अब बोलो पाकिस्तान! मोदी को 'पूरा समर्थन', पाक के सपोर्ट पर क्या बोले अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और टैमी ब्रूस?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक तनाव के बीच अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पाकिस्तान को आतंकी संगठनों पर नियंत्रण की चेतावनी दी और भारत को जवाबी कार्रवाई की 'स्वतंत्रता' का संकेत दिया. अमेरिकी विदेश विभाग ने पीएम मोदी को 'पूरा समर्थन' देने की बात कही, जबकि भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक और प्रशासनिक दबाव बढ़ा दिया है. अमेरिका की रणनीति संतुलन साधने की कोशिश करती दिख रही है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर उबाल पर है, लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया कुछ अधिक तेज़ दिख रही है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने न केवल पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की ओर इशारा किया, बल्कि भारत को जवाबी कार्रवाई की 'स्वतंत्रता' के प्रति परोक्ष समर्थन भी दिया. वेंस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने पहले ही पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कूटनीतिक और प्रशासनिक कदम उठाए हैं.
अपने इंटरव्यू में वेंस ने कहा, "पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी सरज़मीं से संचालित आतंकवादी संगठनों पर नियंत्रण रखा जाए." हालांकि यह बयान प्रतीत होता है कि संतुलन साधने की कोशिश है, लेकिन उसमें पाकिस्तान की भूमिका को लेकर एक स्पष्ट असहजता झलक रही थी. उनका यह कथन कि जहां तक पाकिस्तान जिम्मेदार है... एक साफ संकेत है कि वाशिंगटन में अब इस मुद्दे पर आंख मूंदकर तटस्थ रहने की गुंजाइश नहीं बची है.
भारत के साथ है संवेदना
पहलगाम हमले में मारे गए 26 नागरिकों में अधिकांश पर्यटक थे, जिसमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. इस नरसंहार ने न केवल भारत में रोष फैलाया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसने पर्यटकों की सुरक्षा और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर सवाल उठाए. वेंस का बयान भारत के प्रति संवेदना जताने के साथ-साथ इस तथ्य को भी रेखांकित करता है कि अब अमेरिका केवल 'मौखिक समर्थन' तक सीमित नहीं रह सकता.
पाकिस्तान को नहीं मिलेगी खुली छूट
जेडी वेंस द्वारा दिया गया यह बयान कि भारत को "ऐसे तरीके से जवाब देना चाहिए जिससे क्षेत्रीय संघर्ष न हो." इसमें निहित संदेश है कि अमेरिका चाहता है कि भारत संयम रखे, लेकिन साथ ही वह पाकिस्तान को भी खुली छूट नहीं देना चाहता. यह एक जटिल कूटनीतिक संतुलन है, जिसमें अमेरिका का रणनीतिक हित दोनों देशों को अलग-अलग तरीकों से साधने में है.
मोदी को है US का 'पूरा समर्थन'
वहीं अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने ट्रम्प प्रशासन की ओर से स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका का 'पूरा समर्थन' प्राप्त है. ब्रूस ने यह भी कहा कि अमेरिका दोनों देशों से लगातार संपर्क में है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि अमेरिका पाकिस्तान पर कोई दबाव डालेगा या नहीं. यह अस्पष्टता वाशिंगटन की रणनीतिक 'मौन-सहमति' को दर्शाती है, जो भारत में सवालों के घेरे में है.
पाकिस्तान पर बनाएगा दबाव?
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की जयशंकर और शहबाज़ शरीफ़ से अलग-अलग बातचीत भी इसी दिशा में इशारा करती है. रुबियो ने पाकिस्तान से हमले की खुली निंदा करने को कहा, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता तो अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या होगी. इस 'डिप्लोमैटिक एम्बिगुइटी' का असर भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया पर ज़रूर पड़ सकता है.
भारत ने पाक पर लगाए कई सैंक्शन
भारत ने इस बीच पाकिस्तान पर कई स्तरों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. सिंधु जल संधि को निलंबित किया गया, अटारी सीमा बंद की गई, पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया गया और एयर स्पेस प्रतिबंध लागू कर दिए गए. अमेरिका की प्रतिक्रियाएं इन कड़े कदमों को लेकर अपेक्षाकृत नरम रही हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या अमेरिका वास्तव में भारत की सामरिक स्वतंत्रता को समर्थन दे रहा है या केवल उसे 'शांत' बनाए रखने की कोशिश कर रहा है.