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गाजा पर इजरायल के कब्‍जे के मायने क्‍या? हमास से युद्ध का अंत या नए संघर्ष की शुरुआत...

इज़राइल ने गाज़ा पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण की योजना को मंजूरी दी है, लेकिन वह इसका प्रशासन नहीं चलाना चाहता. नेतन्याहू ने इसे केवल 'सुरक्षा परिधि' बताया है. इज़राइल की पांच शर्तों में हमास का खात्मा, बंधकों की रिहाई और एक वैकल्पिक सरकार शामिल है. अरब देशों ने शासन में भागीदारी से इंकार किया है. गाज़ा में मानवीय संकट गहराता जा रहा है जबकि इज़राइल में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं.

गाजा पर इजरायल के कब्‍जे के मायने क्‍या? हमास से युद्ध का अंत या नए संघर्ष की शुरुआत...
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( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 8 Aug 2025 12:11 PM IST

इज़राइल ने गाज़ा पट्टी के उत्तरी क्षेत्र गाज़ा सिटी पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण की योजना को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के प्रस्ताव को शुक्रवार को इज़राइली सुरक्षा कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी. इसके तहत इज़राइल गाज़ा के उन हिस्सों में सैन्य घुसपैठ करेगा, जहां अब तक उसकी सीधी मौजूदगी नहीं थी. हालांकि नेतन्याहू ने यह भी स्पष्ट किया कि इज़राइल का इरादा गाज़ा पर स्थायी शासन करने का नहीं है - “हम इसे रखना नहीं चाहते, हम केवल एक सुरक्षा परिधि चाहते हैं.''

इस घोषणा के बाद वैश्विक राजनीति में खलबली मच गई है. संयुक्त राष्ट्र ने इस पर 'गहरी चिंता' जताई है और अमेरिका अभी तक इस पर आधिकारिक बयान देने से बच रहा है. दूसरी ओर, अरब देशों ने भी गाज़ा पर इज़राइल के किसी भी शासन में शामिल होने से इनकार कर दिया है. इस कदम को इज़राइल की 2005 की वापसी नीति का उलटा माना जा रहा है, जब उसने अपने सैनिक और नागरिक गाज़ा से पूरी तरह हटा लिए थे. सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह रणनीति हमास को खत्म करने का प्रयास है या एक नए, लंबे सैन्य कब्ज़े की शुरुआत?

इज़राइल की नई सैन्य नीति

इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने Fox News से बातचीत में कहा कि उनका देश गाज़ा पट्टी के पूरे क्षेत्र पर सैन्य नियंत्रण चाहता है. उनके शब्द थे, "We intend to take it over. We don’t want to keep it. We want to have a security perimeter." इस बयान में यह स्पष्ट है कि इज़राइल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए गाज़ा पर अस्थायी नियंत्रण की रणनीति अपना सकता है, लेकिन वह वहां स्थायी शासन नहीं चाहता.

क्या यह 2005 की वापसी नीति का उल्टा है?

2005 में इज़राइल ने गाज़ा से अपने सैनिक और 8,000 से अधिक नागरिकों को हटा लिया था. उस समय इस फैसले की सराहना हुई थी, लेकिन दक्षिणपंथी इज़राइली नेता मानते हैं कि इस वापसी से हमास को सत्ता में आने का अवसर मिला. यदि इज़राइल अब फिर से गाज़ा पर नियंत्रण करता है, तो यह उस नीति का उलटा होगा और इस क्षेत्र की भूराजनीतिक स्थिति को उलझा देगा.

Image Credit: ANI

इज़राइल के युद्ध समाप्ति के लिए पांच शर्तें

इज़राइली कैबिनेट ने युद्ध समाप्ति के लिए पांच शर्तों को मंजूरी दी है:

  • हमास का पूर्ण निरस्त्रीकरण
  • सभी बंधकों की वापसी (50 में से लगभग 20 जीवित होने की आशंका)
  • गाज़ा पट्टी का सैन्य विहीन क्षेत्र बनाना
  • गाज़ा पर इज़राइली सुरक्षा नियंत्रण
  • एक वैकल्पिक नागरिक सरकार - जो न तो हमास हो और न ही फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी

यहां सबसे बड़ी बाधा पांचवीं शर्त है, क्योंकि कोई भी स्पष्ट विकल्प अब तक सामने नहीं आया है.

अरब देशों ने साफ इनकार किया

अब तक किसी भी अरब देश ने इज़राइल की योजना के तहत गाज़ा को चलाने में भागीदारी देने की इच्छा नहीं जताई है. एक जॉर्डन अधिकारी ने बताया:

"अरब देश केवल उसी बात का समर्थन करेंगे जिस पर फिलिस्तीनी सहमत होंगे और निर्णय लेंगे." यानी वे केवल उसी व्यवस्था का समर्थन करेंगे जिसे फ़िलिस्तीनी जनता स्वीकार करे. हमास ने भी चेतावनी दी है कि इज़राइल के साथ किसी भी ताकत को "कब्ज़ा करने वाली शक्ति" माना जाएगा.

अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की सतर्क प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र ने इज़राइली योजना पर गहरी चिंता जताई है और इसे 'गंभीर मानवीय संकट' को बढ़ाने वाला कदम बताया है. वहीं, अमेरिका की तरफ से अभी तक कोई स्पष्ट समर्थन या विरोध नहीं आया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस पर चुप्पी साध रखी है, जिससे इस मुद्दे पर अमेरिका की रणनीति को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

इज़राइल में भी बढ़ते विरोध प्रदर्शन

इज़राइली समाज में भी नेतन्याहू की नीतियों को लेकर विरोध शुरू हो गया है. गुरुवार को यरुशलम में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर बंधकों की तस्वीरें लेकर प्रदर्शन किया. एक प्रदर्शनकारी नोआ स्टार्कमैन ने कहा, "मैं थक चुकी हूं, इस सरकार ने हमारी ज़िंदगी बर्बाद कर दी." बंधक परिवारों के मंच (Hostages Families Forum) ने इज़राइली सेना से आग्रह किया है कि वह नए हमलों का विरोध करे, ताकि वार्ता की संभावनाएं बनी रहें.

गाजा में मानवीय स्थिति भयावह

इज़राइली सेना का दावा है कि वह अब तक गाज़ा का लगभग 75% क्षेत्र नियंत्रित कर चुकी है. लेकिन, पिछले 22 महीनों में वहां की 2 मिलियन आबादी को कई बार पलायन करना पड़ा है. एक निवासी अया मोहम्मद कहती हैं, "अब हम कहां जाएं? हमें बार-बार उजाड़ा गया, अपमानित किया गया, और अब फिर विस्थापन की धमकी है." मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि गाज़ा में अकाल जैसी स्थिति बनने वाली है.

इस साल की शुरुआत में मिस्र ने एक प्रस्ताव दिया था कि एक निष्पक्ष फ़िलिस्तीनी समिति युद्ध के बाद गाज़ा का संचालन करे. इसे कई अरब देशों ने समर्थन दिया, लेकिन इज़राइल और अमेरिका ने इसे खारिज कर दिया. अब सवाल यह है कि जब इज़राइल खुद वहां शासन नहीं करना चाहता और अरब देश तैयार नहीं हैं, तो 'वैकल्पिक सरकार' कौन होगी?

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