ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर क्यों है दुनिया की नजर? JCPOA क्या है, जिसे बहाल करने की हो रही कोशिश?
Iran Nucleal Deal: ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दुनिया की नजर है. अब ईरान ने JCPO समझौते को बहाल करने की कोशिशें तेज कर दी है. यह JCPOA समझौता क्या है, आइए जानते हैं...

Iran Nuclear Program: ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं. ईरान ने ज्वाइंट कंप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) को बहाल करने की कोशिश तेज कर दी है. उप विदेश मंत्री माजिद तख्त रावंची 29 नवंबर को यूरोपीय संघ, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ बैठक करेंगे.
ईरान ने 2015 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन और जर्मनी के साथ JCPOA समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, बाद में 2018 में अमेरिका ने इस समझौते से खुद को अलग कर लिया. ईरान ने भी उस समय कहा था कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांति पूर्ण है, लेकिन इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने चिंता जताई थी. इसी का नतीजा रहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में JCPOA समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया और ईरान पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई. अब ईरान को उम्मीद है कि JCPOA समझौता बहाल हो जाएगा.
ईरान ने कैसे शुरू किया न्यूक्लियर प्रोग्राम?
ईरान के पूर्व शाह मोहम्मद रजा पहलवी ने परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत की. 1950 के दशक में तेहरान परमाणु अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई. इसके बाद 1960 के दशक में ईरान ने एनपीटी यानी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए. इसके चलते अब उसे अमेरिका और अन्य देशों से परमाणु सहायता मिलनी शुरू हो गई. 1979 में ईरानी क्रांति की वजह से परमाणु कार्यक्रम रुक गया.
1980 के दशक में ईरान न पाकिस्तान और अन्य देशों की मदद से अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की कोशिश की. 1990 के दशक में नटान्ज यूरेनियम संवर्धन संयंत्र समेत नई सुविधाओं के निर्माण के साथ परमाणु कार्यक्रम का विस्तार हुआ.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम का हुआ खुलासा
ईरान के परमाणु कार्यक्रम का खुलासा 2002 में हुआ. इसके बाद IAEA ने उसके परमाणु कार्यक्रमों की जांच शुरू कर दी. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2006 में उस पर बैन लगा दिया. बाद में ईरान ने आर्थिक प्रतिबंधों से राहत पाने के लिए JCPOA समझौते पर हस्ताक्षर किया. हालांकि, 2018 में अमेरिका इस समझौते से खुद को अलग कर लिया. इसके बाद 2019 में उसने JCPOA समझौते का उल्लंघन करना शुरू कर दिया. वह यूरेनियम संवर्द्धन क्षमता को लगातार बढ़ा रहा है.