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इज़रायली हमले में मारे गए अल जज़ीरा के रिपोर्टर समेत 5 पत्रकार, कौन है अनस अल-शरीफ़ जिसे IDF ने बताया हमास आतंकी?

गाज़ा सिटी में अल-शिफा अस्पताल के बाहर पत्रकारों के टेंट पर इज़रायली हवाई हमले में अल जज़ीरा के मशहूर रिपोर्टर अनस अल-शरीफ़ समेत 5 पत्रकार मारे गए. इज़राइल ने अल-शरीफ़ को हमास का कमांडर बताया, जबकि अल जज़ीरा ने इसे स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला करार दिया. युद्ध के 22 महीनों में यह मीडिया पर सबसे घातक हमला माना जा रहा है.

इज़रायली हमले में मारे गए अल जज़ीरा के रिपोर्टर समेत 5 पत्रकार, कौन है अनस अल-शरीफ़ जिसे IDF ने बताया हमास आतंकी?
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( Image Source:  X/sahouraxo )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 11 Aug 2025 11:35 AM

रविवार को गाज़ा सिटी में इज़रायली हवाई हमले ने अल जज़ीरा के जाने-माने पत्रकार अनस अल-शरीफ़ समेत पांच पत्रकारों की जान ले ली. यह हमला अल-शिफा अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर पत्रकारों के लिए बनाए गए टेंट पर हुआ. मीडिया मॉनिटरिंग संस्थाओं के अनुसार, 22 महीने से जारी युद्ध के दौरान पत्रकारों पर यह सबसे घातक हमला माना जा रहा है.

इज़रायली सेना ने हमले की पुष्टि करते हुए दावा किया कि अनस अल-शरीफ़ हमास का एक अहम कमांडर था, जो खुद को पत्रकार के रूप में पेश कर रहा था और रॉकेट हमलों की योजना बना रहा था. अल जज़ीरा ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए इसे स्वतंत्र रिपोर्टिंग को दबाने की साजिश करार दिया.

आखिरी पोस्ट और मौत से पहले का संदेश

28 वर्षीय अल-शरीफ़ ने मौत से कुछ मिनट पहले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट किया था कि गाज़ा सिटी पर दो घंटे से अधिक समय से तेज़ बमबारी हो रही है. उनके आखिरी वीडियो में रात का आसमान नारंगी रोशनी से चमकता और धमाकों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं. अप्रैल में अपने अंतिम लिखित संदेश में उन्होंने कहा था कि उन्होंने ग़म और नुकसान का दर्द झेला, लेकिन सच्चाई पेश करने से कभी पीछे नहीं हटे.

कौन थे अनस अल-शरीफ़?

अनस अल-शरीफ़ गाज़ा के जाने-माने और बहादुर पत्रकारों में से एक थे, जो अल जज़ीरा नेटवर्क के लिए लगातार युद्ध क्षेत्र से रिपोर्टिंग करते रहे. 28 वर्षीय अल-शरीफ़ ने उत्तरी गाज़ा से लेकर गाज़ा सिटी तक, बमबारी, मानवीय संकट और भूखमरी की असल तस्वीरें दुनिया तक पहुंचाईं. उनके पास 5 लाख से ज़्यादा सोशल मीडिया फॉलोअर्स थे और वे अपनी स्पष्ट, बिना तोड़-मरोड़ की गई रिपोर्टिंग के लिए पहचाने जाते थे.

अल-शरीफ़ ने कई बार हमलों के बीच से लाइव रिपोर्ट दी, यहां तक कि उन्होंने अपने अंतिम संदेश में भी गाज़ा पर हो रही बमबारी की जानकारी दी. अप्रैल में उन्होंने लिखा था कि वे दर्द और नुकसान से गुज़र चुके हैं, लेकिन सच दिखाने से कभी नहीं रुके. अल जज़ीरा का कहना है कि वे गाज़ा में बची आखिरी आवाज़ों में से थे, जो इज़राइल-हमास युद्ध की ज़मीनी हकीकत दुनिया को दिखा रहे थे.

मारे गए अन्य पत्रकार और माहौल का तनाव

हमले में अल जज़ीरा के मोहम्मद क़रीक़ेह, कैमरामैन इब्राहिम ज़ाहर, मोहम्मद नौफल और मोआमेन अलीवा की भी मौत हुई. गाज़ा में पहले से ही भुखमरी, कुपोषण और मानवीय संकट गहराता जा रहा है. ऐसे में पत्रकारों की मौत ने इलाके में तनाव और भय को और बढ़ा दिया है.

अंतरराष्ट्रीय निंदा और अपील

फ़िलिस्तीन के UN मिशन ने इस हमले को "जानबूझकर की गई हत्या" बताया और कहा कि अल-शरीफ़ और उनके साथी गाज़ा में बची आखिरी आवाज़ों में से थे. अल जज़ीरा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि नरसंहार को रोका जाए और पत्रकारों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए.

इज़राइल-हमास संघर्ष की पृष्ठभूमि

7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इज़राइल-हमास युद्ध में अब तक 237 से अधिक पत्रकार मारे जा चुके हैं. इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में गाज़ा पर बड़े हमले की मंजूरी दी है. हमास इसे फ़िलिस्तीनी जनता के खिलाफ जुल्म बता रहा है, जबकि इज़राइल इसे अपनी सुरक्षा की कार्रवाई कह रहा है.

पत्रकारिता की आज़ादी पर सवाल

संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि आइरीन खान और पत्रकार सुरक्षा संगठनों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि गाज़ा में पत्रकारों को बेबुनियाद आरोपों के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है. इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि युद्ध के मैदान में सच दिखाने की कीमत जान देकर चुकानी पड़ सकती है.

गाज़ा में युद्ध का बढ़ता खतरा

गाज़ा में लगभग 20 लाख लोग भुखमरी के कगार पर हैं. संयुक्त राष्ट्र और अधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि क्षेत्र में अकाल जैसी स्थिति बन रही है. नेतन्याहू सरकार पूरे गाज़ा पर कब्ज़ा करने की योजना पर आगे बढ़ रही है, जिससे आने वाले दिनों में हिंसा और मानवीय संकट और भी विकराल हो सकता है.

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