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क्या है हाइब्रिड वॉर, क्यों उड़ी यूरोपीय देशों और नाटों की नींद! ग्लोबल सिक्योरिटी के लिए कितना खतरनाक?

Russia-Ukraine war: यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच अमेरिका की दखलअंदाजी ने युद्ध के कई अलग तौर-तरीकों को जन्म दे रहा है. अमेरिका जिस तरह से यूक्रेन को युद्ध में मदद कर रहा है, रूस सीधे तौर पर अमेरिका को भी अपना दुश्मन मान रहा है.

क्या है हाइब्रिड वॉर, क्यों उड़ी यूरोपीय देशों और नाटों की नींद! ग्लोबल सिक्योरिटी के लिए कितना खतरनाक?
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Russia-Ukraine war
( Image Source:  ANI, Canva )
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 21 Nov 2024 12:02 PM IST

Russia-Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका शांति की बात तो नहीं करता, लेकिन युद्ध को भड़काने के सारे कदम उठा रहा है. हाल में ही उसने यूक्रेन को दिए बैलिस्टिक मिसाइल को रूस के अंदर उपयोग करने की अनुमति दे दी, जिसका यूक्रेन ने उपयोग भी कर लिया और इससे नाराज रूस ने न सिर्फ अपने परमाणु हथियार के उपयोग के नियम में बदलाव किया, बल्कि अब रूस की ओर से 'हाइब्रिड वॉर' का खतरा भी मंडराने लगा है. 'हाइब्रिड वॉर' ग्लोबल सिक्योरिटी के लिए खतरनाक है.

नाटो के महासचिव मार्क रूटे ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे रूस, यूक्रेन से लेकर यूरोप और उससे आगे तक तनाव बढ़ाने के लिए 'हाइब्रिड वॉर' की रणनीतियों का तेजी से उपयोग कर रहा है. ये पहली बार नहीं है, रूस का इतिहास तोड़फोड़ की कोशिशों, चुनाव से संबंधित गलत सूचना और हैकिंग अभियानों से जुड़ा रहा है. एस्टोनिया से साइबर हमले और नॉर्वे में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के करीब ड्रोन से संबंधित गिरफ्तारियां इन घटनाओं के उदाहरण हैं.

क्या है 'हाइब्रिड वॉर'?

द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'हाइब्रिड वॉर' जैसी रणनीति में विरोधियों को अस्थिर करने के लिए साइबर हमले, तोड़फोड़, गलत सूचना और यहां तक ​​कि शारीरिक हिंसा का भी इस्तेमाल किया जाता है. 'हाइब्रिड वॉर' का मकसद व्यवधान पैदा करना, सैन्य आपूर्ति में बाधा डालना और पारंपरिक युद्ध रेखाओं को धुंधला करके यूक्रेन के सहयोगियों पर दबाव डालना है.

नाटो ने जून में कहा था, 'हाल के सालों में हमलों के बारे में जो नया है, वह है उनकी स्पीड, स्केल और इंटेसिटी, जो तेजी से हो रहे तकनीकी बदलाव और ग्लोबल इंटरकनेक्टिविटी के कारण संभव हो पाई है. 'काउंटर-हाइब्रिड सपोर्ट टीम' सहायता प्रदान करेंगे, लेकिन यह मुख्य रूप से अलग-अलग देशों पर निर्भर करेगा कि वे खुद को सुरक्षित रखें.

उत्तरी और बाल्टिक सागर में 'हाइब्रिड वॉर' के उभरते संकेत

एस्टोनिया और अन्य बाल्टिक देशों ने अप्रैल में चेतावनी दी थी कि व्यापक रूप से जीपीएस जाम होने से विमानन दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है. एस्टोनिया ने कहा कि लोकेशन सेवाओं में व्यवधान के लिए क्षेत्र में रूसी 'हाइब्रिड एक्टिविटी' को दोषी ठहराया गया था. एयरलाइन के पायलटों ने 2022 से हस्तक्षेप में वृद्धि देखी थी, जिसमें बाल्टिक सागर पर रूस के कलिनिनग्राद क्षेत्र के करीब हवाई क्षेत्र भी शामिल था.

सीमा पर परेशानी

रूस ने बाल्टिक सागर में सीमा विवाद शुरू करके भी चिंता पैदा की है. रूस ने इस साल एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें दिखाया गया था कि वह 2025 से फिनलैंड और लिथुआनिया के साथ अपनी समुद्री सीमाओं को एकतरफा रूप से बदलने की योजना बना रहा है. तेलिन के अधिकारियों ने बताया कि मई में रूसी सीमा रक्षकों ने नार्वा नदी से बुआ हटा दिए थे, जो एस्टोनिया के साथ सीमा को दर्शाते थे.

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