न मुस्लिम, न ईसाई तो कौन हैं ड्रूज, जिनकी 'रक्षा' के लिए इजरायल ने सीरिया में की बमबारी; नेतन्याहू ने हमले को क्यों बताया जायज?
सीरिया के दक्षिणी हिस्से में बसे ड्रूज समुदाय पर इज़रायल की एयरस्ट्राइक से सवाल उठे हैं. क्या यह आतंकी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई थी या एक अल्पसंख्यक समुदाय के अस्तित्व सहीय मायने में बचाने की रणनीति. आइए समझते हैं ड्रूज समुदाय का इतिहास, उनकी स्थिति और इस हमले की जमीनी हकीकत. ड्रूज समुदाय के लोग किस पंथ में रखते हैं विश्वास?

एक तरफ दुनिया गाजा और वेस्ट बैंक पर ध्यान लगाए बैठी है तो इजरायल ने ड्रूज समुदायक के लोगों को बचाने का दावा करते हुए सीरिया की सेना, उसके रक्षा मंत्रालय और दमिश्क स्थित राष्ट्रपति भवन को निशाना बनाया है. इजरायल ने स्वेद शहर व अन्य इलाकों में भी हमला बोला है. इजरायल ने यह हमला सीरियाई सेना द्वारा मंगलवार को देश के दक्षिण में ड्रूज समुदाय के गढ़ स्वेदा में हस्तक्षेप करने के बाद लिया है. इजरायल की सरकार ने साफ कहा कि उसकी ओर से तब तक सीरिया शासन के बलों पर हमला होते रहेंगे, जब तक वे स्वेदा क्षेत्र से नहीं हट जाते.
इजरायल ने कहा कि वह ड्रूज समुदाय की रक्षा के लिए ये हमले कर रहा है. इजरायल ने बुधवार को दमिश्क में भी हमले किए हैं. इजरायल के इस रुख के बाद डूज समुदाय के लोग दुनिया भर में सुर्खियों में आ गए हैं. इस घटना के बाद ड्रूज और सीरियाई सेना में सीजफायर हो गया है. अब लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर ये ड्रूज हैं कौन? और इजरायल से इनका क्या रिश्ता है?
ड्रूज कौन हैं?
ड्रूज (Druze) एक धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदाय है. ये लोग सीरिया, लेबनान, इजरायल और जॉर्डन में रहते है.इनकी आबादी लगभग 10 लाख है. इस धार्मिक संप्रदाय की शुरुआत 10वीं शताब्दी में हुई थी और यह शिया संप्रदाय की शाखा इस्माइलवाद को मानते हैं. दक्षिणी सीरिया के स्वेदा प्रांत में ड्रूज बहुसंख्यक हैं. सीरिया में ड्रूज समुदाय देश के दक्षिण में इजरायली कब्जे वाले गोलान हाइट्स के पास तीन मुख्य प्रांतों में भी रहते हैं. लान हाइट्स में 20 हजार से ज्यादा ड्रूज रहते हैं.
इनकी धार्मिक मान्यताएं इस्लाम, ग्रीक दर्शन, हिंदू तत्वों और रहस्यवाद का अद्भुत मिश्रण हैं. वे किसी धर्मांतरण को नहीं मानते और उनके धार्मिक ग्रंथ बाहरी दुनिया से छिपा कर रखे जाते हैं. सीरिया में करीब 7 लाख ड्रूज रहते हैं. विशेष रूप से सुआएदा (Suwayda) प्रांत में.
ड्रूज समुदाय सदियों से सत्ता से दूरी बनाकर पहाड़ी क्षेत्रों में शांतिपूर्ण जीवन जीता रहा है, लेकिन इजरायल-सीरिया संघर्ष से वहां की शांति को बार-बार खलल पड़ता रहा है. साल 2011 के सीरियन सिविल वॉर के बाद ड्रूज समुदाय ने खुद को एक बार फिर दोनों ओर की हिंसा के बीच फंसा हुआ पाया था.
ड्रूज और सीरियाई सरकार के बीच लंबा है संघर्ष का इतिहास
ड्रूज लोगों का सीरियाई सरकारों से टकराने का लंबा इतिहास है. सीरिया में बशर अल असद के तख्तापलट के बाद सीरिया में राष्ट्रपति अहमद अल शरा का शासन है. नई सरकार और ड्रूज के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं. नई सरकार ने ड्रूज मिलिशिया का निरस्त्रीकरण करने का अभियान शुरू किया है. सरकार और ड्रूज के बीच इस मुद्दे पर समझौते नहीं हो पा रहा है.
इजरायल ने हमला क्यों बोला?
सीरिया के स्वेदा में संघर्ष बढ़ने के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल के ड्रूज नागरिकों के सीरिया में ड्रूज के साथ पारिवारिक और ऐतिहासिक संबंध हैं. ऐसे में हम सीरिया में ड्रूज को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इजरायल के कार्मेल और गैलिली में 1,30,000 ड्रूज रहते हैं. इजरायल की सेना नें ड्रूज उच्च पदों पर रहे हैं. इसको आधार बनाते हुए और सीरियाई सरकार पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए इजरायल ने सीरिया में हमले किए हैं.
हमला पहला मामला नहीं
बता दें कि जुलाई 2025 की शुरुआत में इजरायली एयरफोर्स ने दक्षिण सीरिया के सुआएदा और आसपास के इलाकों में एयरस्ट्राइक की थी. इजरायल का दावा था कि यह हमला ईरान-समर्थित हथियार ट्रांसफर और हिज्बुल्लाह की गतिविधियों को रोकने के लिए किया था. दूसरी तरफ जमीनी हकीकत यह है कि ड्रूज नागरिकों की मौत, घरों को हुए नुकसान और इलाके में तनाव की वजह इजरायल ने हमले किए हैं. यह कोई पहली घटना नहीं. पिछले एक साल में यह पांचवीं बार है जब ड्रूज आबादी के इलाके को इजरायल ने निशाना बनाया है.