Iran में कहां-कहां हैं सिखों के गुरुद्वारे? 2016 में PM मोदी ने टेका था सिर, अब खतरे में विरासत
ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध जैसे हालातों के बीच भारत सरकार 'ऑपरेशन सिंधु' के ज़रिए भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाल रही है. इसी बीच नॉर्थ अमेरिका पंजाबी असोसिएशन (NAPA) ने SGPC से आग्रह किया है कि तेहरान स्थित गुरुद्वारों में रखे गुरु ग्रंथ साहिब की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उसे भारत लाया जाए.

इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध तनाव के बीच भारत सरकार जहां ऑपरेशन सिंधु के तहत भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कर रही है, वहीं अब विदेश में मौजूद धार्मिक धरोहरों को भी लेकर चिंता जताई जा रही है. नॉर्थ अमेरिका पंजाबी असोसिएशन (NAPA) ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) से अपील की है.
ईरान की राजधानी तेहरान स्थित गुरुद्वारे में रखे गुरु ग्रंथ साहिब को भी सुरक्षित भारत लाने के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की जाए. तेहरान में दो प्रमुख गुरुद्वारे मौजूद हैं और वहां करीब 60 से 100 सिख परिवार रह रहे हैं. हालात बिगड़ने की स्थिति में इन ऐतिहासिक गुरुद्वारों और सिख समुदाय के अस्तित्व पर संकट गहराने का खतरा है.
ईरान में कितने गुरुद्वारे?
ईरान में सिख समुदाय की उपस्थिति सीमित जरूर है, लेकिन उसका ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है. यहां दो मुख्य गुरुद्वारे हैं, भाई गंगा सिंह सभा गुरुद्वारा और मस्जिद-ए-हिंदां गुरुद्वारा, भाई गंगा सिंह सभा गुरुद्वारा का पुनर्निर्माण वर्ष 1966 में हुआ था और यह माना जाता है कि यहां गुरु नानक देव जी कभी पधारे थे. दूसरा गुरुद्वारा, मस्जिद-ए-हिंदां, नाम से भले ही इस्लामी प्रतीत होता है, लेकिन यह एक प्रमुख सिख गुरुद्वारा है. इसके अलावा, जाहेदान शहर में स्थित गुरुद्वारा 1921 में स्थापित किया गया था, जो पश्चिम एशिया का सबसे पुराना गुरुद्वारा माना जाता है.
पीएम मोदी भी झुक चुके हैं गुरुघर में सिर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में ईरान यात्रा के दौरान तेहरान स्थित भाई गंगा सिंह सभा गुरुद्वारे में मत्था टेका था. यह गुरुद्वारा वर्ष 1941 में स्थापित किया गया था, जब तेहरान में लगभग 800 सिख परिवार निवास करते थे. इससे पहले 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी तेहरान में सिख प्रतिनिधिमंडल से भेंट की थी.
बंटवारे के बाद ईरान में बसी सिख आबादी
भारत-पाक विभाजन के बाद कई सिख परिवार ब्रिटिश शासित पंजाब से ईरान की ओर पलायन कर गए। अधिकांश ने जाहेदान और तेहरान को अपना ठिकाना बनाया. आज़ादी के बाद सिखों की संख्या ईरान में करीब 5,000 तक पहुंच गई थी.
इस्लामिक क्रांति और ईरान-इराक युद्ध ने बदला माहौल
1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद जब ईरान को इस्लामिक रिपब्लिक घोषित किया गया, तब से सिखों के लिए वहां का माहौल बदलने लगा. व्यापार पर असर पड़ा और सिखों की संख्या घटने लगी. ईरान-इराक युद्ध के दौरान कई सिख परिवारों का कारोबार तबाह हो गया. इसके चलते अधिकांश सिख यूके या अन्य देशों की ओर पलायन कर गए.
SGPC से अपील: गुरु ग्रंथ साहिब की सुरक्षा सर्वोपरि
NAPA ने SGPC से अपील की है कि वे भारत सरकार के माध्यम से तेहरान के गुरुद्वारों में रखे गुरु ग्रंथ साहिब को सुरक्षित भारत लाने की योजना बनाएं. मौजूदा युद्ध की स्थिति में इस प्रकार की धार्मिक विरासत की रक्षा करना न सिर्फ धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि सांस्कृतिक दायित्व भी है.