कौन हैं भारत की बिटिया मथुरा श्रीधरन? जिनकी बिंदी ने अमेरिका में मचाया बवाल, बनी ओहायो की सॉलिसिटर जनरल
मथुरा एक अमेरिकी नागरिक हैं और लंबे समय से ओहायो राज्य के कानूनी तंत्र से जुड़ी हुई हैं. वह पहले डिप्टी सॉलिसिटर जनरल के रूप में काम कर रही थी. उन्हें सुप्रीम कोर्ट (SCOTUS) में बहस जीतने का अनुभव भी है.
31 जुलाई को अमेरिका के ओहायो राज्य में इतिहास रचते हुए भारतीय मूल की मथुरा श्रीधरन को राज्य की नई सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया. उन्हें यह ज़िम्मेदारी खुद ओहायो के अटॉर्नी जनरल डेव योस्ट ने दी, जिन्होंने उनकी योग्यता और प्रतिभा की जमकर तारीफ़ की. लेकिन मथुरा की यह उपलब्धि जितनी शानदार थी, उसके बाद जो हुआ वह उतना ही चौंकाने वाला भी.
उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर नस्लवादी और अपमानजनक टिप्पणियों की बौछार शुरू हो गई. कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि इतनी अहम जिम्मेदारी किसी अमेरिकी को क्यों नहीं दी गई?. एक बिंदी वाली महिला को ऐसा पद कैसे मिल गया?. कुछ ने तो उनकी बिंदी तक का मज़ाक उड़ाया और यह जताने की कोशिश की कि वे 'अमेरिकी संस्कृति' का हिस्सा नहीं हैं.
कौन हैं मथुरा श्रीधरन?
मथुरा एक अमेरिकी नागरिक हैं और लंबे समय से ओहायो राज्य के कानूनी तंत्र से जुड़ी हुई हैं. वह पहले डिप्टी सॉलिसिटर जनरल के रूप में काम कर रही थी. उन्हें सुप्रीम कोर्ट (SCOTUS) में बहस जीतने का अनुभव भी है, और कई सीनियर लॉ ऑफिसर्स की सिफारिश पर ही उन्हें यह पद मिला. मथुरा ने पढ़ाई की है MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) से – जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की, फिर उन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की और अमेरिकी न्यायालयों में क्लर्क के तौर पर काम भी किया.
डेव योस्ट ने दिया करारा जवाब
इन ट्रोल्स और टिप्पणियों के बीच, मथुरा अकेली नहीं थी. ओहायो के अटॉर्नी जनरल डेव योस्ट ने उनके समर्थन में डटकर खड़े हो गए. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, 'कुछ लोग ग़लत दावा कर रहे हैं कि मथुरा अमेरिकी नहीं है. जबकि वे न सिर्फ अमेरिकी नागरिक हैं, बल्कि एक अमेरिकी नागरिक से शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी अमेरिकी नागरिक हैं.' अगर आपको उनका नाम या रंग परेशान करता है, तो समस्या मथुरा में नहीं, बल्कि आप में है.'
मथुरा की सोच और काम का तरीका
मथुरा ने दसवें संशोधन केंद्र की निदेशक के रूप में भी काम किया है, जहां उनका फोकस रहा राज्य और संघीय सरकारों के बीच संतुलन बनाए रखना, और ओहायो वासियों के अधिकारों की रक्षा करना. वह 'फेडरल सोसाइटी' की सक्रिय सदस्य भी हैं. जो अमेरिका के कानूनी ढाँचे में पारदर्शिता और संविधानसम्मत निर्णयों की वकालत करता है.
बिंदी पर ट्रोलिंग, लेकिन सिर ऊंचा
मथुरा श्रीधरन की बिंदी और भारतीय पहचान को जिस तरह ट्रोल किया गया, वह भले ही तकलीफदेह था, लेकिन यह भी दिखाता है कि आज भी कुछ मानसिकताएं विविधता को स्वीकार नहीं कर पाती. फिर भी, मथुरा जैसी महिलाएं अपने काम से जवाब देती हैं और समाज को यह समझाती हैं कि काबिलियत का कोई रंग, जाति या राष्ट्रीयता नहीं होती.





