ्य भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा बन चुका है. पुतिन की यह रणनीति दुनिया को यह संदेश देती है कि उनकी व्यक्तिगत जानकारी भी उनके देश की संप्रभुता जितनी ही महत्वपूर्ण है. अलास्का शिखर बैठक में उठी यह चर्चा आने वाले समय में अन्य विश्व नेताओं को भी अपने सुरक्षा प्रोटोकॉल पर नए सिरे से सोचने के लिए प्रेरित कर सकती है.